आराधना सदाशिवम
आराधना सदाशिवम आराधना सदाशिवम का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राजाराम महिला इंटर कॉलेज और केदारनाथ महिला इंटर कॉलेज, बदायूं, उत्तर प्रदेश से…
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आराधना सदाशिवम आराधना सदाशिवम का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राजाराम महिला इंटर कॉलेज और केदारनाथ महिला इंटर कॉलेज, बदायूं, उत्तर प्रदेश से…
ग़ज़ल -1 बेखुदी ऐसी घिरी है कुछ समझ आता नहींख़ुद को तो भूला हुआ हूँ आप को पाता नहीं एक चौरस्ता है जिसपे मैं खड़ा हैरान हूँइक कदम तेरे बिना…
अनिल कुलश्रेष्ठ जन्मतिथि: 15 नवम्बर शिक्षा: दो परा-स्नातक डिग्रियां (स्टेटिस्टिक्स तथा अर्थशास्त्र) सम्प्रति: भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य-प्रबंधक के पद से रिटायर्ड. रुचियां: पर्यटन, आध्यात्म एवं ग़ज़ल व लघुकथा लेखन…
आज की शाम, वीर भारतीयों के नाम -विजय विक्रांत 14 फ़रवरी, 2022 की शाम को सेठ द्वारका प्रशाद जी की कोठी की जब घण्टी बजी, तो उनकी बेटी मालती ने…
मेरी शादी इस कथा को ध्यान लगा के सुनो,मैं प्रेम की गाथा सुनाता हूँ ।कैसे शादी हो गई मेरीकविता में पढ़ के सुनाता हूँ ।। बेटा जब बने अभियन्ता,पिताश्री ने…
अपने अपने करम गंगा तट पर एक स्वामी जी,थे ध्यान मगन, प्रभु पूजा में ।बेला थी, ब्रह्म महूरत की,सुधबुध की न सूझ थी पूजा में ।१। था शांत वहाँ का…
तीन पुतले विजय विक्रान्त महाराजा चन्द्रगुप्त का दरबार लगा हुआ था। सभी सभासद अपनी अपनी जगह पर विराजमान थे। महामन्त्री चाणक्य दरबार की कार्यवाही कर रहे थे। महाराजा चन्द्र्गुप्त को…
खोज ईश्वर की ईश्वर को खोजते फिरते हैंईश्वर कहाँ है? ईश्वर कैसा है?जिस मूर्ति की पूजा करते हैंक्या ईश्वर बिल्कुल वैसा है? देश, धर्म, जाति के आधार परईश्वर का विभाजन…
कृतज्ञता जो अपने आहारया अस्तित्व के लिएदूसरों पर निर्भर रहते हैंपरजीवी कहलाते हैंप्रायः इस वर्गीकरण के अंदरजीव-जंतु या वनस्पति हीक्यों आते हैं? कितना आश्रित है मानवफिर भी दंभ लिए इठलाता…
दो तटों की सीमा में बद्धबहती पूर्ण स्वतंत्र तरंगिणीनहीं बाँधती स्वयं को किसी तट सेनिरंतर गतिमान कल्लोलिनी आ जाता है यदि कोई अवरोध तोबदल लेती है मार्ग सहजता सेसतत प्रवाह…
कैसे कहूँ पराया तुमको एक समान चलती हैं श्वासेंवही प्राण ऊर्जा है तुम में मुझ मेंहै एक समान हृदय में स्पन्दनवही लाल रुधिर है तुम में मुझ में पृथ्वी, जल,…
परिवर्तन हे बुद्धिमान मानव!थोड़ा ठहर…अपने चारों ओर देख,प्रकृति के साथ एकरूप होदेख सब कुछ निरंतर बदल रहा हैकुछ भी स्थायी नहीं हैजो स्थाई है, वह है बस परिवर्तनदेख तो ….दिन…
बूंदों से वार्तालाप मेरे आँगन की खिड़की पर कलवर्षा की बूंदों ने दस्तक दीआहिस्ता से चटखनी खोलकर मैंनेउन्हें अंदर आने की दावत दी पहले कुछ शर्मायीं, सकुचायींफिर मुसकुराकर धीमे सेबैठ…
प्रेम और घृणा प्रेम और घृणा दोनों ही बंधन हैंजो बाँध देते हैं हमें एक दूसरे सेपरंतु……..प्रेम में स्वतंत्रता है, घृणा में है जकड़नप्रेम में विस्तार है, घृणा में है…
वशीकरण पल भर में बदल जाते हैं मौसम चेहरे परक्षण भर में ले आता है मुस्कान वह अधरों पर है आधिपत्य आजकल सर्वश्रेष्ठ सिंहासन परगर्व से विराजमान है सभी के…
चलिए वसंत बन जाएं ऋतुराज वसंत जब आता हैजीवन, जीवंत हो जाता हैप्रकृति के विराट आँचल परसौंदर्य विस्तार पा जाता है अमराई से आती मधुर ध्वनिगूँजता कोयल का कूजनपल्लवित सुगंधित…
विवाह विवाह की वरमालामात्र पुष्पों का हार नहींयह जयमाला हैएक दूसरे की जय कीएक दूसरे को चुन लेने कीएक दूसरे के सम्मान की विवाह का गठबंधनमात्र दो दुपट्टों की गांठ…
चदरिया झीनी रे झीनी -अदिति अरोरा मैं अपने परिवार के साथ आजकल लंदन प्रवास पर हूँ। हमारा घर थेम्स नदी के समीप निर्मित एक बहुमंज़िली इमारत की छटी मंज़िल पर…
एक पतंग का आत्ममंथन -अदिति आरोरा एक महीन अदृश्य डोर से बंधी, दो पतली डंडियों का एक कंकाल और उस पर रंग-बिरंगी पोशाक, आकाश की ऊँचाइयों को छूने की महत्वाकाँक्षा…
एक अंतिम आलिंगन अदिति अरोरा कितना सत्य है, समय न कभी किसी के लिए रुकता है और न ही बीता हुआ समय कभी पलट कर आता है। पलट कर आती…