माँ – (कविता)
माँ माँ बनकर ही मैंने जाना,क्या होता है माँ का प्यार।जिस माँ ने अनजाने ही,दे दिया मुझे सारा संसार॥ गरमी से कुम्हलाये मुखपर भी जो जाती थी वार।शीत भरी ठंडी…
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माँ माँ बनकर ही मैंने जाना,क्या होता है माँ का प्यार।जिस माँ ने अनजाने ही,दे दिया मुझे सारा संसार॥ गरमी से कुम्हलाये मुखपर भी जो जाती थी वार।शीत भरी ठंडी…
मेरे जीवन का कैनवास मेरे जीवन के कैनवास पर तुमने जो चित्र अंकित किया हैउसमें समय-समय पर कई-कई रंग बिखरते गए हैं एक दीर्घ समय तक का हमारा साथ,और उस…
बँधे-बँधे लोग खुला आकाश,दूर-दूर तक फैली धरती,स्वच्छंद समीरणऔर बँधे-बँधे लोग। भले-बुरे विभिन्न कार्य-कलाप करते हुये,अपने-अपने अहम् के सूत्र से बँधे लोग।अपने से सशक्त देखा,उनकी परिधियों सेस्वयं को भी बाँधने लगे…
मैं और मेरी कविता कभी कभी मुझे ऐसा होता है प्रतीत,कि मेरी कविताओं का भीबन गया है अपना व्यक्तित्व । वे मुझे बुलाती हैं,हँसाती हैं, रुलाती हैं,बहुत दिनों तक उपेक्षित…
अभिशप्त पृथ्वी को केन्द्र मानकर,चाँद उसके चारों तरफ़घूमता रहता है। और स्वयं पृथ्वी भी तोविशाल विस्तृत पृथ्वी,शस्य-श्यामला पृथ्वी,रत्नगर्भा पृथ्वी, सूर्य केचारों ओर घूमती रहती है-बाध्य सी,निरीह सी,अभिशप्त सी। फिर भी,…
आकांक्षा थक चले हैं पाँव, बाहें माँगती हैं अब सहारा।चहुँ दिशि जब देखती हूँ, काम बिखरा बहुत सारा॥ स्वप्नदर्शी मन मेरा, चाहता छू ले गगन को,मन की गति में वेग…
समय का वरदान! बदल जाता समय-संग ही प्यार का प्रतिमान।समय का वरदान ! साथ था उनका अजाना, वह समय कितना सुहाना।एक अनजाने से पथ पर, युव पगों का संग उठना॥…
शायद मैं वही किताब हूँ गर ज़िन्दगी कोसफ़होँ में बाँट कर रखूँऔर खुद को किताब मान लूँतो शायदमैं वही किताब हूँजिसके पन्ने तुमने कभीधीरे से नहीं पलटेबस बन्द किताब कोअँगुलियों…
खुर्ची हुई लकीरें मेरे नाम को अपनी हथेलियों से मिटाने की कोशिश मेंअनजाने मेंअपनी ही कुछ लकीरों को भी खुरच दिया था उसनेसुर्ख रंग उभर आने परउन हथेलियों को उसी…
जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिले जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिलेउसने धूप को पानी पर बिखेर करसितारों को दिन में ही अपने घर…
हथेलियाँ पेड़ की शाख परअपनी कईं हथेलियाँ उगा दी थी मैंनेइसी राह से जाना हुआ था उसकामुझे पहचानने के लिएएक हाथ का इशाराउसके लिए शायद काफी न होबस इसीलिएपेड़ की…
पिता हो तुम गर्मी की दोपहर में जल कर जो साया दे वो दरख़्त होबच्चो की किताबों में जो अपना बचपन ढूंढेवो उस्ताद हो, तुम पिता हो तुमदुनिया से लड़ने…
फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लें फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लेंफिर किसी भी सूरत में ये मुरझाएंगे नहींजितना पुराने होंगे …और ज्यादा महकेंगेफूलों से कह…
ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है … ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है …जिसमे किसी के चेहरे की कुछ परतें …दिखाईं देती…
बारिश का ख़त बारिश को बाँध कर रोशनाई की जगहभर लिया था दवात मेंबस वही ख़ततुम्हारी खिड़की परकोहरे से लिखा है मैंनेउसे धीरे सेआफताब के सामने खोल करबूँद बूँद पढ़…
सब कृष्ण संग खेले फाग नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग रागभाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेले फागसूर्य किरण ‘सलोने’ से छन करभूमि पर करे सुन्दर अल्पनाबृज धरा…
साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधरतो श्याम बन जाते हैंबांसुरी अधरों का स्पर्श पाने को व्याकुल हैवो खुद…
वो दिया वो दियाजो जल कर रौशन करता हैतेल भी जलता है इसका बाती भीऔर इसकी ऊपरी और भीतरी सतह भीदिवाली की रात जब सितारेइसकी लौ से अपनी चमक आँकते…
कैकयी तुम कुमाता नहीं हो अध्यात्म की ओर बढ़ो राजन, मोह का त्याग करोइन वचनों के साथ मुनिराज विश्वामित्र काअयोध्या से प्रस्थान हुआराजा दशरथ को आज समय बीतने का ज्ञान…
उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्ण उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्णजहाँ दिन और रात ढलते नहींविलय होते होंआकाश में उस सूर्य की तरह उदित होजिसकी ऊष्मा धरा…