Category: प्रवासी रचनाकार

द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति पुरमेकादशद्वारमजस्यावक्रचेतसः । अनुष्ठाय न शोचति विमुक्तश्च विमुच्यते । एतद्वै तत् ॥ १ ॥ मानव शरीरी रूप पुर,ईश्वर…

द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति अग्निर्यथैको भुवनं प्रविष्टो रूपं रूपं प्रतिरूपो बभूव । एकस्तथा सर्वभूतान्तरात्मा रूपं रूपं प्रतिरूपो बहिश्च ॥ ९ ॥…

द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति ऊर्ध्वमूलोऽवाक्शाख एषोऽश्वत्थः सनातनः । तदेव शुक्रं तद्ब्रह्म तदेवामृतमुच्यते । तस्मिँल्लोकाः श्रिताः सर्वे तदु नात्येति कश्चन । एतद्वै…

द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति यदा पञ्चावतिष्ठन्ते ज्ञानानि मनसा सह । बुद्धिश्च न विचेष्टते तामाहुः परमां गतिम् ॥ १० ॥ जब मन…

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग ३ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग ३ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति एतदालम्बनँ श्रेष्ठमेतदालम्बनं परम्। एतदालम्बनं ज्ञात्वा ब्रह्मलोके महीयते ॥ १७ ॥ ॐ कार आलंबन अत्युतम, श्रेष्ठतम है, परम…

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति न नरेणावरेण प्रोक्त एष सुविज्ञेयो बहुधा चिन्त्यमानः । अनन्यप्रोक्ते गतिरत्र नास्ति अणीयान् ह्यतर्क्यमणुप्रमाणात् ॥ ८ ॥ सूक्षातिसूक्ष्म…

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति अन्यच्छेयोऽन्यदुतैव प्रेयस्ते उभे नानार्भे पुरुषं सिनीतः। तयोः श्रेय आददानस्य साधु भवति हीयतेऽर्थाद्य उ प्रेयो वृणीते ॥१॥ कल्याण…

प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति त्रिणाचिकेतस्त्रिभिरेत्य सन्धिं त्रिकर्मकृत् तरति जन्ममृत्यू । ब्रह्मजज्ञ। देवमीड्यं विदित्वा निचाय्येमां शानितमत्यन्तमेति ॥१७॥ त्रय बार करते जो अनुष्ठान…

प्रथम अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

कठोपनिषद – (पद्यानुवाद) मृदुल कीर्ति ॐ श्री परमात्मने नमः शांति पाठ ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै । रक्षा…

ईशावास्य उपनिषद – (मृदुल कीर्ति)

ईशावास्य उपनिषद संस्कृत से हिंदी में पद्यानुवाद : मृदुल कीर्ति ॐ समर्पण परब्रह्म को उस आदि शक्ति को, जिसका संबल अविराम, मेरी शिराओ में प्रवाहित है। उसे अपनी अकिंचनता, अनन्यता…

मृदुल कीर्ति

डॉ मृदुल कीर्ति जन्म : 07 अक्तूबर 1951 जन्म स्थान : पूरनपुर, जिला पीलीभीत, उत्तर प्रदेश, भारत शिक्षा : पीएच.डी (1991), राजनीति विज्ञान, मेरठ विश्वविद्यालय। राजनीति विज्ञान में एम.ए., आगरा…

शैलजा सक्सेना की कविताएँ

1. चिड़िया का होना ज़रूरी है! पेड़ पर फुदकती है चिड़िया पत्ते हिलते, मुस्कुराते हैं, चिड़िया पत्तों में भरती है चमक, डाली कुछ लचक कर समा लेती है चिड़िया की…

अभिमन्यु अनत

अभिमन्यु अनत (अंग्रेज़ी: Abhimanyu Anat) जन्म : 9 अगस्त, 1937 मृत्यु : 4 जून 2018 (उम्र 80) त्रिओले, मॉरीशस परिचय मॉरीशस के हिन्दी कथा-साहित्य के सम्राट हैं। उनका जन्म ९…

गौतम सागर की कविताएँ

1. मैंने बिकना अभी नहीं सीखा जैसा बाज़ार का माहौल है, वैसा रंग बदलना अभी नहीं सीखा, दुःख में शामिल होकर, अपना उल्लू सीधा करना अभी नहीं सीखा, यारों का…

गौतम सागर

डॉ – इंजीनियर गौतम सागर संस्थापक– फ्रेंड्स ऑफ इंडियन डायस्पोरा हैनोवर, जर्मनी विगत दो दशकों से जर्मनी के हैनोवर शहर मे इंजीनियर के पद पर कार्यरत होते हुए विभिन्न विषयों…

आस्था नवल की कविताएँ

1. सुविधापरस्त ए.सी. वाली कार के भीतर बैठ मुरझाया-सा मन लिए जब चिलचिलाती धूप में मुस्कुराते फूल को देखा तो हैरत से भर गई मैं कि कैसे इतनी सड़ी गरमी,…

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