Category: प्रवासी रचनाकार

मुखौटे -(कविता)

मुखौटे पढ़ी लिखी लड़की काम पर जाती है हवाई जहाज़ उड़ाती है स्पेस शिप चलाती है बिल्डिंग्स बनाती है और टीचर बनकर जीवन कैसे जियें पाठ पढ़ाती है वो इंजीनियर…

इश्तेहार – (कविता)

इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…

रेखा राजवंशी

रेखा राजवंशी शैक्षिक योग्यता: एम. ए. मनोविज्ञान, एम्. एड. एवं एम्.फ़िल. शिक्षा शास्त्र भारत, स्नातकोत्तर डिप्लोमा स्पेशल एजुकेशन मक्वारी विश्वविद्यालय सिडनी कार्यक्षेत्र: प्रकाशन: कुल मिलाकर 14 पुस्तकों का लेखन और…

विराम को विश्राम कहाँ! – (व्यंग्य)

विराम को विश्राम कहाँ! -आरती लोकेश गए दिनों कुछ संपादकीय कार्य करते हुए मुझे लगभग एक ही जैसी चीज़ें बार-बार खटकीं। कुछ रचनाएँ, शब्द संयोजन, वाक्य विन्यास और विराम चिह्न…

श्येन परों पर ठहरी हिन्दी – (आलेख)

श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…

बाबा की धूल – (कविता)

बाबा की धूल प्रभु मुझे नव जन्म में करना, बाबा की बगिया का फूल । और नहीं तो मुझको करना, बगिया की मिट्टी की धूल । क्यारी में पानी देते…

आधी माँ, अधूरा कर्ज़ – (कहानी)

आधी माँ, अधूरा कर्ज़ -आरती लोकेश आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला एक…

आरती ‘लोकेश’

डॉ. आरती ‘लोकेश’ ढाई दशकों से दुबई में निवास करती हैं। तीन दशकों से शिक्षण कार्य करते हुए यू.ए.ई. के विद्यालय में वरिष्ठ मुख्याध्यापिका हैं। अंग्रेज़ी-हिन्दी दोनों विषयों में स्नातकोत्तर…

पड़ोसी धर्म – (कहानी)

पड़ोसी धर्म -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार सुबह से रीमा का माथा ठनका हुआ था। रात उसने डेढ़ बजे तक पढ़ाई की थी और कुछ दिनों से परीक्षा के टेंशन में…

मेरी कविता – (कविता)

मेरी कविता कहती खामोशी की कहानी तू है मौन की अभिव्यक्ति तू सुख-दुख की मेरी सहेली है साथ तेरे हर पल नव जीवन बिन तेरे सब कुछ लगे निरर्थक निराशा…

सुभाषिनी लता कुमार

सुभाषिनी लता कुमार डॉ. सुभाषिनी लता कुमार लौटोका फीजी से हैं। पी-एच.डी सहित उनकी उच्च शिक्षा मैसूर विश्वविद्यालय से हुई है। उनका शोध विषय- ‘फीजी के प्रवासी हिंदी साहित्य का…

एक दिन अचानक – (कहानी)

एक दिन अचानक -ममता कालिया बसन्त को इस बार सिर्फ तीन हफ्ते का मौका मिला लेकिन उसने रस, रंग और गंध का तीन तरफा आंदोलन छेड़ दिया। मेडिकल कॉलेज के…

सच्चा साथी

सच्चा साथी – अंजू घरभरन विद्या रातभर पढ़ने के बाद पौ फटने पर लेटी थी।आँखे बोझिल और नींद से भारी हो चुकीं थी। मन की चिंता को छुपाते हुए माँ…

मॉरीशस – (कविता)

मॉरीशस वर्षों पहले भारत के कुछ लाल एग्रीमेंट पर लाये गए गिरमिटिया कुली कहलाये वे उपनिवेशी था वह काल नंबर थी एकमात्र पहचान खून-पसीना भरपूर बहाया हड्डियां भी तुड़वायीं अपनी…

ताना-बाना – (लघु कथा)

ताना-बाना रानी घर के काम निपटा कर बाज़ार की ओर का रुख ले चुकी थी। घर में एक भी सब्ज़ी नहीं थी। जल्दी से घर लौटकर उसे शाम के लिए…

अंजू घरभरन

अंजू घरभरन जन्म: आगरा, उत्तर-प्रदेश शिक्षा: स्नातक अनेक संस्थाओं में सदस्यता मुख्यत: पूर्व महासचिव हिंदी स्पीकिंग यूनियन कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत पूर्व समन्वयक : साहित्य संवाद…

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति ऋतं पिबन्तौ सुकृतस्य लोके गुहां प्रविष्टौ परमे परार्धे । छायातपौ ब्रह्मविदो वदन्ति पञ्चाग्नयो ये च त्रिणाचिकेताः ॥…

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति महतः परमव्यक्तमव्यक्तात्पुरुषः परः । पुरुषान्न परं किंचित्सा काष्ठा सा परा गतिः ॥ ११ ॥ जीवात्मा से तो…

द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति पराञ्चि खानि व्यतृणत् स्वयम्भू- स्तस्मात्पराङ्पश्यति नान्तरात्मन् । कश्चिद्धीरः प्रत्यगात्मानमैक्ष- दावृत्तचक्षुरमृतत्वमिच्छन् ॥ १ ॥ इन्द्रियों की बहिर्मुख वृति,…

द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति मनसैवेदमाप्तव्यं नेह नानाऽस्ति किंचन । मृत्योः स मृत्युं गच्छति य इह नानेव पश्यति ॥ ११ ॥ शुचि…

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