पतझड़ और तुम्हारा स्वरूप
पतझड़ जीवन की साँझ वेला मेंदेह के वृक्ष सेभूरे – पीले पत्तों साकुछ – कुछ झरने लगा ! आँखों की रोशनीकम – सी हुईतो श्रवण शक्ति क्षीण अंग – प्रत्यंग…
हिंदी का वैश्विक मंच
पतझड़ जीवन की साँझ वेला मेंदेह के वृक्ष सेभूरे – पीले पत्तों साकुछ – कुछ झरने लगा ! आँखों की रोशनीकम – सी हुईतो श्रवण शक्ति क्षीण अंग – प्रत्यंग…
आजकल मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली से कुछ 6300 किमी दूर, यूरोप के एक प्रतिष्ठित शहर लक्सेम्बर्ग में रहता हूँ। यह शहर इस देश की राजधानी भी है और…
चलते-चलते जीवन पथ पर,एक नदी के सुंदर तट पर|देखा जो तरुवर की छाया,सुस्ताने को मन हो आया|| कर विचार यह सुंदर उपवन,सुखकर होगा इसमें जीवन|संगी-साथी मीत बनाये,प्रेम भाव के दीप…
जब एकाकी मन घबराए,सूनेपन से जी भर जाये |ले समय कभी उलटे फेरे,हो अंधकार चहुंदिक मेरे|पर चाहूँ “दीप शिखा” पाना,हे! राम मेरे, तब तुम आना || १ || जब थक…
अर्चना पैन्यूली जन्म : 17 मई 1963, कानपुर, उत्तर प्रदेश अर्चना पैन्यूली मूलतः भारत के उत्तराखंड राज्य से हैं। 1997 से डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में रह रही हैं, जहाँ…
मॉरीशस में हिंदी के स्वरूप को यदि हम जानना चाहते हैं तो इतिहास में झाँके बगैर हम इस दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते । जब हम ऐतिहासिक तथ्यों को…
अपने ही घर में माया चूहे सी चुपचाप घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जाकर बिस्तर पर बैठ गई; स्तब्ध। जीवन में आज पहली बार मानो सोच के घोड़ों की…
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