गजदंत – (कहानी)
गजदंत डॉ आरती ‘लोकेश’ घर आते ही गौतमी ने अपने चेहरे से थकान उतारकर अपनी वर्दी के साथ ही अलगनी पर टाँग दी। हाथ-मुँह धोया, कपड़े बदले। आईने में खुद…
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गजदंत डॉ आरती ‘लोकेश’ घर आते ही गौतमी ने अपने चेहरे से थकान उतारकर अपनी वर्दी के साथ ही अलगनी पर टाँग दी। हाथ-मुँह धोया, कपड़े बदले। आईने में खुद…
आधी माँ, अधूरा कर्ज़ डॉ आरती ‘लोकेश’ आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला…
रविवार की छुट्टी – पूनम कासलीवाल देर रात सब काम निबटा कर लेटने लगी तो याद आया राजमा भिगोना भूल गयी। अंधेरे में टटोलते हुए उठी, कहीं आलोक की नींद…
कटघरा रात का अँधेरासन्नाटा, औरमेरे वो एकाकी पलचिन देते हैं मुझेमन के कटघरे मेंहर रोज़पूछती हूँकितने सवालखुद सेदेती हूँ हर जवाबखुद हीहोती हूँकभी आरोपी, कभी दोषीखुद ही पक्ष, खुद ही…
भली थी इक लड़कीकितनीभली थीनाज़ बिछौनेपली थीमाँ अँगना में खेलतीजूही कीकली थीपिता हथेली पे रखीगुड़-मिश्रीडली थीअल्हड़ हिरना झूमतीथोड़ी सीपगली थीभावी की गलियों मेंस्वप्न संजोएचली थीब्याही तो बेगाने घरधू-धू करजली थीबस…
शहीदों के बच्चे बड़े हो जाते हैं शहीदों के बच्चेबड़ा होने से पहले ही। पढ़ लेते हैं माँ की आँखों कीमूक भाषाजान लेते हैं मौन आह कीपरिभाषारोक लेते हैं कोरों…
डॉ कुसुम नैपसिक भारत और अमेरिका में हिंदी अध्यापन का कार्य स्कूल और कॉलेज दोनों स्तरों पर किया है। फुलब्राइट लैंग्वेज टीचर असिस्टेंट कार्यक्रम के तहत अमेरिका में पढ़ाना शुरू…
मूल कविता : वसील स्तूस अनुवाद : यूरी बोत्वींकिन Ярій, душе… Ярій, душе. Ярій, а не ридай.У білій стужі сонце України.А ти шукай — червону тінь калинина чорних водах —…
एकाकी चलती जाऊँगी एकाकी चलती जाऊँगी। रोकेंगी बाधाएँ फिर भीबाँधेंगी विपदाएँ फिर भीराहें नई बनाऊँगीएकाकी चलती जाऊँगी। संकल्पों के सेतु होंगेनिष्ठा दिशा दिखाएगीसाहस होगा पथ प्रदर्शकआशा ज्योत जलाएगी विश्वासों के…
तारक चुनरी कौन जुलाहातारक चुनरीबुनता सारी रात ? किरणों से करता नक्काशीबेल मोतिया टाँकेजूही-चंपा सजी पाँखुरीमोल भाव न आँके शरद चाँदनी जड़ी किनारीघूँघरू जोड़े साथचतुर जुलाहा तारक चुनरीबुनता सारी रात।…
मद्धम चाँद मद्धम, रात मद्धमरात की हर बात मद्धम। नभ की नीली नीलिमा मेंदीप झिलमिला रहेकाँपते अधर धरा केगीत गुनगुना रहे सुर मद्धम, ताल मद्धमबज रहे हैं साज मद्धम। अंग-अंग…
बड़े हो गए हम ज़रूरी नहीं अबकिसी का अनुमोदनबड़े हो गए हम। औरों की सुनी थीमन की ना मानीकमी थी,या खूबीना जानी,पहचानी विवादों ने घेरापरे हो गए हम। अनचीन्हा कोईभय…
ओढ़ ली हैं चुप्पियाँ ओढ़ ली हैं चुप्पियाँसिल गए अधर भीएक से लगने लगेघर भी – खंडहर भी । आँख से कह दियाभूल जा भीगनामन को समझा दियाछोड़ दे रीझना…
थके हैं मगर, हारे नहीं थके हैं मगर, हारे नहींभीड़ जैसे ही हैं , कोई न्यारे नहीं। चौराहे मिले या दोराहे मिलेहम अपनी ही राहें बनाते रहेलाख भटकन लिपटी पड़ी…
आशीष में जुड़ें हाथ – शशि पाधा अपने पैंतीस वर्ष के सैनिक जीवन में कितने ही लोगों से मिली हूँ, कितनी छावनियाँ देखी हैं। कुछ ऐसे पल, कुछ ऐसे व्यक्ति…
एक नदी : एक पुल – शशि पाधा एक सैनिक अधिकारी की पत्नी होने के नाते मैंने अपने जीवन के लगभग ३५ वर्ष वीरता, साहस एवं सौहार्द से परिपूर्ण वातावरण…
निर्भीक योद्धा : मेजर मोहित शर्मा, अशोक चक्र, सेना मेडल – (आलेख) – शशि पाधा वर्ष 1857 से 1947 तक के इतिहास को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना…
जीवन में सफलता का रहस्य : भावनात्मक बुद्धिमत्ता – शशि पाधा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्राणी सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँचने की अभिलाषा रखता है और इसके लिये…
भूत और भविष्य के सेतु : बुज़ुर्ग – शशि पाधा घनी शाखाओं वाले विशाल वटवृक्ष की ठण्डी छाँव हर प्राणी को राहत देती है और चिन्ताएँ हर लेती है। जो…
शशि पाधा शशि पाधा एक प्रतिष्ठित लेखिका एवं शिक्षिका हैं. जिनकी लेखनी ने साहित्य जगत में विशेष पहचान बनाई है| इन्होंने एम् ए हिंदी, एम् ए संस्कृत एवं बी एड…