अभिशप्त – (कविता)
अभिशप्त पृथ्वी को केन्द्र मानकर,चाँद उसके चारों तरफ़घूमता रहता है। और स्वयं पृथ्वी भी तोविशाल विस्तृत पृथ्वी,शस्य-श्यामला पृथ्वी,रत्नगर्भा पृथ्वी, सूर्य केचारों ओर घूमती रहती है-बाध्य सी,निरीह सी,अभिशप्त सी। फिर भी,…
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अभिशप्त पृथ्वी को केन्द्र मानकर,चाँद उसके चारों तरफ़घूमता रहता है। और स्वयं पृथ्वी भी तोविशाल विस्तृत पृथ्वी,शस्य-श्यामला पृथ्वी,रत्नगर्भा पृथ्वी, सूर्य केचारों ओर घूमती रहती है-बाध्य सी,निरीह सी,अभिशप्त सी। फिर भी,…
आकांक्षा थक चले हैं पाँव, बाहें माँगती हैं अब सहारा।चहुँ दिशि जब देखती हूँ, काम बिखरा बहुत सारा॥ स्वप्नदर्शी मन मेरा, चाहता छू ले गगन को,मन की गति में वेग…
समय का वरदान! बदल जाता समय-संग ही प्यार का प्रतिमान।समय का वरदान ! साथ था उनका अजाना, वह समय कितना सुहाना।एक अनजाने से पथ पर, युव पगों का संग उठना॥…
जिनकी गोद-भराई नहीं होती -अनिल प्रभा कुमार चाय का प्याला साथ की तिपाई पर रखते हुए, मां ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। “उठ जा बेटे, आज तो…
अमेरिका के पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य –अनिल प्रभा कुमार यह एक तथ्य है कि वर्तमान समय में विश्व पटल पर भारतीय छाए हुए हैं। स्वाभाविक है कि उनके…
फिर से –अनिल प्रभा कुमार केशी पांच सीढ़ियां नीचे धंसे फ़ैमिली रूम में, आराम-कुर्सी पर अधलेटे से चुपचाप पड़े थे। व्यस्तता का दिखावा करने के लिये सीने पर किताब नन्हे…
अनिल प्रभा कुमार जन्म : दिल्ली में। शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी आनर्स और एम.ए तथा आगरा विश्वविद्यालय से “हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध” विषय पर पी एच.डी.…
राकेश मल्होत्रा राकेश मल्होत्रा एक प्रेरणादायक विचारक, उद्यमी, लेखक और कवि हैं। हिंदी समन्वय समिति, शिकागो के मुख्य संचालक और फाइव ग्लोबल वैल्यूज, शिकागो के संस्थापक के रूप में वे…
आसमान वही छूते हैं जो तूफ़ानों को चुनौती देते है,सपने उनके ही सच होते है।जो ऊँचाई से नहीं डरते है,वही आसमान को छूते हैं। जो हर पल को नई दिशा…
शायद मैं वही किताब हूँ गर ज़िन्दगी कोसफ़होँ में बाँट कर रखूँऔर खुद को किताब मान लूँतो शायदमैं वही किताब हूँजिसके पन्ने तुमने कभीधीरे से नहीं पलटेबस बन्द किताब कोअँगुलियों…
खुर्ची हुई लकीरें मेरे नाम को अपनी हथेलियों से मिटाने की कोशिश मेंअनजाने मेंअपनी ही कुछ लकीरों को भी खुरच दिया था उसनेसुर्ख रंग उभर आने परउन हथेलियों को उसी…
जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिले जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिलेउसने धूप को पानी पर बिखेर करसितारों को दिन में ही अपने घर…
हथेलियाँ पेड़ की शाख परअपनी कईं हथेलियाँ उगा दी थी मैंनेइसी राह से जाना हुआ था उसकामुझे पहचानने के लिएएक हाथ का इशाराउसके लिए शायद काफी न होबस इसीलिएपेड़ की…
पिता हो तुम गर्मी की दोपहर में जल कर जो साया दे वो दरख़्त होबच्चो की किताबों में जो अपना बचपन ढूंढेवो उस्ताद हो, तुम पिता हो तुमदुनिया से लड़ने…
उफ़ क्या नाम दूँ तुझे ए ज़िंदगीकिस रूप में पहचानूँ तुझकोमेरे देश के गाँव के आँगन मेंआँख-मिचौली खेलते हुएहम दोनों हुए थे जवानतेरे हर रूप रँगीले दिखते थेइंद्र्धानुषी यौवन को…
मेरी आँखों में आज सुबह को देखना तुममेरी आँखों मेंउस सपने की तरहजो लाती है सूरज को रोज़ किसीसच की तरहदेखना वो हो जाएगा बर्फतुम्हारे प्यार की आग के सामने…
ख़्वाब कितनी ही चीज़ों कोतुमने जोड़ दिया हैमेरे दायरे में-फ़िलहालसोच के ढेरों ख़्वाबहथेलियों में छपाक-छपाकफिसलती जा रही है देहनस-नस मेंदरिया की तरह बदलतीजा रही है तुम्हारी मौजूदगीबहुत सारे मायनें बदल…
चाहत क्या हुआ जो तुम मुझे नहीं चाहतेमेरा प्यारहो यासमुद्र की अथाह गहराईन तुम उसे भाँप सकेन इसे नाप सकेफिर भी तुम आया करोक्योंकितुम्हारा आना जैसेपतझड़ के मौसम मेंबहार का…
अकेली तुम खुद हीअपनी दुनिया सेमेरी दुनिया में आए थेमैंने तुम्हें स्वीकारा थाअन्तरमन से चाहा थातुम्हारे दिखाये सपनों केइन्द्रधनुषी झूले से झूली थीतुमने दिखाई थी बहारेंलिपट गयी थी गुलाबों से…
माँ नहीं रही माँ तो गईअब मकान भी पिता कोअचरज से देखता हैमानो संग्रहालय होने से डरता हैउसने खंडहरों में तब्दील होतेमुहल्ले के कई मकानों को देखा है माँ तो…