Month: October 2024

हिमालिनी – (पत्रिका)

हिमालिनी Home क्लिक करें हिमालिनी नेपाल से प्रकाशित होने वाली क वर्ग में सूचिकृत मासिक हिन्दी पत्रिका है। यह १९९८ से लगातार प्रकाशित होती आ रही है। सूचना और संचार…

एफएम 107 उर्दू रेडियो, क़तर – (रेडियो चैनल)

एफएम 107 उर्दू रेडियो, क़तर रेडियो सुनने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें https://www.urduradio.qa/ एफएम 107 उर्दू रेडियो, क़तर एफएम 107 उर्दू रेडियो कतर मीडिया कॉर्पोरेशन (क्यूएमसी) का…

रेडियो ऑलिव 106.3 FM, कतर – (रेडियो चैनल)

रेडियो ऑलिव 106.3 FM कतर सुनने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें https://olive.qa रेडियो ऑलिव 106.3 FM कतर का नंबर 1 हिंदी रेडियो स्टेशन है, जिसके 1.6 मिलियन से…

शशिकांत जी के नवीन गीत-संग्रह ‘नैया डाल लहर में माँझी’ का भव्य लोकार्पण – (रिपोर्ट)

शशिकांत जी के नवीन गीत-संग्रह ‘नैया डाल लहर में माँझी’ का भव्य लोकार्पण दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के संगोष्ठी कक्ष में साहित्यिक संस्था वयम् की ओर से कवि और…

परदेस में पतझड़ – (कहानी)

परदेस में पतझड़ –अरुणा सब्बरवाल वह भी अकेला बैठा था। बिलकुल अकेला, सिकुड़ा सा। वहीं, जहाँ वो अक्सर बैठा करता है। उसी सार्वजनिक बैंच पर। जो मॉरीसन सुपरमार्केट के राउंड…

विज्ञान व्रत की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

विज्ञान व्रत की ग़ज़लें -एक- मैं था तनहा एक तरफ़और ज़माना एक तरफ़ तू जो मेरा हो जातामैं हो जाता एक तरफ़ अब तू मेरा हिस्सा बनमिलना-जुलना एक तरफ़ यों…

विज्ञान व्रत – (परिचय)

विज्ञान व्रत जन्म-तिथि : 17 अगस्त 1943 जन्म-स्थान : तेड़ा (मेरठ) उ प्र शिक्षा : M A ललित कला, B. Ed, डिप्लोमा — चित्रकला (राजस्थान) सम्प्रति : लेखन तथा चित्रकला…

वसन्त तो आ चुका है – (कविता)

वसन्त तो आ चुका है पक रहा है मौसमअमराइयाँ खदक रही हैं मीठी आँच परतितलियों पर मढ़ा हुआ सोनाचम-चम चमक रहा हैचंगुलों में लौट आयी हैं सुगंधियाँ;पूरे उफान पर है-नुचे…

दलदल के फूल – (कविता)

दलदल के फूल मैंग्रूव के जंगलों में छितरायीअनगढ़ और भयावनी दुनियाबदलती रहती हैहर घण्टे अपना चेहरापीछे से समन्दर भीमैदान बदल-बदल करखेलता रहता हैलहरों के खेल… सरकण्डों और मिट्टी के सहारे…

कमीज़ – (कविता)

कमीज़ कमरे की दीवार परखूँटी से झूलती कमीज़मेरी अपनी पहचान हैगोकि मसक गयी है जगह -जगह सेपर वर्षों बाद भी उतरा नहीं है इसका कड़क रंग बनिये की पुरानी उधारीऔर…

सबसे सुंदर लड़की – (कविता)

सबसे सुंदर लड़की सबसे सुंदर लड़कीकाँपती रहीलहरों में-थर-थरसिवार सी,सिहरती रहीआर्द्र दूब परनंगे पाँव। तिनके-तिनकेबहती रहीबारिशों मेंवक्त बे वक़्त;फेरती रहीआँख-हर मुस्कुराहट से,खींचती रहीहाथ-दोस्तों के हाथों से,डरती रही-परदेसी आसमानों से,प्रेमविह्वलपंछियों से। सबसे…

स्त्रियाँ – (कहानी)

स्त्रियाँ स्त्रियाँ पागल रहती हैं-किसी न किसी प्रतीक्षा में;यही नहीं कि बाहर गये लोग कब लौटेंगे वापसया कब कोई अतिथि दे देगा दस्तक द्वार परबल्कि स्त्रियाँ कुछ-कुछ पंछियों की तरह…

झिमिर झिम- झिम… – (कविता)

झिमिर झिम- झिम… जोड़ टूटे, बंद टूटे,बदलियों के छंद टूटे झिमिर झिम- झिम…झिमिर झिम- झिम… प्रात सावन, रात सावन,गूँध प्यासे गात सावन,पड़ गयी छोटी यवनिका-और रेशम कात सावन, झिमिर झिम-…

कोए से दिन – (कविता)

कोए से दिन फिर आएरेशम केकोए से दिन … धूप की नदीजैसेपिघला पीला संगमरमर,छायाएँलगी काँपनेडोंगियों सी ज़मीन पर,पानी-सा मन –सोने के साँपों के पोए से दिन… हर सम्मोहनटूटासूरज का जैसे…

मेघ ये आषाढ़ के – (कविता)

मेघ ये आषाढ़ के मेघ ये आषाढ़ के… बाँध कर साफे धुले, एक- सी लय में खड़े, ये चलें तो- आसमानी फर्श- फाहे सा उड़े, छतरियाँ सिर पर धरे, धूप…

वे बोलेंगे… – (कविता)

वे बोलेंगे… वे बोलेंगे…जिन कण्ठों में स्वर सच्चे हैं –वे बोलेंगे …जिनके सीने भीग रहे श्रम के पानी से,जिन आँखों में कच्ची मिट्टी के सपने हैं,इन्तजार में जो हैं –कब…

किरनों के मोरपंख – (कविता)

किरनों के मोरपंख किरनों के मोरपंखधूप लगी नोचने,चिड़ियों कोदर्द दिये-चिड़िये की चोंच ने… कागज़ की रोटियाँपंजों से बेल कर –कैसे फुसलायेगी ?पकड़ेगी हर शिकार –किधर खेल-खेलकर ?माथे पर –बल डाले-शाम…

राजीव श्रीवास्तव की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

राजीव श्रीवास्तव की ग़ज़लें -एक- पानी पानी धूप बिछी है, पाँव न रख, जल जायेंगे।हँस-हँस कर मिलने आये हैं, रो कर बादल जायेंगे। पुरखों की थाती यदि आँगन से विस्थापित…

राजीव श्रीवास्तव

डॉo राजीव श्रीवास्तव जन्म-स्थान : चौक, वाराणसी शिक्षा : एम. फिल., पी-एच.डी. (हिंदी साहित्य) प्रकाशित पुस्तकें : गीत, गज़ल, नवगीत और कविताओं के पांच पुस्तकों के अतिरिक्त कहानी और व्यंग्य…

छोटा सा शीश महल – (कहानी)

छोटा सा शीश महल -अरुणा सब्बरवाल परेशान थी वह। परेशानियों जैसी परेशानी थी। दिल में एक दर्द जमा बैठा था। पिघलता ही नहीं। आकाश से बर्फ गिरती है। दो-तीन दिन…

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