Category: प्रवासी साहित्य

पागलपन – (ग़ज़ल)

पागलपन ऐसा भी मौसम होता है नैन हँसें और मन रोता है यादो की रिमझिम होती है आँखो में सावन होता है अपने गुलशन के ख़ारो से बँधा हुआ दामन…

ख़लिश – (ग़ज़ल)

ख़लिश इक ख़लिश सी हुई मेरे दिल मेंकोई डूबा है आके साहिल में शख़्स वो उठ गया अचानक सेजान डाली था जिसने महफ़िल में रस्ते साफ़ थे, सफ़र आसाँख़ार लेकिन…

ढलती शाम – (ग़ज़ल)

ढलती शाम धीरे-धीरे घर में आई ढलती शाम कितनी भूली बातें लाई ढलती शाम पैरो की आहट आई तो मुझे लगा तुम्हें ढूँढ कर वापस लाई ढलती शाम फिर से…

अन्जान – (ग़ज़लें)

अन्जान उम्र भर घर में रहा, अपनों से अन्जान रहा शख़्स दीवाना था, दुनिया से परेशान रहा कुछ ख़रीदार जो आते रहे, जाते भी रहे ख़्वाहिशें बिकती गईं और वो…

ज़ख्म पुराने – (ग़ज़लें)

ज़ख्म पुराने जाने क्यों फिर रोने का मन करता है ज़ख्म पुराने धोने का मन करता है यूँ तेरी यादों के मंज़र तारी हैं दामन आज भिगोने का मन करता…

एक फोटो भर नहीं – (कविता)

एक फोटो भर नहीं मैं कोई फोटो भर नहीं मैं मात्र चेहरा भी नहीं जिसे देखो रॉयल डॉल्टन क्रिस्टल के फ्रेम में जड़ो, सराहो रंगीन सपने सजाओ प्रेम गीत गाओ…

स्त्री मरेगी नहीं – (कविता)

स्त्री मरेगी नहीं स्त्री मरेगी नहीं अलस्सुबह खिलेगी गुलाबों की तरह महकती रहेगी मोगरे जैसी बिखरती रहेगी ज़िन्दगी के मरुथल में तुहिन कणों सी कंधे के थैले में भर कर…

बलात्कार – (कविता)

बलात्कार माँ ने कहा था तुम लड़की हो अकेले कहीं मत जाना रात बिरात देर से मत आना बात बेबात मत खिलखिलाना ज़माना खराब है किसी को कुछ मत बताना…

बिल्लौची – (कविता)

बिल्लौची लड़की अब माँ है माँ रोती हुई बच्ची को चुपाती लोरी सुनाती न सोये तो डराती ‘सो जा, नहीं सोई तो बिल्लौची आ जाएगा’ बच्ची सो जाती सुबह उठती…

मुखौटे -(कविता)

मुखौटे पढ़ी लिखी लड़की काम पर जाती है हवाई जहाज़ उड़ाती है स्पेस शिप चलाती है बिल्डिंग्स बनाती है और टीचर बनकर जीवन कैसे जियें पाठ पढ़ाती है वो इंजीनियर…

इश्तेहार – (कविता)

इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…

विराम को विश्राम कहाँ! – (व्यंग्य)

विराम को विश्राम कहाँ! -आरती लोकेश गए दिनों कुछ संपादकीय कार्य करते हुए मुझे लगभग एक ही जैसी चीज़ें बार-बार खटकीं। कुछ रचनाएँ, शब्द संयोजन, वाक्य विन्यास और विराम चिह्न…

श्येन परों पर ठहरी हिन्दी – (आलेख)

श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…

बाबा की धूल – (कविता)

बाबा की धूल प्रभु मुझे नव जन्म में करना, बाबा की बगिया का फूल । और नहीं तो मुझको करना, बगिया की मिट्टी की धूल । क्यारी में पानी देते…

आधी माँ, अधूरा कर्ज़ – (कहानी)

आधी माँ, अधूरा कर्ज़ -आरती लोकेश आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला एक…

पड़ोसी धर्म – (कहानी)

पड़ोसी धर्म -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार सुबह से रीमा का माथा ठनका हुआ था। रात उसने डेढ़ बजे तक पढ़ाई की थी और कुछ दिनों से परीक्षा के टेंशन में…

मेरी कविता – (कविता)

मेरी कविता कहती खामोशी की कहानी तू है मौन की अभिव्यक्ति तू सुख-दुख की मेरी सहेली है साथ तेरे हर पल नव जीवन बिन तेरे सब कुछ लगे निरर्थक निराशा…

सच्चा साथी

सच्चा साथी – अंजू घरभरन विद्या रातभर पढ़ने के बाद पौ फटने पर लेटी थी।आँखे बोझिल और नींद से भारी हो चुकीं थी। मन की चिंता को छुपाते हुए माँ…

मॉरीशस – (कविता)

मॉरीशस वर्षों पहले भारत के कुछ लाल एग्रीमेंट पर लाये गए गिरमिटिया कुली कहलाये वे उपनिवेशी था वह काल नंबर थी एकमात्र पहचान खून-पसीना भरपूर बहाया हड्डियां भी तुड़वायीं अपनी…

ताना-बाना – (लघु कथा)

ताना-बाना रानी घर के काम निपटा कर बाज़ार की ओर का रुख ले चुकी थी। घर में एक भी सब्ज़ी नहीं थी। जल्दी से घर लौटकर उसे शाम के लिए…

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