मेड इन इंडिया – (कहानी)
मेड इन इंडिया – दिव्या माथुर बड़ा अजीब माहौल था; एक ओर अपने सहकर्मियों के साथ पब में बैठी जसबीर लांबा लाल शराब कुछ यूँ गटके चली जा रही थी…
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मेड इन इंडिया – दिव्या माथुर बड़ा अजीब माहौल था; एक ओर अपने सहकर्मियों के साथ पब में बैठी जसबीर लांबा लाल शराब कुछ यूँ गटके चली जा रही थी…
ज़हरमोहरा – दिव्या माथुर ‘आर यू प्रैगनैंट, माही?’ ग़ुसलखाने से बाहर निकलते ही जेसन ने महिका से सीधे-सीधे पूछ लिया। महिका सिर झुकाए कुर्सी पर आ बैठी; हां या ना…
पुरु और प्राची – दिव्या माथुर बद्रीनारायण ओसवाल का इकलौता वारिस था उनका बेटा, हरिनारायण जो एक अमेरिकन लड़की से शादी करके कैलिफ़ोर्निया में जा बसा था। हालांकि हरिनारायण की…
2050 – दिव्या माथुर ऋचा की आँखों में उच्च वर्ग का सा इस्पात उतर आया, एकबारगी उसे लगा कि वह भी इस्पात में ढल सकती है। गँवार लोग ही रोते…
पंगा – दिव्या माथुर एक नई नवेली दुल्हन सी एक बी-एम-डब्ल्यु पन्ना के पीछे लहराती हुई सी चली आ रही थी, जैसे दुनिया से बेख़बर एक शराबी अपनी ही धुन…
कबाड़ – दिव्या माथुर ‘गद्दे क्या सस्ते आते हैं, रक्षित? मैं मर जाऊंगी तो तुम्हें नया गद्दा फेंकना बड़ा बुरा लगेगा।’ कैंसर से ग्रसित इन्दिरा की यह बात बहु रीटा…
गूगल – दिव्या माथुर ‘ओह शिट्ट’ कहकर एक लड़की डर के मारे मुझसे दूर जा खड़ी हुई जैसे कि उसने कोई शेर देख लिया हो। मैं मुश्किल से अपनी हंसी…
ब्लडी कोठी – दिव्या माथुर ‘चोर भी दो घर छोड़कर डाका डालता है, मम्मी।’ बड़े बेटे सुमित की बात सुनकर मानसी का दिल दहल गया; अपने ही छोटे भाई के…
बचाव – दिव्या माथुर निंदिया के बाबा कहा करते थे कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं; एक तो वे जो पक्षियों की तरह सूरज के उगते ही…
संदेह – दिव्या माथुर ब्रायन पीटर्स पूर्णतः आश्वस्त था; चौपड़ का हर मोहरा उसकी मर्ज़ी के मुताबिक पर चल रहा था। संबंधी, मित्र, पड़ोसी और सहकर्मी उसकी तारीफ़ करते नहीं…
सांप-सीढ़ी – दिव्या माथुर सिनेमाघर के घुप्प अंधेरे में भी राहुल की आंखें बरबस खन्ना-अंकल के उस हाथ पर थीं जो उसकी मम्मी के कंधों और कमर पर बार-बार बहक…
आशियाना – दिव्या माथुर नर्स एडवर्ड ने आशा को उठा कर गाव-तकियों के सहारे बैठा दिया और बिस्तर के दोनों तरफ़ लगी स्टील की शलाकाओं को उठा कर उसे व्यवस्थित…
एक था मुर्गा – दिव्या माथुर डाक्टर पीटर्स के रोगनिदानुसार टिनिटस का सम्भवतः कोई इलाज न था; कैसे जी पाएगी अक्षता अपने कानों में इस शोर के साथ? जैसे-जैसे सांझ…
बेचारी सिंथिया – दिव्या माथुर हायसिंथ अथवा थियो, उर्फ़ ‘पुअर सिंथिया’ अथवा ‘घुन्नी सिंथिया’ जैसे नामों और उपनामों से सुसज्जित, सिंथिया को सिर्फ़ उसकी माँ ईडिथ ही उसे पूरे नाम…
पुरु और प्राची – दिव्या माथुर बद्रीनारायण ओसवाल का इकलौता वारिस था उनका बेटा, हरिनारायण जो एक अमेरिकन लड़की से शादी करके कैलिफ़ोर्निया में जा बसा था। हालांकि हरिनारायण की…
एडम और ईव – दिव्या माथुर बात ज़रा सी थी; एक झन्नाटेदार थप्पड़ ईव के गाल पर पड़ा। वह संभल नहीं पाई, कुर्सी और मेज़ से टकराती हुई ज़मीन पर…
मौसा… यूरी बोत्वींकिन जब मैं पैदा हुआ था मेरे पिता दूसरे शहर में थे एक सैनिक संस्था में कोर्स करते हुए, कुछ महिनों बाद ही आ पाए। अस्पताल से मेरी…
मूल कविता : वसील स्तूस अनुवाद : यूरी बोत्वींकिन Ярій, душе… Ярій, душе. Ярій, а не ридай.У білій стужі сонце України.А ти шукай — червону тінь калинина чорних водах —…
काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…
मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…