क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? – (कविता)
क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? वहाँ, जहाँ प्रभुता ही प्रभुता,हर क्षण है आनंद बरसता,जीवन प्याला रहे छलकता,दसों दिशाएँ, बहे सरसता। क्या तुम मेरे…
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क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? वहाँ, जहाँ प्रभुता ही प्रभुता,हर क्षण है आनंद बरसता,जीवन प्याला रहे छलकता,दसों दिशाएँ, बहे सरसता। क्या तुम मेरे…
कौतूहल पर्वत के इस पार मैं सोचूँ पर्वत के उस पार क्या होगा ? शायद उधर झील हो सुंदर कमल-पुष्प खिलते हों भीतर, सूर्य की किरणें चमकें जल पर जैसे…
अर्थ जिस प्रकार अति तीव्र गति सेपरिभ्रमण करते चक्र की गतिदृष्टव्य नहीं होतीएवं यह मिथ्याभास हो जाता हैकि वह स्थिर है, जड़ है,ऐसा ही तुम्हारे जीवन का कर्मरथ है, मित्र।वीणा…
ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य -रेखा राजवंशी कहा जाता है साहित्य समाज का दर्पण है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। लगभग चालीस वर्ष पहले हिंदी भाषी…
ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण -रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया भी भारत की ही तरह एक बहु-सांस्कृतिक देश है, जहाँ अनेक देशों के लोग आकर बस गए हैं। यहाँ के खान-पान, रंग, रूप,…
चंदा मामा दूर के -रेखा राजवंशी आज मेरा जन्मदिन है। बर्थडे नहीं बल्कि वह दिन, जिस दिन मैं अपनी माँ की कोख से जन्म लूंगा। माँ और पापा बहुत खुश…
तलाश -रेखा राजवंशी मेरा नाम नेटा है, किसने रखा, शायद मेरे माता पिता ने रखा होगा। या शायद बाद में मेरे इंस्टीट्यूशन ने रखा हो। पर इससे क्या फर्क पड़ता…
पागलपन ऐसा भी मौसम होता है नैन हँसें और मन रोता है यादो की रिमझिम होती है आँखो में सावन होता है अपने गुलशन के ख़ारो से बँधा हुआ दामन…
ख़लिश इक ख़लिश सी हुई मेरे दिल मेंकोई डूबा है आके साहिल में शख़्स वो उठ गया अचानक सेजान डाली था जिसने महफ़िल में रस्ते साफ़ थे, सफ़र आसाँख़ार लेकिन…
ढलती शाम धीरे-धीरे घर में आई ढलती शाम कितनी भूली बातें लाई ढलती शाम पैरो की आहट आई तो मुझे लगा तुम्हें ढूँढ कर वापस लाई ढलती शाम फिर से…
अन्जान उम्र भर घर में रहा, अपनों से अन्जान रहा शख़्स दीवाना था, दुनिया से परेशान रहा कुछ ख़रीदार जो आते रहे, जाते भी रहे ख़्वाहिशें बिकती गईं और वो…
ज़ख्म पुराने जाने क्यों फिर रोने का मन करता है ज़ख्म पुराने धोने का मन करता है यूँ तेरी यादों के मंज़र तारी हैं दामन आज भिगोने का मन करता…
एक फोटो भर नहीं मैं कोई फोटो भर नहीं मैं मात्र चेहरा भी नहीं जिसे देखो रॉयल डॉल्टन क्रिस्टल के फ्रेम में जड़ो, सराहो रंगीन सपने सजाओ प्रेम गीत गाओ…
स्त्री मरेगी नहीं स्त्री मरेगी नहीं अलस्सुबह खिलेगी गुलाबों की तरह महकती रहेगी मोगरे जैसी बिखरती रहेगी ज़िन्दगी के मरुथल में तुहिन कणों सी कंधे के थैले में भर कर…
बलात्कार माँ ने कहा था तुम लड़की हो अकेले कहीं मत जाना रात बिरात देर से मत आना बात बेबात मत खिलखिलाना ज़माना खराब है किसी को कुछ मत बताना…
बिल्लौची लड़की अब माँ है माँ रोती हुई बच्ची को चुपाती लोरी सुनाती न सोये तो डराती ‘सो जा, नहीं सोई तो बिल्लौची आ जाएगा’ बच्ची सो जाती सुबह उठती…
मुखौटे पढ़ी लिखी लड़की काम पर जाती है हवाई जहाज़ उड़ाती है स्पेस शिप चलाती है बिल्डिंग्स बनाती है और टीचर बनकर जीवन कैसे जियें पाठ पढ़ाती है वो इंजीनियर…
इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…
विराम को विश्राम कहाँ! -आरती लोकेश गए दिनों कुछ संपादकीय कार्य करते हुए मुझे लगभग एक ही जैसी चीज़ें बार-बार खटकीं। कुछ रचनाएँ, शब्द संयोजन, वाक्य विन्यास और विराम चिह्न…
श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…