Category: कनाडा

भारतेन्दु श्रीवास्तव – (परिचय)

डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव जन्म: सन् 1935 में बाँदा (उ.प्र) (भारत) शिक्षा: बी.एससी. (1955); एम.एससी.(टैक) (1958) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। पीएच.डी. (सास्केचुआन विश्वविद्यालय, कैनेडा)। व्यवसाय: कनाडा मौसम-विज्ञान विभाग में वैज्ञानिक के रूप…

मन की मंदाकिनी – (कविता)

मन की मंदाकिनी मन की मंदाकिनी में,जब भी लहरें उठती है भावों की,आती जाती इन श्वासों को,वे याद दिलाती है आहों की,सब दिवस गये पल क्षण बनकर,देखो तो अति चतुराई…

स्वयंभू – (कविता)

स्वयंभू मन में तुम्हारी प्रीत का हर शब्द गीत है,तन में रमा है त्याग का वो पल पुनीत है,जो आदि से ही उपजा स्वयंभू सुनीत है,उस आदि प्रेम की ही…

आओ चलें वहाँ – (कविता)

आओ चलें वहाँ आओ चलें वहाँ, जहाँ न कोई द्वेष राग हो,हों प्रेम के आदर्श और भावना सुभाष हो,हो ज़िन्दगी का मूल्य, जहाँ कोई न हताश हो,मेरी कल्पनाओं में कदाचित…

प्रकृति – (कविता)

प्रकृति जब प्रकृति लय छेड़ती,स्वर ताल देता है पवन। मुक्त स्वर से विहग गाते,मुदित मन होते सुमन,झूमके आते हैं वारिद,तड़ित चमकाती गगन।वृक्ष हो आनंदमयझूमते होकर मगन। मेघ गाते हैं मल्हारें,निरख…

भगवत शरण श्रीवास्तव ‘शरण’ – (परिचय)

भगवत शरण श्रीवास्तव ‘शरण’ जन्म स्थान: फ़र्रुख़ाबाद (उ.प्र.) भारतनिवास: कैम्ब्रिज (ओंटेरिओ)शिक्षा: एम.ए.; एलएलबी.प्रकाशन: देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में गीत, ग़ज़ल इत्यादि प्रकाशित। 2006 में काव्य संकलन ‘मृग तृष्णा’ प्रकाशितसम्मान: हिन्दी चेतना…

मुझे क्या मिला – (कविता)

मुझे क्या मिला कभी कभी सोचा करता हूँ मुझे क्या मिलातीस वर्ष तक तीन देश में अध्यापन करशोधकार्य में शिक्षण में भी नाम कमायासतत परिश्रम करने पर भी मुझे क्या…

ओ ईंट – (कविता)

ओ ईंट काली मिट्टी में से पाथकरपथेरे ने रूप बदला तेराओ ईंट!ओ कच्ची-पीली सीजून भोगती ओ ईंट!अनचाही, अनजानी ठोकरेंखा-खा कर टूटती रही तूटोटे होकर सखियों सेबिछुड़ती रही तूअपनों के भी…

सेंक – (कविता)

सेंक ककरीली रातों मेंपड़ता सेंकना अलावकाम कोयलों का जलनाबनना अंगारेहो जाता चिखा का सेंक,लेकिन सेंका न जाये जो ***** – बमलजीत ‘मान’ * ककरीली= कोहरे वाली; चिखा= चिता

बमलजीत ‘मान’ – (परिचय)

बमलजीत ‘मान’ जन्म स्थान: मोगा (पंजाब) वर्तमान निवास: बोमनविल, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.,बी.एड. संप्रति : सेवानिवृत्त शिक्षक प्रकाशित रचनाएँ: काव्य पुस्तक : ‘सो क्यों विसरै’ लोकप्रिय पंजाबी भाषा की साहित्यिक पत्रिकाएँ…

प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ की हाइकु – (हाइकु)

प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ की हाइकु 1. झीनी चूनरशालीनता दर्शा तेबदरा लौटे। 2. छम छपाक!औंधी सीधी टपकेंबूँदें बेबाक। 3. धूप का पारासातवें आसमाँ पेबूँदें उतारें। 4. प्रीत न बंधे!मुठ्ठी भिंची रेत…

आईना – (कविता)

आईना कई दिनों बादअपने आप को आजआईने में देखा,कुछ अधिक देर तककुछ अधिक ग़ौर से! रूबरू हुई–एक सच्ची सी सूरतऔर उसपर मुस्कुरातीकुछ हल्की सी सिलवट,बालों में झाँकतींकुछ चाँदी की लड़ियाँ,आँखों…

कटघरा – (कविता)

कटघरा जाने क्यों और कैसेरोज़ ही अपने कोकटघरे में खड़ा पाती,वही वकीलवही जजऔर वहीबेतुके सवाल होते,मेरे पासन कोई सबूतऔर न गवाह होते,कुछ देर छटपटा करचुप हो जाती,मेरी चुप्पीमुझे गुनहगार ठहराती,वकील…

फिर वही – (कविता)

फिर वही वही खिड़कीवही कुर्सीवही इलायची वाली चायवही पसन्दीदा कपवही थकनवही सवालऔर वही जवाब!उफ्फ!ये बेहिसाब ज़िम्मेदारियाँ!लाइन लगाकरहमेशा तैनात,जाने कब ख़त्म होंगी . . .जाने कब सब बड़े होंगे..जाने कब मुझे…

मुलाक़ात – (कविता)

मुलाक़ात नहीं है, तो न सहीफ़ुर्सत किसी को,चलो आज ख़ुद से,मुलाक़ात कर लें! वो मासूम बचपन,लड़कपन की शोख़ी,चलो आज ताज़ा,वो दिन रात कर लें। वो बिन डोर उड़ती,पतंगों सी ख़्वाहिशें,बेझिझक,…

एक क्षितिज – (कविता)

एक क्षितिज ऐसा लगता है कि समयहौले-हौले चुपचापसरकता जा रहा हैचुपके-चुपके। ऐसा लगता है किजैसे बालू के ढेर पर रक्खे हों पैरऔर रिसते जा रहे हों रजकण,तलवों के नीचे से,धरा…

धर्म क्या है? – (कविता)

धर्म क्या है? धर्म वह है, जो शाश्वत है,अपने पराये के भेद से परे है। धर्म वह है, जो सजग है,सहज है, सुलभ है। धर्म वह है, जो क्षमाशील है,उदार…

वर्ष नव, हर्ष नव – (कविता)

वर्ष नव, हर्ष नव वर्ष नव, हर्ष नवजीवन उत्कर्ष नव उत्साह नव, अभिलाष नवपरियोजना संकल्प नवस्वप्न नव, योजना भविष्य नवउल्लास नव, संघर्ष नवउद्घोषणायें जोश नवविश्वास नव, परिहास नवगति शील उद्यमोन्मुख…

हम कामयाब हैं – (कविता)

हम कामयाब हैं सफलता के क़दम छोटे,सभी अतिशय अहम होते,हम कामयाब हैं। छोड़ कर निज देश अति प्रिय,आये हैं विदेश दूर,बनाया है स्वदेश इसे,हम कामयाब हैं। संतति से, संस्कृति से,सजाया…

व्यर्थ उम्मीदें – (कविता)

व्यर्थ उम्मीदें अपने हिस्से के ग़म,ख़ुद ही सँभालने होंगेकोई आएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर मंज़िलें अपने ही पैरों केतले मिलती हैंकोई बैसाखियाँ लाएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर कल…

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