Category: प्रवासी साहित्य

वंदना मुकेश की कविताएँ

1. बरगद पुराने बरगद में भी, इक नई चाह पैदा हुई, तब नई पौध, जड़ सहित नई जगह रोपी गई। शाखाओं का रूप बदला, चाल बदली, रंग बदला, और फिर,…

‘पुनरपि जन्मम्, पुनरपि मरणम्, पुनरपि जननी जठरे शयनम्’ – (ललित निबंध)

इस रास्ते पर सप्ताह में चार दिन जाते हुए लगभग आठ साल। रास्ता मानो रट-सा गया है। घर से निकलने पर आधे मील के बाद बाँयी तरफ मुड़ने पर एक…

बोलिए सुरीली बोलियाँ…      (ललित निबंध)        

संगीत की अनौपचारिक महफ़िल में बैठी हूँ। महफ़िल अनौपचारिक अवश्य है लेकिन महफ़िल संगीत के बड़े जानकारों की है। बड़े उस्ताद हैं तो छोटे उस्ताद भी, और निष्ठावान शागिर्द भी,…

आधी रात का चिंतन – (ललित निबंध)

‘सर’ के यहाँ घुसते ही लगा कि शायद घर पर कुछ भूल आई हूँ। लेकिन समझ में नहीं आया। अरे, आप सोच रहे होंगे, ये ‘सर’ कौन हैं? तो बताऊँ…

साजिदा नसरीन – (कहानी)                      

“हैलो, साजिदा…, हैलो, माफ़ कीजिएगा, आय एम साजिदाज़ टीचर…हाउ इज़ शी कीपिंग?” अगले छोर से कुछ अजीब सी फुसफुसाहट सी आई। फ़ोन पर किसी का नाम पुकारा गया, कुछ देर…

सरोज रानियाँ – (कहानी)

क्लास में घुस ही रही थी कि मिसेज़ चैडवेल की आवाज़ से मेरे चाबी ढूँढते हाथ अनजाने ही सहम गए। “दैट्स हाऊ वी टीच! इफ़ यू डोंट लाईक, यू मे…

मशीन – (कहानी)

शाम के सात बज चुके हैं। तुम्हें घर आए लगभग तीन घंटे से भी अधिक समय हो चुका है। हमारे बीच कोई विशेष संवाद नहीं हुआ है। वैसे जो संवाद…

भीतरी तहों में – (कहानी)

-चाय पियोगी? आयशा हैरान कि यह कौन पूछ रहा! -???- उसने प्रश्न चिन्ह भेज दिए। -सॉरी! गलती से आ गया सन्देश आपके पास। 🙂 – उसने स्माइली भेज दी और…

ब्रोचेता एस्पान्या – (कहानी)

“सिगरेट मुक्त तुम्हारी उँगलियाँ देखना मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा लड़की”… उस शांत दोपहर सोफिया को ऐसा कहने से रोक न पाई खुद को। “या! इन्तेन्तो देखार दे फुमार। मी माद्रे…

नया जन्म लेना – (कहानी)

“नीको, नीको! उठो न जल्दी!” “क्या हो गया लोली? क्यों सुबह सुबह शोर कर रही हो डिअर?”, नीकोलास ने आँख जबरन खोलते हुए हैरानी से पूछा। “यहाँ आओ न! हम…

पूजा अनिल की कविताएँ

1. प्राण रिसाव हम धीरे धीरे खत्म हो रहे थे, जैसे एक बादल बूँद-बूँद बरस रहा हो- देर तक हवा में झूलने की इच्छा लिए हुए। हम कम-कम ख़्वाब देख…

जय वर्मा की कविताएँ – (कविता)

1. एक टिमटिमाता तारा तारों की छाँव में चलते-चलतेएक टिमटिमाता तारासाथ देता रहामुस्कराता हुआआँख मिचौली खेलता रहाकभी आगे की ओर दौड़ जाताकभी पीछे वह रह जाताउसका साथ मुझे अच्छा लगतावह…

सात क़दम – (कहानी)

सात क़दम -जय वर्मा “कभी हमारे भी दिन बदलेंगे। सभी लोग छुट्टियाँ मनाने दूसरे देशों में घूमने-फिरने के लिए जाते हैं और एक हम हैं कि इंडिया भी नहीं जाते!……

फिर मिलेंगे – (कहानी)

फिर मिलेंगे – जय वर्मा, ब्रिटेन “माँ मुझे अपना हीरे का कंगन और शादी की अँगूठी उतारकर दे दो। मैं घर जाकर आपके सेफ़ बोक्स में इन्हें रख दूँगी। वरना…

गुलमोहर – (कहानी)

गुलमोहर – जय वर्मा, ब्रिटेन खिड़की के बाहर झाँककर कमला ने देखा कि बगीचे में सब ओर घुप अँधेरा है। ‘माली भी आजकल मनमानी करने लगा है। अपनी मर्जी से…

स्पर्श – (कहानी)

भीषण गर्मी के मारे सबका बुरा हाल था। आख़िर कब तक कोई घर की चारदीवारी में बन्द, पंखों और कूलरों की ओट में छुपा रहता, काम-काज के लिए बाहर तो…

पेड़

टन टन टन टन। घनघनाता कानफोड़ू इमरजेंसी अलर्ट। सभी के फोन बज उठे। एक विशेष आपातकालीन संदेश फोन की स्क्रीन पर चमक रहा था- “तेज बारिश और हवाओं का मिला-जुला…

पहिए

एक ही घर में दो दुनिया, एक गतिमान और दूसरी स्थिर। व्हील चेयर में धँसी कैमिला की दुनिया में पहिए चलते लेकिन वह स्थिर रहती। हेनरी खुद भी चलता और…

चेहरों पर टँगी तख्तियाँ

हल्की-फुल्की कसरत करते हुए वह रोज मिलती थी। सुबह-सवेरे खूब ताली बजाना फिर थोड़ी देर रुककर हाथ-पैर मोड़ना। शाम को पार्क में भी कभी हाथ ऊपर, कभी नीचे, कभी सीधे,…

लाश

उसकी लाश सड़क के किनारे फुटपाथ पर पड़ी मिली थी। उस लाश को पहले इन्हीं गलियों रहने वाले लोगों ने देखा था। इस इलाक़े के अधिकतर निवासी भारतीय या पाकिस्तानी…

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