Category: प्रवासी साहित्य

शहर की रूह – सदियों को समेटते चंद रास्ते – (यात्रा संस्मरण)

सुबह तेज़ बारिश हो रही थी, हवा भी तेज़ थी। आभास था कि दिन सुस्त और बादलों से घिरा रहेगा। फिर पता चला कि शहर के केंद्र में उसकी कुछ…

मात्र सड़क का एक नुक्कड़ या विरोधाभासों का बवंडर – (यात्रा संस्मरण)

परिवर्तन ही सृष्टि के चालक हैं। कई सदियाँ बोल रही थीं, परिवर्तन की कहानी कह रही थीं और हमारे जैसे सैलानियों का समूह जो अपने शहर यानी मॉस्को को बेहतर…

रूस का पास्ख़ा और कैथोलिक जगत का ईस्टर – (यात्रा संस्मरण)

मौसम कैसे भी करवट क्यों न ले, वसंत गर्माहट लाने में देर करे या घोड़े पर सवार हो कर आए; विलो (Willow) प्रजाति का एक पेड़ है जो रूसी भाषा…

रूसी लेखकों और अन्य कलाकर्मियों का अड्डा- जागीर अब्राम्त्सेवा – (यात्रा संस्मरण)

ताल को जाती ढलान पर दूब की मख़मली क़ालीन बिछ गई है। सारा वातावरण वसंत की तस्वीर बना हुआ था, मैं उसका रसपान करते-करते अपने ख़यालों में लीन चली जा…

इंतज़ार – (कहानी)

ख़ाकी पोशाकें और भारी फ़ौजी बूट पहने धूल से पूरी तरह लथपथ वे अपने ख़ेमों की ओर लौट रहे थे। उनके चेहरे बता रहे थे कि मन में बहुत उथल-पुथल…

नाम – (कहानी)

प्रणव बाबू अकेले रहते थे। उनकी पत्नी का देहांत हुए दो साल हो गए थे। उनके बच्चे दुनिया के दो कोनों में रहते थे – अमरीका और ऑस्ट्रेलिया। हालाँकि भारत…

आइपेरी – (कहानी)

घंटी बजने पर दरवाज़ा खोला तो वहाँ पर सोनिया एक सहमी से उन्नीस-बीस साल की लड़की के साथ खड़ी थी। सोनिया को मैं जानती थी, वह मेरी एक सहेली के…

वंदना मुकेश की कविताएँ

1. बरगद पुराने बरगद में भी, इक नई चाह पैदा हुई, तब नई पौध, जड़ सहित नई जगह रोपी गई। शाखाओं का रूप बदला, चाल बदली, रंग बदला, और फिर,…

‘पुनरपि जन्मम्, पुनरपि मरणम्, पुनरपि जननी जठरे शयनम्’ – (ललित निबंध)

इस रास्ते पर सप्ताह में चार दिन जाते हुए लगभग आठ साल। रास्ता मानो रट-सा गया है। घर से निकलने पर आधे मील के बाद बाँयी तरफ मुड़ने पर एक…

बोलिए सुरीली बोलियाँ…      (ललित निबंध)        

संगीत की अनौपचारिक महफ़िल में बैठी हूँ। महफ़िल अनौपचारिक अवश्य है लेकिन महफ़िल संगीत के बड़े जानकारों की है। बड़े उस्ताद हैं तो छोटे उस्ताद भी, और निष्ठावान शागिर्द भी,…

आधी रात का चिंतन – (ललित निबंध)

‘सर’ के यहाँ घुसते ही लगा कि शायद घर पर कुछ भूल आई हूँ। लेकिन समझ में नहीं आया। अरे, आप सोच रहे होंगे, ये ‘सर’ कौन हैं? तो बताऊँ…

साजिदा नसरीन – (कहानी)                      

“हैलो, साजिदा…, हैलो, माफ़ कीजिएगा, आय एम साजिदाज़ टीचर…हाउ इज़ शी कीपिंग?” अगले छोर से कुछ अजीब सी फुसफुसाहट सी आई। फ़ोन पर किसी का नाम पुकारा गया, कुछ देर…

सरोज रानियाँ – (कहानी)

क्लास में घुस ही रही थी कि मिसेज़ चैडवेल की आवाज़ से मेरे चाबी ढूँढते हाथ अनजाने ही सहम गए। “दैट्स हाऊ वी टीच! इफ़ यू डोंट लाईक, यू मे…

मशीन – (कहानी)

शाम के सात बज चुके हैं। तुम्हें घर आए लगभग तीन घंटे से भी अधिक समय हो चुका है। हमारे बीच कोई विशेष संवाद नहीं हुआ है। वैसे जो संवाद…

भीतरी तहों में – (कहानी)

-चाय पियोगी? आयशा हैरान कि यह कौन पूछ रहा! -???- उसने प्रश्न चिन्ह भेज दिए। -सॉरी! गलती से आ गया सन्देश आपके पास। 🙂 – उसने स्माइली भेज दी और…

ब्रोचेता एस्पान्या – (कहानी)

“सिगरेट मुक्त तुम्हारी उँगलियाँ देखना मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा लड़की”… उस शांत दोपहर सोफिया को ऐसा कहने से रोक न पाई खुद को। “या! इन्तेन्तो देखार दे फुमार। मी माद्रे…

नया जन्म लेना – (कहानी)

“नीको, नीको! उठो न जल्दी!” “क्या हो गया लोली? क्यों सुबह सुबह शोर कर रही हो डिअर?”, नीकोलास ने आँख जबरन खोलते हुए हैरानी से पूछा। “यहाँ आओ न! हम…

पूजा अनिल की कविताएँ

1. प्राण रिसाव हम धीरे धीरे खत्म हो रहे थे, जैसे एक बादल बूँद-बूँद बरस रहा हो- देर तक हवा में झूलने की इच्छा लिए हुए। हम कम-कम ख़्वाब देख…

जय वर्मा की कविताएँ – (कविता)

1. एक टिमटिमाता तारा तारों की छाँव में चलते-चलतेएक टिमटिमाता तारासाथ देता रहामुस्कराता हुआआँख मिचौली खेलता रहाकभी आगे की ओर दौड़ जाताकभी पीछे वह रह जाताउसका साथ मुझे अच्छा लगतावह…

सात क़दम – (कहानी)

सात क़दम -जय वर्मा “कभी हमारे भी दिन बदलेंगे। सभी लोग छुट्टियाँ मनाने दूसरे देशों में घूमने-फिरने के लिए जाते हैं और एक हम हैं कि इंडिया भी नहीं जाते!……

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