Category: कनाडा

अश्रु – (कविता)

अश्रु अश्रु तुम अंतर की गाथाचुपके चुपके कहतेअंतरतम को खोलजगत के आगे मेरा रखते,तुम बिन गरिमा प्यार व्यथाकी गाथा कौन भला कहतेअनुभावों की कथा आजबोलो यूँ कौन कहा फिरते,आज छिपा…

मनुहार – (कविता)

मनुहार प्रणय मांगने आया था मैंद्वार तुम्हारे अरि अजानतुम सरका मधु चषकों सेकरती थी मेरा सत्कार,खाली मधु चषकों सेकरती जाओगी सत्कारया हर पाओगी तुम मेरेअंतर का थोड़ा व्यथा भार,मेरी इन…

सूर्योदय – (कविता)

सूर्योदय पतझड़ कानन मेंपीले पत्तों से लदेऊंचे ऊंचे वृक्ष खड़े थेबीच बीच से लालपत्तिंयां झाँक रहीं थींमानो किसी ने कुमकुमके छींटें लगा,वृक्षों की पूजा करी हो,तभी सूर्य देव नेअपनी अलसाईआँखें…

ज्वार – (कविता)

ज्वार आज तुमने मुझे फिर पुकाराआज तुमने मुझे फिर पुकाराऔर मेरे अंतर की तह कोफिर से हिला दियाज्वार भाटे की तरहमेरे छिपे हुए अवसादमेरी सोई हुई अनुभूतियाँयूँ उभर आई जैसेखुले…

तुम और मैं – (कविता)

तुम और मैं तुम और मैंएक अनोखी पहेलीतुम, मैं और बीता हुआ वह क्षणएक खुबसूरत धरोहर,बीते हुए वो क्षणसूई और धागे सेमैने कई बारस्मृति के आँचल परसिं देने की कौशिश…

प्रेम गीत – (कविता)

प्रेम गीत मन की गहराई मेंआँखों के द्वारों सेतुमने चुपचाप अनजानें मेंमेरे भावों के कोनों को छू करहै आज विवश सी बांधीमेरे जीवन की लहरेंजो ऊँची और नीची बिखरींतट से…

अनुभूति – (कविता)

अनुभूति आह वेदने अश्रु चुरा तुमआज हंस रही मादक हासअरि खोजती नटखट सीतुम अनुभावों के आहत दाग,आज खड़ी तुम समय ‘शील’ परठिटक-ठिटक कर करती हासअनुभवों के चषक बेंचक्या करती जीवा…

मधु स्मृति – (कविता)

मधु स्मृति अवसादों की भीड़भाड़ मेंऔर विषाद के परिहास मेंप्राणों के सूने आंगन मेंअश्कों के बहते प्रवाह मेंमधु स्मृति !तुम थोड़ा मन बहलादो,तुम थोड़ा मन बहलादो,आज बहकती सी यादों मेंआज…

पूनम चंद्रा ‘मनु’

पूनम चंद्रा ‘मनु’ नाम: पूनम चंद्रा ‘मनु’ जन्म–स्थान: देहरादून, उत्तराखंड, भारत वर्तमान निवास: शहर/ प्रांत-ऑरेंजविल, ओंटारियो, कनाडा शिक्षा: एम ए अंग्रेजी साहित्य, ग़ढवाल विश्विद्यालय प्रकाशित रचनाएँ: ‘जज़्बात’ (कविता शायरी) संग्रह…

स्नेह  सिंघवी

स्नेह सिंघवी उदयपुर जन्मभूमि एवं राजस्थान विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में मास्टर्स की उपाधि। कविता द्वारा अपने आपको अभिव्यक्त करने की रूचि विद्यार्थी जीवन से ही रही है। छायावादी साहित्य…

आज की शाम, वीर भारतीयों के नाम – (कहा-विता)

आज की शाम, वीर भारतीयों के नाम -विजय विक्रांत 14 फ़रवरी, 2022 की शाम को सेठ द्वारका प्रशाद जी की कोठी की जब घण्टी बजी, तो उनकी बेटी मालती ने…

मेरी शादी – (कहानी)

मेरी शादी इस कथा को ध्यान लगा के सुनो,मैं प्रेम की गाथा सुनाता हूँ ।कैसे शादी हो गई मेरीकविता में पढ़ के सुनाता हूँ ।। बेटा जब बने अभियन्ता,पिताश्री ने…

अपने अपने करम – (कविता)

अपने अपने करम गंगा तट पर एक स्वामी जी,थे ध्यान मगन, प्रभु पूजा में ।बेला थी, ब्रह्म महूरत की,सुधबुध की न सूझ थी पूजा में ।१। था शांत वहाँ का…

तीन पुतले – (कहानी)

तीन पुतले विजय विक्रान्त महाराजा चन्द्रगुप्त का दरबार लगा हुआ था। सभी सभासद अपनी अपनी जगह पर विराजमान थे। महामन्त्री चाणक्य दरबार की कार्यवाही कर रहे थे। महाराजा चन्द्र्गुप्त को…

शैलजा सक्सेना की कविताएँ

1. चिड़िया का होना ज़रूरी है! पेड़ पर फुदकती है चिड़िया पत्ते हिलते, मुस्कुराते हैं, चिड़िया पत्तों में भरती है चमक, डाली कुछ लचक कर समा लेती है चिड़िया की…

स्पर्श – (कहानी)

भीषण गर्मी के मारे सबका बुरा हाल था। आख़िर कब तक कोई घर की चारदीवारी में बन्द, पंखों और कूलरों की ओट में छुपा रहता, काम-काज के लिए बाहर तो…

हरीश मसंद

हरीश मसंद जन्म स्थान : नई दिल्ली, भारतवर्ष वर्तमान निवास : सरी, ब्रिटिश कोलंबिया शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट (अँग्रेज़ी साहित्य); एम.बी.ए. (मार्केटिंग) व्यवसाय/ संप्रति : बैंक अधिकारी प्रकाशित रचनाएँ :…

पेड़

टन टन टन टन। घनघनाता कानफोड़ू इमरजेंसी अलर्ट। सभी के फोन बज उठे। एक विशेष आपातकालीन संदेश फोन की स्क्रीन पर चमक रहा था- “तेज बारिश और हवाओं का मिला-जुला…

पहिए

एक ही घर में दो दुनिया, एक गतिमान और दूसरी स्थिर। व्हील चेयर में धँसी कैमिला की दुनिया में पहिए चलते लेकिन वह स्थिर रहती। हेनरी खुद भी चलता और…

चेहरों पर टँगी तख्तियाँ

हल्की-फुल्की कसरत करते हुए वह रोज मिलती थी। सुबह-सवेरे खूब ताली बजाना फिर थोड़ी देर रुककर हाथ-पैर मोड़ना। शाम को पार्क में भी कभी हाथ ऊपर, कभी नीचे, कभी सीधे,…

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