रोशनी का संचार – (कहानी)
रोशनी का संचार भावना कुँअर सोसाइटी में सभी लोग नये साल के जश्न की तैयारी में जुटे थे। हर तरफ़ रंगीन कनातें तन चुकी थीं। सोसाइटी के कुछ हिस्से रंग-बिरंगी…
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रोशनी का संचार भावना कुँअर सोसाइटी में सभी लोग नये साल के जश्न की तैयारी में जुटे थे। हर तरफ़ रंगीन कनातें तन चुकी थीं। सोसाइटी के कुछ हिस्से रंग-बिरंगी…
सुनहरी किरण अनु बाफना रात के सन्नाटे में जीप धांय-धांय उड़ी जा रही थी…किरण ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठी थी। कांस्टेबल ओम प्रकाश गाडी चला रहा थे। पीछे…
झूठ अच्छे होते हैं …. -अनु बाफना दीदी आपने झूठ क्यों बोला? उमा ने मुँह बनाते हुए शिकायती लहज़े में कहा। क्या हो गया उमा रानी ?- स्वाति ने शरारती…
रद्दी के टुकड़े -अनु बाफना ‘पर ये अचानक ..क्या हुआ है तुमको केशवी ..?” ‘व्हाई आर यू बीइंग सो मैलोड्रामैटिक ?”- ओफ्फो…जस्ट कांट बेयर योर मूड स्विंग्स यार !-‘ इट्स…
तीन पुतले विजय विक्रान्त महाराजा चन्द्रगुप्त का दरबार लगा हुआ था। सभी सभासद अपनी अपनी जगह पर विराजमान थे। महामन्त्री चाणक्य दरबार की कार्यवाही कर रहे थे। महाराजा चन्द्र्गुप्त को…
संवेदनशील मनोवृत्ति कौशल किशोर श्रीवास्तव मेलबर्न महानगर का एक चर्चित उच्च विद्यालय। आठवें वर्ष की कक्षा में प्रवीण विद्यार्थियों का समूह, तेरह-चौदह वर्ष के हमउम्र लड़के और लड़कियों की संख्या…
शिक्षक की परीक्षा कौशल किशोर श्रीवास्तव आज शिक्षक दिवस का पुनीत अवसर था। एक ऐसा दिन जब सारा समाज शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है, बच्चों में ज्ञान और…
दस्तक कौशल किशोर श्रीवास्तव मेलबर्न शहर, वर्ष 2020 का उत्तरार्ध, कोरोना वायरस महामारी का वैश्विक प्रकोप, मृत्यु की काली छाया, लोगों में दहशत, सर्वत्र लॉकडाउन, घर से पाँच किलोमीटर से…
दो पाटों के बीच रोहित कुमार हैप्पी रेडियो पर गीत बज रहा है और बूढ़ी हो चली भागवन्ती जैसे किसी सोच में डूबी हुई है। तीन-तीन बेटों वाली इस ‘माँ’…
चायवाला रोहित कुमार हैप्पी गंगाधरन पहली बार भारत आया था। वैसे तो वह फीजी से था लेकिन अब कई वर्षों से न्यूज़ीलैंड में आ बसा था। यहाँ के बड़े उद्यमियों…
आ अब लौट चलें… -रोहित कुमार हैप्पी स्वर्ग पाने के बाद भी एक आत्मा नाखुश थी। भूलोक के लोग अकसर स्वर्ग पाने के लिए लालायित रहते हैं लेकिन इस आत्मा…
चंदा मामा दूर के -रेखा राजवंशी आज मेरा जन्मदिन है। बर्थडे नहीं बल्कि वह दिन, जिस दिन मैं अपनी माँ की कोख से जन्म लूंगा। माँ और पापा बहुत खुश…
तलाश -रेखा राजवंशी मेरा नाम नेटा है, किसने रखा, शायद मेरे माता पिता ने रखा होगा। या शायद बाद में मेरे इंस्टीट्यूशन ने रखा हो। पर इससे क्या फर्क पड़ता…
आधी माँ, अधूरा कर्ज़ -आरती लोकेश आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला एक…
पड़ोसी धर्म -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार सुबह से रीमा का माथा ठनका हुआ था। रात उसने डेढ़ बजे तक पढ़ाई की थी और कुछ दिनों से परीक्षा के टेंशन में…
वे जरी के फूल – सूर्यबाला तब राधा मौसी की शादी थी। और औरतों का कोई ठिकाना नहीं था कि कब वे बरामदे में बिछी दरी पर इकट्ठी हो, ढोल-मजीरे…
वाचाल सन्नाटे – सूर्यबाला मैं उन्हें बहुत पहले से जानती हूं।… मेरे देखते-देखते कहानी बन गई वे। कुल साढ़े छः सात मिनट की कहानी। (साठ सत्तर साल लंबी जिंदगी की।)…
दादी और रिमोट -सूर्यबाला चूँकि इसके सिवा कोई चारा न था… गाँव से दादी ले आई गईं। हिलती-डुलती, ठेंगती-ठंगाती। लाकर, ऊँची इमारतों वाले शहर के सातवें माले पर पिंजरे की…
कागज की नावें चांदी के बाल -सूर्यबाला मैं बहुत छोटी हूँ। वैसा ही वह भी। सिर्फ दो दर्जे उफपरवाली क्लास में। अपनी कोठी की घुमावदार सीढ़ियों पर बैठी मैं रंग-बिरंगे…
कहां कहां से लौटेंगे हम…..! – सूर्यबाला मेधा, बेटू और साशा, ढाई हफ्तों की बोरियत भरी थकान के बाद अपनी-अपनी सीटों पर लुढ़क लिए हैं। बच रहा मैं, अपनी मनमानी…