Category: प्रवासी कविता

दुविधा – (कविता)

दुविधा क्यों लिखूँ, किसके लिये?यह प्रश्न मन को बींधता है। लेख में मेरे जगत कीकौन सी उपलब्धि संचित?अनलिखा रह जाय तोहोगा भला कब, कौन वंचित?कौन तपता मन मरुस्थलकाव्य मेरा सींचता…

मेरा प्यार – (कविता)

मेरा प्यार टेक कर घुटने, झुका सिर,प्रेम का जो दान माँगे,हो किसी का प्यार लेकिन,प्यार वह मेरा नहीं है। रख नहीं पाया मान निज जो,प्यार वह कैसे करेगा?हीनता से ग्रस्त…

पीला पत्ता – (कविता)

पीला पत्ता रुको साथी, हटा लो हाथ को,न तोड़ो, छोड़ दो, पीले पड़े इस पात को। कहा तुमने, हरित इस डाल पर,यह अब नही सजता।नये, चिकने, चमकते किसलयों के बीच,है…

किस किस को ले डूबा पानी – (कविता)

किस किस को ले डूबा पानी किस किस को ले डूबा पानीपानी आख़िर निकला पानी ऐसे कब बरसा था पहलेअब के बरसा इतना पानी कच्चे घरों पर क्यूँ बरसा थापागल…

हुई मुद्दत कोई आया नहीं था – (कविता)

हुई मुद्दत कोई आया नहीं था हुई मुद्दत कोई आया नहीं थाये घर इतना कभी सूना नहीं था वो मेरा दोस्त था लेकिन कभी वोबुरे वक़्तों में काम आया नहीं…

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ – (कविता)

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआइक दिया मुंडेर पर जलता हुआ एक पत्ता शाख से गिरता हुआइक परिंदा आस्माँ छूता हुआ एक तितली फूल…

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं – (कविता)

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं जहाँ में इक तमाशा हो गए हैंहमें होना था क्या, क्या हो गए हैं नुमाइश कर रहे हैं ज़िन्दगी कीनज़ारा अच्छा ख़ासा हो…

कोई लहर – (कविता)

कोई लहर समुन्द्र की कौन सी लहरहमें ले जाएगी किनारेकौन सा किनाराहमें थाम लेगामट्टी का कौन-सा हिस्सा हमेंजकड़ लेगाहम नहीं जानतेन ही जानना चाहते हैंक्योंकि जान नहीं पाएंगेबस यही चाहते…

समझदार लोग – (कविता)

समझदार लोग लोग हैं लोगलोग हैं समझदारसमझदार लोग उठाते हैं आवाजेंउठ रही हैं हर तरफ से आवाजेंपर उठ नहीं रहे हैं लोगजो उठा रहे हैं आवाजेंक्योंकि लोग हैं समझदारऔर समझदार…

हिन्दी भाषा – (कविता)

हिन्दी भाषा हिन्दी है मेरी अनमोल प्यारी मातृभाषाबने सबकी अभिव्यक्ति की साख ऐसी अभिलाषाटोक्यो की हिन्दी सभा शिविर में आकर ये विचार आयाकरे हिन्दी के उत्थान के लिए कुछ ये…

इस देश में बसंत – (कविता)

इस देश में बसंत बैठ मुंडेर पर निहार रहा हैपथिक भ्रांत दृश्य एक ‌‌‌‌‍सामने उसके रचा हुआ हैरचनाकार का बसंत विशेष दिवास्वप्न-सा आगंतुक अविचल हैऋतुराज का दृश्य नवल नवीनमानो शाख…

कौन है यह? – (कविता)

कौन है यह? नन्ही सी छोटी सी जानकाम ढंग से करे तो महानना करे तो बने हैवानलचीली, फुर्तीली, सुरीली सुधा की यह तानयोगी का यह मानइंद्र का वर्चस्व येयोगी का…

श्रृंखला – (कविता)

श्रृंखला श्रृंखला किस की गिनूँमैं देश पर आघात कीनारी पर अत्याचार कीफैले हुये व्यभिचार कीश्रृंखला किस की गिनूँ निवस्त्र होती नार कीमनुष्य के विकार कीनिर्धन पर अत्याचार कीश्रृंखला किस की…

अनर्थ – (कविता)

अनर्थ तिनका तिनका मन चुगेमन का मिले ना मीत।मन का मीत जो मिलेसो मन से बाँधे प्रीत।कलियुग ऐसा आ धरासीता संग ना लाये। कहीं ओर जा कर प्रियकुलटा को घर…

हे हरि – (कहानी)

हे हरि हरि अनंत हरि कथा अनंतागुण गाऊँ कैसै भगवंतामैं मूरख, अक्षर ना जानूँदीजौ ज्ञान, प्रेम बस मानूँ।तू मेरे मन का, मनका हैसमता का गुण तुझ से पाऊँजीवन अपना सरल…

हे कृष्णा – (कविता)

हे कृष्णा हे कृष्णा, हे मुरारीमोहे हर लो मन की पीड़मन चंचल कैसै मैं बाँधूकुछ तो भर दो धीरहे कृष्णा मोहे मन की हर लो पीड़। में तो केवल माटी…

बातें – (कविता)

बातें किस की बातेंउस की बातेंमीठी बातें कढ़वी बातेंकुछ ऊँची, कुछ नीची बातेंलम्बी बातें, पल की बातेंरुसवा ना होना, कल की बातें। किस से कहूँ मैं मन की बातेंक्यों करते…

रिश्ते – (कविता)

रिश्ते रिश्ते बनते नहीं; होते हैंधागे में मोती से पिरोतै हैंकुछ बनाये जाते हैंकुछ बस दूर सोते हैंकुछ बस ना भी कहोकहीं अचानक खोते हैं रिश्ते सहेजने की ज़रूरत नहींवो…

हिंदी भाषा – (कविता)

हिंदी भाषा आओ बच्चों तुम्हें बताऊँबात इक बतलाती हूँछोटी सी कविता गा करमैं तुम को समझाती हूँ। जब भी छुट्टियाँ होती होगींनानी के घर जाओगेनानी को मिल कर अपनीक्या क्या…

मँजी – (कविता)

मँजी आज बरसो बाद मुझको लगामैं अपनी दादी के संग सोईचाँद सितारों के नीचे खोई।मंजी की रस्सी मेंपाया दादी का प्यारअनंत असीम शांति व दुलार।दुपट्टे में छिपायाअपने संग सुलाया।आज बरसो…

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