Category: प्रवासी साहित्य

तुम हंसती बहुत हो – (कविता)

तुम हंसती बहुत हो तुम हंसती बहुत हो,क्या अपनी उदासी कोइसके पीछे छिपाती हो?ये जो गहरा काजलतुमने आँखों में है लगायाकितने ही आंसुओं कोइनमें है छिपाया? खुद को मशरूफ रखनेका…

बचपन – (कविता)

बचपन ज़माना मुझे कुछ इस तरहइस तरह जीना सीखा रहा हैबाज़ार में बचपन को बेचभविष्य के सपने बुनना सीखा रहा है गणित ज़िंदगी कापाठशाला में नहींखुद दुनिया के बाज़ारसे सीख…

सवाल – (कविता)

सवाल एक सवाल हमेशामेरे मन में घर कर रहा हैहैरान हूँ, परेशान हूँलोग कहते हैं, हम इंसान हैंअगर हम इंसान हैसुनाई क्यों नहीं देतीचीखें हमें घायलों कीमहसूस होता दर्द क्यों…

परदेस – (कविता)

परदेस न तीज है, न त्यौहार हैपरदेस में लगता सूनासब संसार हैन सावन के झूलेन फूलों की बहार हैन आम की डाली परबैठ कोयल गाती मल्हार हैन लगते यहाँ तीजमेले…

देश हमारी जान – (कविता)

देश हमारी जान चलो उठाकर गर्व से मस्तक अपना हिन्दुस्तान है,इस पर आंच न आने देंगे, देश हमारी जान है। है नेतृत्व सबल हाथों में, हर मुश्किल आसान है,शत शत…

हिन्दुस्तान हमारा – (कविता)

हिन्दुस्तान हमारा भारत माता के चरणों पर तन मन धन सब वारा है,हिन्दुस्तान हमारा, हमको प्राणों से भी प्यारा है। लहराता जब अमर तिरंगा अनुपम लगे नज़ारा है,विश्व प्रेम के…

दर्शन करें श्री राम का – (कविता)

दर्शन करें श्री राम का आओ चलें हम अवध को, दर्शन करें श्री राम कापूजन, भजन, अर्चन करें, स्वागत करें श्री राम का कण कण में व्यापक है वही, शिव…

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती – (कविता)

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती बड़ी अनमोल होती है दोस्ती,दिलों से दिलों का जुड़ाव होती है दोस्ती,हर मुश्किल में साथ निभाने का एहसास है दोस्ती,हर अच्छे बुरे वक्त में…

पापा की यादें – (कविता)

पापा की यादें पापा याद तुम्हारी आती है,आंखों में नमी भर जाती है,बचपन की वो मीठी यादें,वो खेल खिलौने और फरियादें !वो भाइयों से लड़ना झगड़ना मेरा ,वो रो रो…

पापा – (कविता)

पापा पापा, तुम हो मेरे जीवन की सबसे अद्भुत रेखा,तुम्हारे आशीष ने लिखा मेरी किस्मत का लेखा।तुम्हारे मार्गदर्शन और साथ से ही मैंने सीखा,अपने सपनों को पंख देकर, उड़ने का…

सूत्रधार – (कविता)

सूत्रधार कर्म करना है मात्र कर्म तेरा, आगे की क्यों तू सोच करेफल देना तो है काम मेरा, तू क्यों मन में संताप धरे। मैं राम की मर्यादा, मैं सीता…

करे है क्यों गोरी श्रृंगार – (कविता)

करे है क्यों गोरी श्रृंगार (श्रृंगार छन्द) करे है क्यों गोरी श्रृंगार।तुझे क्या गहनों की दरकार।रूप तेरा है रस की धार।ओस में ज्यों भीगा कचनार। लुभाते हैं कजरारे नैन।लगाऊँ अंक…

कृष्ण पूरे नहीं राधिका के बिना – (कविता)

कृष्ण पूरे नहीं राधिका के बिना (गंगोदक सवैया) बात ऐसी भला आज क्या हो गयी,रूठ से क्यों गए हो बताओ पिया।भूल क्या हो गयी? चूक कैसी हुई?मौन क्यों बोल दो,…

तिलक करें दशरथ नंदन का – (कविता)

तिलक करें दशरथ नंदन का (चौपाई छन्द) सब भक्तों के पालनहारे, गूँज रहे उनके जयकारे।परमशक्ति सबके रखवाले, जय हो नीली छतरी वाले।आदि-अनंत शक्ति के दाता, धर्म-कर्म-वेदों के ज्ञाता। मितभाषी तुम…

उदित स्वर्णिम भोर – (कविता)

उदित स्वर्णिम भोर (रूपमाला छन्द) चैन की वंशी बजाती, नित्य स्वर्णिम भोर।वो सुहाना युग पुराना, खो गया किस छोर? खत्म आँखों से शरम ह स्वार्थ ठेकेदार।चढ़ गया मुख पर मुखौटा,…

अविचल रहना साधे मन को – (कविता)

अविचल रहना साधे मन को (वामा छन्द) मन व्यग्र बड़ा रातों जगता।सब उथल-पुथल जीवन लगता।प्रतिकूल परिस्थिति क्षुब्ध करे।चिंता विपदा के रंग भरे। तब हार नहीं मन मार नहीं।मन हार करे…

वैश्वीकरण और २१वीं सदी का भारत – (लेख)

वैश्वीकरण और २१वीं सदी का भारत -अनु बाफना If you don’t adapt, you will get left behind ! Change is the only constant ! दोनों ही कथन एकदम सटीक हैं…

बेशर्म – (लघु कथा)

बेशर्म –अनु बाफना दुबई शहर का नामी-गिरामी रेस्टोरेंट। शनिवार की शाम व समुद्र किनारे होने से लोगों से खचाखच भरा था। काशवी अपने पति और १५ वर्षीय बेटे के संग…

सुनहरी किरण – (कहानी)

सुनहरी किरण अनु बाफना रात के सन्नाटे में जीप धांय-धांय उड़ी जा रही थी…किरण ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठी थी। कांस्टेबल ओम प्रकाश गाडी चला रहा थे। पीछे…

झूठ अच्छे होते हैं…. – (लघु कथा)

झूठ अच्छे होते हैं …. -अनु बाफना दीदी आपने झूठ क्यों बोला? उमा ने मुँह बनाते हुए शिकायती लहज़े में कहा। क्या हो गया उमा रानी ?- स्वाति ने शरारती…

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