Author: वैश्विक हिंदी परिवार

रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में ‘एशिया फेस्ट’ का आयोजन – (रिपोर्ट)

रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में ‘एशिया फेस्ट’ का आयोजन रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में ‘एशिया फेस्ट’ का आयोजन वैश्विक स्तर पर किया गया । इस आयोजन का मूल उद्देश्य प्राच्य…

ओणम त्यौहार मॉल्डोवा में – (रिपोर्ट)

ओणम त्यौहार मॉल्डोवा में पिछले दिनों मोल्दोवा के “निकोले टेस्टेमिसानु स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड फार्मेसी “में ओणम महोत्सव मनाया गया। समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हुए जिनकी सभी…

डाक टिकट : दो देशों की दोस्ती को जोड़ने वाला एक सांस्कृतिक पुल – (रिपोर्ट)

डाक टिकट : दो देशों की दोस्ती को जोड़ने वाला एक सांस्कृतिक पुल रोमानिया ने डाक टिकट जारी किया डाक टिकट, सदैव से ही दो देशों की दोस्ती को जोड़ने…

फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष – (समीक्षा)

फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य भारत से 1893 में एक करारबद्ध मजदूर के रूप में फीजी लाए गए थे। आपका जन्म 1876 में…

फीजी में हिंदी शिक्षण का अलख जगाती हिंदी सेवी श्रीमती सुकलेश बली से साक्षात्कार – (साक्षात्कार)

फीजी में हिंदी शिक्षण का अलख जगाती हिंदी सेवी श्रीमती सुकलेश बली से साक्षात्कार “हिन्दी से घबड़ाइए नहीं। आप जैसे हिंदी फिल्में देखते हैं, गाने गुनगुनाते हैं वैसे हिन्दी भाषा…

‘जीवन एक अहर्निश यात्रा : दिव्या माथुर’ – (आलेख)

जीवन एक अहर्निश यात्रा : दिव्या माथुर -अनिल जोशीanilhindi@gmail.com दिव्या जी वास्तविक अर्थों में एक वैश्विक प्राणी हैं। पिछले कुछ महीनों में लंदन- दिल्ली, मुंबई, मारिशस, लंदन और अब सिंगापुर…

गिरमिटियों की व्यथा – (नाटक)

गिरमिटियों की व्यथा – सुभाषिनी लता कुमार पात्र परिचय :अमर सिंह- (अमरु) 19 या 20 साल का युवकमाँ- अमरु की माँ, लगभग 50 साल की महिलासेठ कड़ोरीमल- गाँव का जमीनदार,…

ख्यालों में गुम – (कविता)

ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…

ऋण – (कविता)

ऋण दिव्य शक्तियों की बात पुरानीशास्त्रों में मिलती कई कहानीवेदों का अनंत ज्ञानप्रकृति का करता गुणगानप्राचीन काल सेगहरी आस्था हमारीजिससे है सृष्टिजन जवीन सारीपृथ्वी, जल, वायु, अग्नि आकाशपंच महाभूतों के…

इंटरनेट वाला प्यार – (कहानी)

इंटरनेट वाला प्यार –सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं बा शहर के एक छोटे…

फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति – (लेख)

फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति डॉ. सुभाषिनी कुमार फीजी द्वीप समूह एक बहुसांस्कृतिक द्वीप देश है जिसकी सांस्कृतिक परंपराएं महासागरीय यूरोपीय, दक्षिण एशियाई और पूर्वी एशियाई मूल की हैं।…

पंडित कमला प्रसाद मिश्र : फीजी के राष्ट्रीय कवि – (आलेख)

पंडित कमला प्रसाद मिश्र : फीजी के राष्ट्रीय कवि डॉ. सुभाषिनी कुमार पंडित कमला प्रसाद मिश्र हिंदी जगत के एक जाज्वल्यमान सितारे रहे हैं। हिंदी के प्रति उनकी तपस्या से…

गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान – (आलेख)

गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य ने अपने गिरमिट अनुभव को ‘फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष’ नामक पुस्तक में…

अपना बसिंदा – (कविता)

अपना बसिंदा आज कल न जाने क्योंदिन घिसते-घिसतेरात हो जाती हैऔर रात – एक लम्बी बनवासदिखाई देती है मुझेये सूरज चाँद सितारेलेकिन दिखता नहीं क्योंअपना बसिंदा आम का पेड़जो सालों…

ये दिवाली वो दिवाली – (कविता)

ये दिवाली वो दिवाली क्या याद है तुम्हेंअपनी वो दिवालीउस गाँव केछोटे से घर परअब तोकई साल बीत गए हैंछूट गया गाँवटूट गया वो घरहमारी दिवाली के बीचआमावस आ गई…

मदहोश परिंदे! – (कविता)

मदहोश परिंदे! ऐ थम जा मदहोश परिंदे!ये चाँद सी तड़पसूरज सी जलनअरमानों कोराख कर देगाहमारे सपनों कोखाक कर देगाऐ थम जा मदहोश परिंदे!उड़ना मुझको आता नहींजलना हमें गवारा नहींतुम उस…

एक चेहरा – (कविता)

एक चेहरा हजारों चेहरों मेंमैं ढूँढ़ रहा हूँछोटी सा आरजू लेकरवहीं नगर वहीं डगरघूम रहा हूँघूम रहा हूँघूम रहा हूँआँखों में बसी हैतेरे घुँघराले बालऔर चमचमाते झुमकेजो कर देती है…

पिंजरा – (कविता)

पिंजरा एक छोटी सी पोटलीएक मीठा सा सपनालेकर झगरूचला सात समुद्र पारबारह सौ मील दूरजब आँख खुलीतो पाया रमणीक द्वीपसाहब का कटीला चाबुकऔर भूत लैन मेंएक अंधेरा कमरारोया, गाया, भागा,बहुत…

नाम में का रखा है! -(कहानी)

नाम में का रखा है! -खमेन्द्रा कमल कुमार चलो सुनाई तुम लोग के एक कहानी। तो सुनो! सुन्दर दिन रहा, चटक घाम निकला और मंद मंद पुरवैया चलत रहा। जब…

चलो मुलुक – (कहानी)

चलो मुलुक खमेंद्रा कमल कुमार हम भी सोचा कि ई कौन झंझट में फस गवा। दुई चार पेनी पैसा बचा है, जनाइ बुढ़ापा में यहो डूब जई। ई सब मुसीबत…

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