Category: प्रवासी कविता

देवनागरी लिपि – (कविता)

देवनागरी लिपि देव नागरी लिपि अनोखीभाव अर्थ की नहीं है दूरी अ अमृत की वर्षा हो सब परसभी सुखी हों जिस से हर पल। आ आंगन की तुलसी है न्यारीमानव…

निकट – (कविता)

निकट निकट जिस को निकट मानानिकट, विकट हो आ खड़ा है। विकट हो सब रीत डालाजीवन ऐसे बीत डाला। निकट होने की समस्याकर रही केवल तपस्या। निकट से कुछ मिल…

हिंदी की पुकार – (कविता)

हिंदी की पुकार आओ चले,निज भाषा की ओरजिससे है पहचान हमारीहिंदी हमारी मातृभाषाजहाँ है ज्ञान का भंडारभाषा है संस्कृति का आधार,सीख लोगे जब संस्कारहोंगे संगठित तब परिवार,बनेंगे घर-आँगन स्वर्ग समान,मिलेगा…

तुम्हारा साथ – (कविता)

तुम्हारा साथ तुम्हारा हाथजब थाम लेता हैहाथ मेराबेचैन मन कोमिलता हैएक मजबूत भरोसाजैसे चटकती धूप मेंमिल गई हो छाव कहीं। शाम की चाय होजब साथ तेरेराहत पा जाती हैदिनभर की…

दिल का मुसाफ़िर – (कविता)

कहाँ चले जा रहे हैं, कहीं तो जा रहे हैं, नहीं है ख़बरक्या चाहते हैं, पता नहीं, कुछ न कुछ तो मिलेगा मगर ऐसी ही उहा-पोह में जूझता बढ़ा जा…

कुछ कहना था – (कविता)

मौन की सीमाएँ लाँघकरघबराहट को पीछे बाँधकरभावों की उलझन समेटकरउमड़ती हुई हसरतें लपेटकरमुझे तुमसे कुछ कहना थामहफ़िलों में भी तन्हा रहता हूँख़ामोश सा सब कुछ सहता हूँतारे गिन-गिन हमने रात…

मैं और गणित – (कविता)

मैं और गणित प्रसन्नता में मैंने स्वयं को जोड़ा,अवसाद में स्वयं को घटाया,मद में स्वयं को गुणित किया,घोर निराशा में स्वयं को विभाजित किया, और आश्चर्य से पाया किइन सारे…

 छोटी छोटी बातें – (कविता)

छोटी छोटी बातें छोटी छोटी बातों में, कितना सुख समाया है !उनकी वो मुस्कुराहट, उनके आने की आहट,छोटी सी पाती में किसका सन्देसा आया है ?छोटी छोटी बातों में…. नन्हे…

माँ – (कविता)

माँ माँ बनकर ही मैंने जाना,क्या होता है माँ का प्यार।जिस माँ ने अनजाने ही,दे दिया मुझे सारा संसार॥ गरमी से कुम्हलाये मुखपर भी जो जाती थी वार।शीत भरी ठंडी…

मेरे जीवन का कैनवास – (कविता)

मेरे जीवन का कैनवास मेरे जीवन के कैनवास पर तुमने जो चित्र अंकित किया हैउसमें समय-समय पर कई-कई रंग बिखरते गए हैं एक दीर्घ समय तक का हमारा साथ,और उस…

बँधे-बँधे लोग – (कविता)

बँधे-बँधे लोग खुला आकाश,दूर-दूर तक फैली धरती,स्वच्छंद समीरणऔर बँधे-बँधे लोग। भले-बुरे विभिन्न कार्य-कलाप करते हुये,अपने-अपने अहम् के सूत्र से बँधे लोग।अपने से सशक्त देखा,उनकी परिधियों सेस्वयं को भी बाँधने लगे…

मैं और मेरी कविता – (कविता)

मैं और मेरी कविता कभी कभी मुझे ऐसा होता है प्रतीत,कि मेरी कविताओं का भीबन गया है अपना व्यक्तित्व । वे मुझे बुलाती हैं,हँसाती हैं, रुलाती हैं,बहुत दिनों तक उपेक्षित…

अभिशप्त – (कविता)

अभिशप्त पृथ्वी को केन्द्र मानकर,चाँद उसके चारों तरफ़घूमता रहता है। और स्वयं पृथ्वी भी तोविशाल विस्तृत पृथ्वी,शस्य-श्यामला पृथ्वी,रत्नगर्भा पृथ्वी, सूर्य केचारों ओर घूमती रहती है-बाध्य सी,निरीह सी,अभिशप्त सी। फिर भी,…

आकांक्षा – (कविता)

आकांक्षा थक चले हैं पाँव, बाहें माँगती हैं अब सहारा।चहुँ दिशि जब देखती हूँ, काम बिखरा बहुत सारा॥ स्वप्नदर्शी मन मेरा, चाहता छू ले गगन को,मन की गति में वेग…

बीते ऐसे दिन – (कविता)

बीते ऐसे दिन बीते ऐसे दिन बहुतेरे।बीते दिन बीती रातों में,सुधियों के बढ़ते से घेरे।बीते ऐसे दिन बहुतेरे॥ बचपन के सुन्दर सपनों मेंछिपा हुआ सुखमय संसार।सहजप्राप्य अभिलाषाओं मेंभरा हुआ सुख-चैन…

समय का वरदान! – (कविता)

समय का वरदान! बदल जाता समय-संग ही प्यार का प्रतिमान।समय का वरदान ! साथ था उनका अजाना, वह समय कितना सुहाना।एक अनजाने से पथ पर, युव पगों का संग उठना॥…

ख्यालों में गुम – (कविता)

ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…

ऋण – (कविता)

ऋण दिव्य शक्तियों की बात पुरानीशास्त्रों में मिलती कई कहानीवेदों का अनंत ज्ञानप्रकृति का करता गुणगानप्राचीन काल सेगहरी आस्था हमारीजिससे है सृष्टिजन जवीन सारीपृथ्वी, जल, वायु, अग्नि आकाशपंच महाभूतों के…

अपना बसिंदा – (कविता)

अपना बसिंदा आज कल न जाने क्योंदिन घिसते-घिसतेरात हो जाती हैऔर रात – एक लम्बी बनवासदिखाई देती है मुझेये सूरज चाँद सितारेलेकिन दिखता नहीं क्योंअपना बसिंदा आम का पेड़जो सालों…

ये दिवाली वो दिवाली – (कविता)

ये दिवाली वो दिवाली क्या याद है तुम्हेंअपनी वो दिवालीउस गाँव केछोटे से घर परअब तोकई साल बीत गए हैंछूट गया गाँवटूट गया वो घरहमारी दिवाली के बीचआमावस आ गई…

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