Category: भौगोलिक इकाई

इन्द्रधनुषी लहर – (कविता)

इन्द्रधनुषी लहर सुदूर देश की पुरवाई सेआख़िर आ ही जाती है,मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . .होली, दिवाली के रंगों औरदीयों में बिखरती –झिलमिलातीसुनहरी खनक सबको सुनाने।…

पिता का दिल – (कविता)

पिता का दिल मज़बूत शरीर है यह जो दिखताअंदर मेरे भी है –कोमल सा दिल, मेरा अपना। है धुँधली सी, पर हैं गहरी यादें,देखा है छुप-छुपचुपके से आँसू पोंछते। भारी…

बसंत आया था – (कविता)

बसंत आया था बसंत आया था . . .बसंत-ऋतु का जादू भरमाती,प्रकृति इतराती, निखारती रूपजगत में करती उमंग-बहार का पसेरा।चकित हो देखा, अजान मानुस है बेख़बर,बन मशीनी पुतला,जी रहा है…

ये पत्ते – (कविता)

ये पत्ते अभी कल ही तो ये पत्ते शाख से जुड़े,एक प्राण, एक मन,एक जीव हो फले–फूले,अपने चरम उत्कर्ष की –ललक लिए जीए, अपनी पूर्णता से।आज पीली चादर में परिणित,शाख…

रेणुका शर्मा – (परिचय)

रेणुका शर्मा जन्म-स्थान: अजमेर, राजस्थान, भारत वर्तमान निवास: सास्काटून (सास्केच्वान) कैनेडा शिक्षा: स्नातकोत्तर, (हिंदी), एम. फि ल., पीएच.डी,.पी.जी. डिप्लोमा मासकम्युनिकेशन (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर), सीनियर रिसर्च एसोशिएट मुंबई विश्वविद्यालय। कस्टमर एंड…

मेरी आशाओं का देश – (कविता)

मेरी आशाओं का देश मेरा स्वदेश वो धरती हो,जहाँ सत्यमेव जयते सच हो हर वृक्ष जहाँ की थाती हो,जिसमें हर पशु की गिनती होजिसमें हर मानव,मानव हो, साकारसत्य शिव सुन्दर…

गणित के आयाम – (कविता)

गणित के आयाम प्रकृति जब तूलिका चलाती हैतो लिखती गणित के आयामयही रचना वेदों का आधारजीवन के रहस्य खोलता है गणित ज्ञान न्याय समता, महत सिद्धांतगणित सिखलाता सहज विधानगणित का…

मुझको ले चल तू बादल पर – (कविता)

मुझको ले चल तू बादल पर (नातिनी को पीठ पर चड्डू देते समय) चल मेरे घोड़े तू तिक तिक,मुझको ले चल तू बादल परपहले देखूँ क्या है ऊपर,और देखूँ क्या…

प्रणय गीत – (कहानी)

प्रणय गीत मैं प्रणय के गीत गाऊँ या न गाऊँतुम मुझे स्वीकार लेनाप्रात: अँधियारे सितारे जो छुपेतुम उन्हें मत भूल जाना …मैं प्रणय … समय की नियत है ऐसीदुःख सदा…

पागल मन यूँ ही उदास है – (कविता)

पागल मन यूँ ही उदास है पागल मन यूँ ही उदास है,कितना सुन्दर आसपास है। काले बादल के पीछे सेझाँक रही इक किरण सुनहरी,सारे दिन की असह जलन केबाद गरजती…

मगर उपवन मिला – (कविता)

मगर उपवन मिला कुछ मिले काँटे मगर उपवन मिला,क्या यही कम है कि यह जीवन मिला। घोर रातें अश्रु बन कर बह गईं,स्वप्न की अट्टालिकायें ढह गईं,खोजता बुनता बिखरते तंतु…

देवदार के पेड़ – (कविता)

देवदार के पेड़ शीश झुका कर ज्यों रोये हैंदेवदार के पेड़ बादल के घर ताक-झाँककरने की उनको डाँट पड़ी हैभरी हुई पानी की मटकीसर से टकरा फूट पड़ी है सूरज…

तोड़ कर सब वर्जनाएँ – (कविता)

तोड़ कर सब वर्जनाएँ तोड़ कर सब वर्जनाएँस्वप्न सारे जीत लेंगेएक दिन हम॥ राह में जो धूल कीआँधी उड़ी,क्या पता क्योंसमय की धारा मुड़ी,मंज़िलों के रास्ते भीथे ख़फ़ा,साथ में फिर…

बसंत तेरे स्वागत में – (कविता)

बसंत तेरे स्वागत में बसंत तेरे स्वागत मेंठूँठ पड़े हिस्सेपाते संजीवनसिरहन, थिरकन, नवरूपनशब्द-रंग में नितरमन का सूनापनपहुँचातामेरी टीस तुम तककोमल कोंपल छलककार्डिनल कूजत अथक ***** – मधु भार्गव

मेरी स्ट्रीट – (कविता)

मेरी स्ट्रीट है बहुत सुन्दर, मेरी स्ट्रीटदस हज़ार साल से पुरानी कॅरिंग प्लेस ट्रेलइसी पर थे फ़र्स्ट नेशन लोग सदा-सदा चलेहम्बरतटे, ऊँचे-ऊँचे संतरी ओक हैं खड़ेमेपल, बर्च, बीच, गिंगको मनोहर…

क्षणिकाएँ – (कविता)

क्षणिकाएँ 1. ढलते सूरज का गुलाबी दुपट्टासफ़ेद बर्च से लिपटा लिपटासजीला ओक उन्हें देख मुसकाएगुलाबी गुलाबी ख़ुद भी हो जाए 2. जैसे रूई के बादल सेयत्र तत्र छि तरे-छितरेस्नो फ़्लेक…

मधु भार्गव – (परिचय)

मधु भार्गव जन्म स्थान: नई दिल्ली वर्तमान निवास: टोरोंटो, कनाडा शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक तथा निष्णात डिग्री तक अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन। नेशनल संग्रहालय, नई दिल्ली से भारतीय संस्कृति…

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु – (हाइकु)

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु 1. कैसा नगरकोई ना पहचानेहम घूमते 2. केवल मकाँबीच कोई सड़कबैठोगे कहाँ? 3. अकेला पत्तालहराता रहा हैशीत ऋतु में। 4. थोड़ी सी छाँवतेरी नीली छतरी,हमें भी…

दे सको तो दे दो – (कविता)

दे सको तो दे दो जो कभी देने पर आओ, तो देना,मुझे मेरी स्वतंत्र उड़ान,मेरी कोमल आशायें,मेरी आत्मा की आवाज़,मेरी अनुभूति,मेरी अभिव्यक्ति। जो कभी देने पर आओ, तो देना,मेरी चाहत…

रूपांतरित – (कविता)

रूपांतरित मेरा भी रूपांतरण हो गया,धरती थी मैं, वृक्ष हो गई,धरती से उपजा यह तन मन,धरती ने ही दी तुमको महक। सुगंध भर दी साँसों में तुम्हारी,रंग रूप दिया और…

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