Category: उत्तर अमेरिका

परछाइयाँ – (कविता)

परछाइयाँ शाम से ही नाराज़ हैं अब हमसफ़र परछाइयाँ।कर रहीं कब से शिकायत मुँह लगी तन्हाइयाँ॥ जाने कब से तप रहा है विवशता का आसमाँ।और अब पंखा झले हैं भाग्य…

मंज़िलें हैं रास्ते हैं औ आप हैं – (कविता)

मंज़िलें हैं रास्ते हैं औ आप हैं तय नहीं कर पा रहे जायें किधरमंज़िलें हैं, रास्ते हैं, आप हैं। सफ़र की तैयारियाँ कब से शुरू,याद हमको कुछ नहीं आता अभी।हमवतन…

रिमझिम बरसे बदरा – (कविता)

रिमझिम बरसे बदरा रिमझिम बरस बदरा भीगा है तनतेरी प्रिय यादों में भीगे मेरा मन।सर्पीली रातेंमायावी दिनशबनमी शिकवेछेड़े हर छिनसावन बुझा ना पाया मेरी ये तपन। वीरानी चाहतसपने अनगिनसूना जग…

शब्दों के सिपाही – (कविता)

शब्दों के सिपाही शब्दों के सिपाही बसएक युद्ध और अभी। शांति और मानवता कोराजनीति ने ग्रसाधर्म का पुरोधा भीअर्थ-स्वार्थ में धँसाप्रेम के बढ़ावे काएक चरण और अभी। संकट, विपदाओं कोकन्धों…

श्रीनाथ द्विवेदी – (परिचय)

श्रीनाथ द्विवेदी जन्म-स्थान: बिंदकी कस्बा, उत्तर प्रदेश निवास: सरी, ब्रिटिश कोलंबिया शिक्षा: अँग्रेज़ी साहित्य, हिंदी साहित्य तथा पोलिटिकल साइंस, इन तीन विषयों में एम.ए. लेखन-विधाएँ: कैनेडा के एक प्रसिद्ध कवि…

गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता – (कविता)

गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता आँचल की गाँठ मेंहल्दी-सुहाग मेंसाथ-साथ बाँध लायी अम्माँ की कविता!चावल-अनाज मेंखील की बरसात सेथोड़ी सी चुरा लायी जीवन की सविता!मढ़िया की भीत पेसगुन…

आज की कविता – (कविता)

आज की कविता ऐसी चली हवा कि …मेरी कविता की कल्पना बेल सूख गई अचानकछन्दों की नगरी में मची ऐसी भगदड़कि कोई दोहा और चौपाई तक पीछे नहीं छूटाऔर सारा…

कैनेडा में सुबह – (कविता)

कैनेडा में सुबह सुबह हो गईपग-पगबढ़ते-चढ़ते पथ परभीड़ हो गई!बोला कहीं क्या काला कव्वा?शीत पवन में पंख जम गयेबानी-बोली सभी खो गईसुबह हो गई॥ आँखों के आगेबस टिक-टिक घड़ी नाचतीऊपर…

भाषा की खोज – (कविता)

भाषा की खोज पूरा दो साल का होने को आया बच्चाअभी भी चुप हैसबको फिकर है . . .बोलना शुरू किया क्या?? बच्चा, चुप देखता है,समझता है सब,समझा भी देता…

माटी की सुगंध – (कविता)

माटी की सुगंध जब अपनी माटी की गंध मुझे नहीं मिलती,तो मैं बेचैन हो जाती हूँ,ठीक उसी तरह,जैसे छोटे बच्चे को अँगूठाचूसने से रोक दिया जाए। यह भी नहीं कि…

अहं की दीवार – (कविता)

अहं की दीवार यूँ लगा तुम को पुकारूँ, कई कई बार,और मैं तुमको बता दूँ, तुमसे कितना प्यार,पर न जाने क्यों, जिह्वा से कुछ नहीं कहती,बीच में आ जाती है,…

कल आज और कल – (कविता)

कल आज और कल समय की मान्यता कोइतना ऊँचा उठाओ मत,कल जो गुज़र गया है,उसे बिल्कुल भुलाओ मत। कल जो बीत गया,रीत गया मत सोचो,कल के गर्भ में जो था,वही…

शैल शर्मा – (कविता)

शैल शर्मा जन्म-स्थान: नरसिंहगढ़ (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास: टोरोंटो (ओंटारियो) शिक्षा: एम.ए. (इतिहास) प्रकाशित रचनाएँ: कैनेडा की पत्रिका ’हिन्दी संवाद’, ’हिन्दी चेतना’, संगम, प्रयाग भारती (प्रयाग) आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं…

यदि सुख लंबा बना रहे तो – (कविता)

यदि सुख लंबा बना रहे तो यदि सुख लंबा बना रहे तोमन में द्वंद्व उठाता!मानव – मन से एक दशा मेंलंबा रहा न जाता! यदि सुख बना रहे दिन –…

तुम किसी भी विवशता – वश – (कविता)

तुम किसी भी विवशता – वश तुम किसी भी विवशता – वशमीत मत मुझको बनाओ!मैं तुम्हारी ‘भावना का अंग –कैसे बन सकूँ गा?’ यह बताओ! ‘मीत होना’ प्राण कापारस्परिक अनुबंध…

जो आलोचना और की करते – (कविता)

जो आलोचना और की करतेजो आलोचना और की करतेवह ही यदि हम निज की कर लें!तो संभवत: इस जगती केअनगिन ‘तापों का भव’ तर लें! अन्य जनों में दोष देखनाबहुत…

आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो – (कविता)

आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियोमृत्यु का भय न हर्ष को डसे,मृत्यु जब होगी, तब होगीमृत्यु का भय न आज को कसे!…

१९ जनवरी १९९०, विस्थापन दिवस – (कविता)

१९ जनवरी १९९०, विस्थापन दिवस उस भयानक रात को,मैं शामिल था उन हज़ारों विचलित आत्माओं मेंजिन्हें घर से बेघर करने काषड़यंत्र रचा गया था सरहद पारधधकती आग से, उस धौंस…

प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है? – (कविता)

प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है? आज दिन की धूप में –प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है?इस विरह पथ पर बस एक ही सहारा था,तुम्हारे मन की व्यथा सुनने का।पर…

चुप रही वितस्ता – (कविता)

चुप रही वितस्ता चुप्पी उत्तर नहीं है हर प्रश्न का,क्यों तुम बहती रही चुपचाप?हुई एक प्रलय,मेरी पावन ऋषि भूमि लहूलुहान हुईनिर्दोषों की, माताओं की, बहनों कीचीख़ो-पुकार से घाटी गुंजायमान हुईपर…

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