डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ”कीर्तिवर्धन”
१ मई १९८७ को पश्चिम चंपारण,बिहार में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से चीनी भाषा एवं साहित्य में स्नातकोत्तर। मगध विश्वविद्यालय, बिहार में चीनी भाषा एवं साहित्य के व्याख्याता रहे। चीन…
हिंदी का वैश्विक मंच
१ मई १९८७ को पश्चिम चंपारण,बिहार में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से चीनी भाषा एवं साहित्य में स्नातकोत्तर। मगध विश्वविद्यालय, बिहार में चीनी भाषा एवं साहित्य के व्याख्याता रहे। चीन…
सब बिज़ी हैं! जी, सभी व्यस्त हैं ऐसा भी लिखा जा सकता था किन्तु वह यथार्थ का परिमार्जित संशोधित रुप होता अर्थात् व्याकरणीय छन्नी से छानकर आदर्श की मिलावट के…
दैहिक, वैचारिक, आर्थिक अथवा सामाजिक समता एवं स्वतंत्रता? आख़िर वह कौन सी धुरी है जिसके इर्द-गिर्द, गले में नारीवाद की घंटी लटकाकर कोल्हू के बैल सदृश जुते हुए विचारक, वर्षों…
मूल लेखक – प्रो. यु लोंग यू , निर्देशक , भारत अध्ययन केंद्र , शनचन विश्ववविद्यालय , चीन अनुवादक – डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी , एसोसिएट प्रोफ़ेसर (हिंदी ), क्वान्ग्तोंग…
10 जनवरी 1974 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा 10 जनवरी 2006 से एक…
किन्हीं कम प्रसिद्ध कविवर के काव्य-संकलन को जब साहित्य के श्रेष्ठ सम्मान से पुरस्कृत किया गया तो मन में जिज्ञासा जागी कि तनिक उनकी कविताओं का आस्वादन किया जाए। हम…
घर के अहाते में क़दम रखते ही गुड्डी की नज़र बरामदे में टंगे हुए डंडों पर झूलते नए पर्दों पर गई । प्रतिदिन की तरह विद्यालय से लौटते ही वह…
मेज़ पर जमी हुई धूल को तर्जनी ऊँगली से हटाते हुए और उसे शेष उंगलियों से रगड़कर झाड़ते हुए शर्मा जी झुंझलाए और फिर ऊँचे स्वर में कामिनी को पुकारते…
(मैथिली कविता एवं उसका हिन्दी अनुवाद – आराधना झा श्रीवास्तव) ज्यों जहाज का पंछी अपने पंखों से माप देता है सागर पर संध्याकाल में लौट आता है पुन: उसी जहाज…
इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…
समय की मार ने उधेड़ दी है घर के दीवारों की चमड़ी बुज़ुर्ग छत पर पड़ गयी हैं सिलवटें झुर्रीदार दरवाज़ों की भिंची हुई मुट्ठियाँ पड़ती जा रही हैं नरम…
आराधना झा श्रीवास्तव, सिंगापुर यूट्यूब : https://www.youtube.com/c/AradhanaShrivastavaUvach फ़ेसबुक पेज : https://www.facebook.com/aradhanakiabhivyakti.writer एक्स : https://twitter.com/AradhanaJhaShri इंस्टाग्राम : https://www.instagram.com/aradhanajhashrivastava आराधना झा श्रीवास्तव एक दशक से अधिक समयावधि से सिंगापुर में प्रवास कर…
1) मीठे हैं बोल मिसरी रहे घोल मन अमोल (2) वर्षा का पानी देता है जिंदगानी यही रवानी (3) ये अमराई न अगर बौराए कैसे दे साए (4) है अंहकार…
हमारी पूरी दुनिया में इस सदी में भयावह स्थिति तब बन गई, जब समस्त विश्व कोरोना जैसी महामारी की चपेट में आ गया और किसी के पास इससे बचने का…
इस बदलते परिवेश के कारण मैं बदल गई हूँ लोगों का पता नहीं पर ‘मैं’ मैं न रहकर कुछ और हो गई हूँ । पहले मुस्कराने की कोई वजह नहीं…