Category: प्रवासी साहित्य

गीत मधुर कोई गाती हो

गीत मधुर कोई गाती हो गीत मधुर कोई गाती हो,जब छम से तुम आ जाती हो।मन के सूने घर आँगन में,खुशिओं के फूल खिलाती हो। झाँझर बाजे रुनझुन रुनझुन,कारे नैनो…

एक वचन चाहिये – (कहानी)

एक वचन चाहिये जीतने के लिये बस अगन चाहिए,सोच को कर्म का एक वचन चाहिये। उड़ सके ख्वाब बन के हक़ीक़त सभी,हौसला और दिल में लगन चाहिए। दंश आतंक का…

देह की अपनी अवधि है – (कविता)

देह की अपनी अवधि है देह की अपनी अवधि है, साँस का अपना सफर ।मन का’ पंछी उड़ चले कब, किसको इसकी है खबर।। पर्व जीवन का मना लें, प्रेमियों…

घर का शतदल भूल गए – (कविता)

घर का शतदल भूल गए धन दौलत की खातिर अपना ,सारा दल-बल भूल गए,मैया छोड़ी ,बाबा छोड़े, घर का शत दल भूल गए। कैरी, इमली, सोंधी रोटी, भूले माटी की…

दो पाटों के बीच – (कहानी)

दो पाटों के बीच रोहित कुमार हैप्पी रेडियो पर गीत बज रहा है और बूढ़ी हो चली भागवन्ती जैसे किसी सोच में डूबी हुई है। तीन-तीन बेटों वाली इस ‘माँ’…

चायवाला – (कहानी)

चायवाला रोहित कुमार हैप्पी गंगाधरन पहली बार भारत आया था। वैसे तो वह फीजी से था लेकिन अब कई वर्षों से न्यूज़ीलैंड में आ बसा था। यहाँ के बड़े उद्यमियों…

आ अब लौट चलें… – (कहानी)

आ अब लौट चलें… -रोहित कुमार हैप्पी स्वर्ग पाने के बाद भी एक आत्मा नाखुश थी। भूलोक के लोग अकसर स्वर्ग पाने के लिए लालायित रहते हैं लेकिन इस आत्मा…

वो तुमसे कहेंगे कि – (कविता)

वो तुमसे कहेंगे कि वो तुमसे कहेंगे कितुम्हारे सृजनात्मक सपनों के सतरंगी ताने बानेखूबसूरत हैंलेकिनइन्हें भ्रष्ट वास्तविकता के वस्त्र पहनाओ,भाई।हम निष्कलुष सौंदर्य कोसीधे सहने के अभ्यस्त नहीं हैं।वो तुमसे कहेंगे…

विस्मया: कुछ अनुत्तरित प्रश्न – (कविता)

विस्मया : कुछ अनुत्तरित प्रश्न १ फिर भोर में बज उठी वंशी की तान, फिर चहक उठा चिड़ियों का मधुर गान। फिर महक उठी ताज़ा फूलों से बगिया, फिर साँसों…

रुक्मिणी – (कविता)

रुक्मिणी द्वारिका के सारे राजकोष खाली करतराजू के एक पलड़े पररख दिये थे सत्यभामा ने।इस आशा में कि तुल जाएंगेदूसरे पलड़े में बैठे कृष्ण।हो जाएगा उनके पक्ष का पलड़ा ऊँचा।मगर…

मेरी कविता – (कविता)

मेरी कविता जब तुम्हें महसूस होकि दीपावली के दियेचारों ओर फैले हुए अन्धकार कोमिटा देने के लिये पर्याप्त नहीं हैं,कि रावण के दस सिर काट करगिरा देने वाला राम तुम्हें…

मीठा बन! – (कविता)

मीठा बन! जिह्वा से बोलोगे तो क्या घाव करोगे दूजे को ,ऐसे बोल बोलना बंधु , दोस्त बने ,जो हो दुश्मन।मीठा बन।हँस दे जो भी देखे तुझको, चूम ले माथा…

तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त! – (कविता)

तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त! तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त!क्योंकि जब तुम मुझसे बात करते हो ,मेरा शहर मुझसे बात करता है। वो रास्ते…

क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? – (कविता)

क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? वहाँ, जहाँ प्रभुता ही प्रभुता,हर क्षण है आनंद बरसता,जीवन प्याला रहे छलकता,दसों दिशाएँ, बहे सरसता। क्या तुम मेरे…

कौतूहल – (कविता)

कौतूहल पर्वत के इस पार मैं सोचूँ पर्वत के उस पार क्या होगा ? शायद उधर झील हो सुंदर कमल-पुष्प खिलते हों भीतर, सूर्य की किरणें चमकें जल पर जैसे…

अर्थ – (कविता)

अर्थ जिस प्रकार अति तीव्र गति सेपरिभ्रमण करते चक्र की गतिदृष्टव्य नहीं होतीएवं यह मिथ्याभास हो जाता हैकि वह स्थिर है, जड़ है,ऐसा ही तुम्हारे जीवन का कर्मरथ है, मित्र।वीणा…

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य – (लेख)

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य -रेखा राजवंशी कहा जाता है साहित्य समाज का दर्पण है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। लगभग चालीस वर्ष पहले हिंदी भाषी…

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण – (लेख)

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण -रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया भी भारत की ही तरह एक बहु-सांस्कृतिक देश है, जहाँ अनेक देशों के लोग आकर बस गए हैं। यहाँ के खान-पान, रंग, रूप,…

चंदा मामा दूर के – (कहानी)

चंदा मामा दूर के -रेखा राजवंशी आज मेरा जन्मदिन है। बर्थडे नहीं बल्कि वह दिन, जिस दिन मैं अपनी माँ की कोख से जन्म लूंगा। माँ और पापा बहुत खुश…

तलाश – (कहानी)

तलाश -रेखा राजवंशी मेरा नाम नेटा है, किसने रखा, शायद मेरे माता पिता ने रखा होगा। या शायद बाद में मेरे इंस्टीट्यूशन ने रखा हो। पर इससे क्या फर्क पड़ता…

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