Category: कनाडा

गणित के आयाम – (कविता)

गणित के आयाम प्रकृति जब तूलिका चलाती हैतो लिखती गणित के आयामयही रचना वेदों का आधारजीवन के रहस्य खोलता है गणित ज्ञान न्याय समता, महत सिद्धांतगणित सिखलाता सहज विधानगणित का…

मुझको ले चल तू बादल पर – (कविता)

मुझको ले चल तू बादल पर (नातिनी को पीठ पर चड्डू देते समय) चल मेरे घोड़े तू तिक तिक,मुझको ले चल तू बादल परपहले देखूँ क्या है ऊपर,और देखूँ क्या…

प्रणय गीत – (कहानी)

प्रणय गीत मैं प्रणय के गीत गाऊँ या न गाऊँतुम मुझे स्वीकार लेनाप्रात: अँधियारे सितारे जो छुपेतुम उन्हें मत भूल जाना …मैं प्रणय … समय की नियत है ऐसीदुःख सदा…

पागल मन यूँ ही उदास है – (कविता)

पागल मन यूँ ही उदास है पागल मन यूँ ही उदास है,कितना सुन्दर आसपास है। काले बादल के पीछे सेझाँक रही इक किरण सुनहरी,सारे दिन की असह जलन केबाद गरजती…

मगर उपवन मिला – (कविता)

मगर उपवन मिला कुछ मिले काँटे मगर उपवन मिला,क्या यही कम है कि यह जीवन मिला। घोर रातें अश्रु बन कर बह गईं,स्वप्न की अट्टालिकायें ढह गईं,खोजता बुनता बिखरते तंतु…

देवदार के पेड़ – (कविता)

देवदार के पेड़ शीश झुका कर ज्यों रोये हैंदेवदार के पेड़ बादल के घर ताक-झाँककरने की उनको डाँट पड़ी हैभरी हुई पानी की मटकीसर से टकरा फूट पड़ी है सूरज…

तोड़ कर सब वर्जनाएँ – (कविता)

तोड़ कर सब वर्जनाएँ तोड़ कर सब वर्जनाएँस्वप्न सारे जीत लेंगेएक दिन हम॥ राह में जो धूल कीआँधी उड़ी,क्या पता क्योंसमय की धारा मुड़ी,मंज़िलों के रास्ते भीथे ख़फ़ा,साथ में फिर…

बसंत तेरे स्वागत में – (कविता)

बसंत तेरे स्वागत में बसंत तेरे स्वागत मेंठूँठ पड़े हिस्सेपाते संजीवनसिरहन, थिरकन, नवरूपनशब्द-रंग में नितरमन का सूनापनपहुँचातामेरी टीस तुम तककोमल कोंपल छलककार्डिनल कूजत अथक ***** – मधु भार्गव

मेरी स्ट्रीट – (कविता)

मेरी स्ट्रीट है बहुत सुन्दर, मेरी स्ट्रीटदस हज़ार साल से पुरानी कॅरिंग प्लेस ट्रेलइसी पर थे फ़र्स्ट नेशन लोग सदा-सदा चलेहम्बरतटे, ऊँचे-ऊँचे संतरी ओक हैं खड़ेमेपल, बर्च, बीच, गिंगको मनोहर…

क्षणिकाएँ – (कविता)

क्षणिकाएँ 1. ढलते सूरज का गुलाबी दुपट्टासफ़ेद बर्च से लिपटा लिपटासजीला ओक उन्हें देख मुसकाएगुलाबी गुलाबी ख़ुद भी हो जाए 2. जैसे रूई के बादल सेयत्र तत्र छि तरे-छितरेस्नो फ़्लेक…

मधु भार्गव – (परिचय)

मधु भार्गव जन्म स्थान: नई दिल्ली वर्तमान निवास: टोरोंटो, कनाडा शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक तथा निष्णात डिग्री तक अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन। नेशनल संग्रहालय, नई दिल्ली से भारतीय संस्कृति…

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु – (हाइकु)

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु 1. कैसा नगरकोई ना पहचानेहम घूमते 2. केवल मकाँबीच कोई सड़कबैठोगे कहाँ? 3. अकेला पत्तालहराता रहा हैशीत ऋतु में। 4. थोड़ी सी छाँवतेरी नीली छतरी,हमें भी…

दे सको तो दे दो – (कविता)

दे सको तो दे दो जो कभी देने पर आओ, तो देना,मुझे मेरी स्वतंत्र उड़ान,मेरी कोमल आशायें,मेरी आत्मा की आवाज़,मेरी अनुभूति,मेरी अभिव्यक्ति। जो कभी देने पर आओ, तो देना,मेरी चाहत…

रूपांतरित – (कविता)

रूपांतरित मेरा भी रूपांतरण हो गया,धरती थी मैं, वृक्ष हो गई,धरती से उपजा यह तन मन,धरती ने ही दी तुमको महक। सुगंध भर दी साँसों में तुम्हारी,रंग रूप दिया और…

सुनो मुझे चाहिए – (कविता)

सुनो मुझे चाहिए सुनो, नहीं चाहिए तुम्हारी जायदाद,तुम्हारी कोठी, तुम्हारा रुतबा,तुम्हें मुबारक तुम्हारी शान। हमें तो बस, एक छोटी सी क्यारी थी चाहिए,जिसमें सुबह ही खिल उठती, थोड़ी हँसी,ज़रा सा…

भुवनेश्वरी पांडे – (परिचय)

भुवनेश्वरी पांडे जन्म-स्थान: भुवनेश्वर, उड़ीसा वर्तमान निवास: टोरोंटो, ओंटारियो शिक्षा: स्तानक (L.L.B.) प्रकाशित रचनाएँ: अग्नि (कहानी संग्रह), डायल मी माधव (काव्य संग्रह), आओ बच्चों हम तुम गायें (बाल गीत) लेखन-विधाएँ:…

कृषक – (कविता)

कृषक है कौन कृषक जोकपास की खेती अंबर में करता है?नाना प्रकार के खिलौनेप्रति दिन रूई के रचाता है,जाने कैसे बिन डोरी केमेघ नभ में लटकाता है?अरु घुमा घुमा कर…

वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे – (कविता)

वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे जो मुझको तुम समझते हो नित,वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे,नौ द्वार के प्राकृतिक भवन मेंहम मनुज निवास करते सारे,राजा और उसका अमूल्य महलनहीं…

तरु संवाद – (कविता)

तरु संवाद शंकुल जाति के देवदारु ’सीडर’ने यहपर्णपाती ’मेपल’ से प्रश्न किया,क्यों हो रहा तव रंग इस तरह से पीलातब भीमकाय मेपल ने उत्तर दिया। (शरद)ग्रीष्म का गमन है होता…

कविता – (कविता)

कविता अनुभूति करने की कवि में क्षमता,व्यक्त करे वह बनती है कवितापानी में ही यदि हो दरिद्रताकैसे बहेगी सुरसरिसी सरिता? वारि बहन ही आपगा नहीं है,शब्द चयन ही कविता नहीं…

Translate This Website »