Author: वैश्विक हिंदी परिवार

जो आलोचना और की करते – (कविता)

जो आलोचना और की करतेजो आलोचना और की करतेवह ही यदि हम निज की कर लें!तो संभवत: इस जगती केअनगिन ‘तापों का भव’ तर लें! अन्य जनों में दोष देखनाबहुत…

आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो – (कविता)

आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियोमृत्यु का भय न हर्ष को डसे,मृत्यु जब होगी, तब होगीमृत्यु का भय न आज को कसे!…

भारतीय डायस्पोरा की ‘महतारी’ भाषा: उद्भव, विकास एवं स्वरूप – (शोध आलेख)

भारतीय डायस्पोरा की ‘महतारी’ भाषा: उद्भव, विकास एवं स्वरूप डॉ. मुन्नालाल गुप्ता1, डॉ. राजीव रंजन राय2 सार महतारी भाषा का अर्थ है माँ की भाषा। भारतीय डायस्पोरा की महतारी भाषा…

१९ जनवरी १९९०, विस्थापन दिवस – (कविता)

१९ जनवरी १९९०, विस्थापन दिवस उस भयानक रात को,मैं शामिल था उन हज़ारों विचलित आत्माओं मेंजिन्हें घर से बेघर करने काषड़यंत्र रचा गया था सरहद पारधधकती आग से, उस धौंस…

प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है? – (कविता)

प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है? आज दिन की धूप में –प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है?इस विरह पथ पर बस एक ही सहारा था,तुम्हारे मन की व्यथा सुनने का।पर…

चुप रही वितस्ता – (कविता)

चुप रही वितस्ता चुप्पी उत्तर नहीं है हर प्रश्न का,क्यों तुम बहती रही चुपचाप?हुई एक प्रलय,मेरी पावन ऋषि भूमि लहूलुहान हुईनिर्दोषों की, माताओं की, बहनों कीचीख़ो-पुकार से घाटी गुंजायमान हुईपर…

दीपमाला – (कविता)

दीपमाला मेरे दीपों की माला मेंएक दीप तुम्हारा भी है साँसों की जीवनमाला मेंएक साँस तुम्हारा भी हैआँखों से बहती धारा मेंएक बूँद तुम्हारी भी है मेरे दीपों की माला…

अहसास – (कविता)

अहसास क्योंकि सपने अभी भी आते हैंमन में आस जगमगाती है,तुम नहीं हो आसपास कहीं, परतुम्हारे होने का अहसास हो आया है। यादों का कारवां अभी भी आता हैपलकों ने…

सिर्फ़ एक बूँद – (कविता)

सिर्फ़ एक बूँद मुझे तो आस थीएक बूँद कीउस बूँद की जोमेरी आँसुओं केखारेपन में मिठास भर दे! आस तो स्वाति नक्षत्र केउस बूँद की थी जोसीप को मोतियों के…

सारे अपने तारे – (कविता)

सारे अपने तारे आकाश में तारे गिननासबसे पहले सात तारे गिननाहम बहनों और सखियों का एकखेल ही नहीं अपितु एक होड़ होती थी उजास भरी साँझ से हीसर ऊपर उठाएहम…

वंदिता बन्दिनी – (परिचय)

वंदिता बन्दिनी नाम: वंदिता सिन्हा जन्म-स्थान: सिवान (बिहार) वर्तमान निवास: ब्रैम्पटन, ओंटारियो शिक्षा: एम .ए (इतिहास), बी.एड., पीएच.डी. लेखन-विधाएँ: कविता, संस्मरण एवं वर्तमान परिस्थिति पर लिखना उल्लेखनीय गतिविधियाँ: लखनऊ रेडियो…

इन्द्रधनुषी लहर – (कविता)

इन्द्रधनुषी लहर सुदूर देश की पुरवाई सेआख़िर आ ही जाती है,मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . .होली, दिवाली के रंगों औरदीयों में बिखरती –झिलमिलातीसुनहरी खनक सबको सुनाने।…

पिता का दिल – (कविता)

पिता का दिल मज़बूत शरीर है यह जो दिखताअंदर मेरे भी है –कोमल सा दिल, मेरा अपना। है धुँधली सी, पर हैं गहरी यादें,देखा है छुप-छुपचुपके से आँसू पोंछते। भारी…

बसंत आया था – (कविता)

बसंत आया था बसंत आया था . . .बसंत-ऋतु का जादू भरमाती,प्रकृति इतराती, निखारती रूपजगत में करती उमंग-बहार का पसेरा।चकित हो देखा, अजान मानुस है बेख़बर,बन मशीनी पुतला,जी रहा है…

ये पत्ते – (कविता)

ये पत्ते अभी कल ही तो ये पत्ते शाख से जुड़े,एक प्राण, एक मन,एक जीव हो फले–फूले,अपने चरम उत्कर्ष की –ललक लिए जीए, अपनी पूर्णता से।आज पीली चादर में परिणित,शाख…

रेणुका शर्मा – (परिचय)

रेणुका शर्मा जन्म-स्थान: अजमेर, राजस्थान, भारत वर्तमान निवास: सास्काटून (सास्केच्वान) कैनेडा शिक्षा: स्नातकोत्तर, (हिंदी), एम. फि ल., पीएच.डी,.पी.जी. डिप्लोमा मासकम्युनिकेशन (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर), सीनियर रिसर्च एसोशिएट मुंबई विश्वविद्यालय। कस्टमर एंड…

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ‘भारतीय रंग महोत्सव’ के समापन पर एलजी समेत राजपाल यादव ने की शिरकत – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ‘भारतीय रंग महोत्सव’ के समापन पर एलजी समेत राजपाल यादव ने की शिरकत 20 दिन के ‘भारत रंग महोत्सव’ में रंगमंच के कई रंग दिल्ली वालों…

‘भारंगम’ में दिखे कई देशों के रंग, सीमाओं के पार फेस्ट – (रिपोर्ट)

‘भारंगम’ में दिखे कई देशों के रंग, सीमाओं के पार फेस्ट राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ‘भारत रंग महोत्सव 2025’ के तहत एक रंग, श्रेष्ठ रंग की भावना को समाहित किए…

भारत मंडपम में ‘विश्व पुस्तक मेला – 2025’ का आयोजन किया गया – (रिपोर्ट)

भारत मंडपम में “विश्व पुस्तक मेला – 2025 आयोजन दिनांक 01.02.2025 से 09.02.2025 के दौरान इन्हीं दिनों नई दिल्ली के भारत मंडपम में “विश्व पुस्तक मेला – 2025 आयोजित किया…

मेरी आशाओं का देश – (कविता)

मेरी आशाओं का देश मेरा स्वदेश वो धरती हो,जहाँ सत्यमेव जयते सच हो हर वृक्ष जहाँ की थाती हो,जिसमें हर पशु की गिनती होजिसमें हर मानव,मानव हो, साकारसत्य शिव सुन्दर…

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