Category: प्रवासी साहित्य

ऋषि स्वामी दयानन्द – (कविता)

ऋषि स्वामी दयानन्द मेरी राहों में एक दीपक जलायाअंधेरों को वेदों से उसने हटायाचलो आज से मान लो उनको प्यारोचलो आज से मान लो उनको प्यारोदयानन्द क्या था, गजब का…

आप्रवासी दिवस – (कविता)

आप्रवासी दिवस आया है दिन यह कितना सुहानाप्यार में छेड़ो सब यह तरानापाँच जून है यह दिन तो पुरानाआए थे उस दिन परनानी और परनाना आए थे परआजा और परआजीकहते…

पाँच जून मनाएँगे – (कविता)

पाँच जून मनाएँगे पाँच जून मनाएँगे पाँच जून आया है, खुशियाँ मनाएँगे, साथ-साथ हम और तुम खुशियाँ मनाएँगे। पाँच जून मनाएँगे…. वादा यह करना है, नहीं डरेंगे हम कभी, कदम-कदम…

प्रवासी देशों में हिंदी : स्थति और संभवनाएँ -(आलेख)

प्रवासी देशों में हिंदी : स्थति और संभवनाएँ कारमेन सुयश्वी देवी जानकी सूरीनाम भी एक प्रवासी देश है और यहाँ हिंदी के अलावा हमारी मातृ भाषा सरनामी है और सब…

हिदी की पढ़ाई और नेता दल पाठशाला – (संस्मरण)

हिदी की पढ़ाई और नेता दल पाठशाला कारमेन सुयश्वी देवी जानकी सूरीनाम एक गिरमिटया देश कहलाता है, क्योंकि हमारे पुरखें भारत से यहाँ लाए गए थे गिरमिट काटने के लिए।…

देह की अपनी अवधि है – (कविता)

देह की अपनी अवधि है देह की अपनी अवधि है, साँस का अपना सफर ।मन का’ पंछी उड़ चले कब, किसको इसकी है खबर।। पर्व जीवन का मना लें, प्रेमियों…

वैश्विक प्रार्थना – (कहानी)

वैश्विक प्रार्थना गैरों की पीड़ा को समझूँ,इतनी तो गहराई देना।देने वाले जब भी देना,दिल में बस अच्छाई देना।। लिखना जब भी भाग्य हमारा,थोड़ी सी नरमी अपनाना।हो जाये रोटी की किल्लत,इतनी…

गीत मधुर कोई गाती हो

गीत मधुर कोई गाती हो गीत मधुर कोई गाती हो,जब छम से तुम आ जाती हो।मन के सूने घर आँगन में,खुशिओं के फूल खिलाती हो। झाँझर बाजे रुनझुन रुनझुन,कारे नैनो…

एक वचन चाहिये – (कहानी)

एक वचन चाहिये जीतने के लिये बस अगन चाहिए,सोच को कर्म का एक वचन चाहिये। उड़ सके ख्वाब बन के हक़ीक़त सभी,हौसला और दिल में लगन चाहिए। दंश आतंक का…

देह की अपनी अवधि है – (कविता)

देह की अपनी अवधि है देह की अपनी अवधि है, साँस का अपना सफर ।मन का’ पंछी उड़ चले कब, किसको इसकी है खबर।। पर्व जीवन का मना लें, प्रेमियों…

घर का शतदल भूल गए – (कविता)

घर का शतदल भूल गए धन दौलत की खातिर अपना ,सारा दल-बल भूल गए,मैया छोड़ी ,बाबा छोड़े, घर का शत दल भूल गए। कैरी, इमली, सोंधी रोटी, भूले माटी की…

दो पाटों के बीच – (कहानी)

दो पाटों के बीच रोहित कुमार हैप्पी रेडियो पर गीत बज रहा है और बूढ़ी हो चली भागवन्ती जैसे किसी सोच में डूबी हुई है। तीन-तीन बेटों वाली इस ‘माँ’…

चायवाला – (कहानी)

चायवाला रोहित कुमार हैप्पी गंगाधरन पहली बार भारत आया था। वैसे तो वह फीजी से था लेकिन अब कई वर्षों से न्यूज़ीलैंड में आ बसा था। यहाँ के बड़े उद्यमियों…

आ अब लौट चलें… – (कहानी)

आ अब लौट चलें… -रोहित कुमार हैप्पी स्वर्ग पाने के बाद भी एक आत्मा नाखुश थी। भूलोक के लोग अकसर स्वर्ग पाने के लिए लालायित रहते हैं लेकिन इस आत्मा…

वो तुमसे कहेंगे कि – (कविता)

वो तुमसे कहेंगे कि वो तुमसे कहेंगे कितुम्हारे सृजनात्मक सपनों के सतरंगी ताने बानेखूबसूरत हैंलेकिनइन्हें भ्रष्ट वास्तविकता के वस्त्र पहनाओ,भाई।हम निष्कलुष सौंदर्य कोसीधे सहने के अभ्यस्त नहीं हैं।वो तुमसे कहेंगे…

विस्मया: कुछ अनुत्तरित प्रश्न – (कविता)

विस्मया : कुछ अनुत्तरित प्रश्न १ फिर भोर में बज उठी वंशी की तान, फिर चहक उठा चिड़ियों का मधुर गान। फिर महक उठी ताज़ा फूलों से बगिया, फिर साँसों…

रुक्मिणी – (कविता)

रुक्मिणी द्वारिका के सारे राजकोष खाली करतराजू के एक पलड़े पररख दिये थे सत्यभामा ने।इस आशा में कि तुल जाएंगेदूसरे पलड़े में बैठे कृष्ण।हो जाएगा उनके पक्ष का पलड़ा ऊँचा।मगर…

मेरी कविता – (कविता)

मेरी कविता जब तुम्हें महसूस होकि दीपावली के दियेचारों ओर फैले हुए अन्धकार कोमिटा देने के लिये पर्याप्त नहीं हैं,कि रावण के दस सिर काट करगिरा देने वाला राम तुम्हें…

मीठा बन! – (कविता)

मीठा बन! जिह्वा से बोलोगे तो क्या घाव करोगे दूजे को ,ऐसे बोल बोलना बंधु , दोस्त बने ,जो हो दुश्मन।मीठा बन।हँस दे जो भी देखे तुझको, चूम ले माथा…

तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त! – (कविता)

तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त! तुम मुझसे बात करते रहना , मेरे दोस्त!क्योंकि जब तुम मुझसे बात करते हो ,मेरा शहर मुझसे बात करता है। वो रास्ते…

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