Category: यूरोप

यूरोप

मायाजाल – (संस्मरण)

मायाजाल – दिव्या माथुर सुबह के 6 भी नहीं बजे थे कि हम घर से निकल पड़े। बेटे ने कार की सीट को गर्म कर दिया था पर फिर भी…

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – (यात्रा संस्मरण)

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – दिव्या माथुर लंदन की यांत्रिकता के चक्रव्यूह से निकल, फुर्सत के कुछ दिन एक ऐसी जगह बिताने का मन था इस बार, जहां प्राचीन तोरण-द्वार-इमारतें हों,…

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – (व्यंग्य)

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – दिव्या माथुर जौर्ज बर्नार्ड शा के मुताबिक पुरुष को चाहिए कि जब तक टाल सके टाले और स्त्री को चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके…

नई नवेली विधवा – (व्यंग्य)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर अन्त्येष्टी-निदेशक की चौकसी में कारों का जुलूस चींटी-चाल से आगे बढ़ा। हैनरी विलियम्स का सजा धजा शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था। ताबूत पर…

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – (व्यंग्य)

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – दिव्या माथुर एक ज़माना था कि जब हम व्हाट्सऐप को प्रभु का वरदान मान बैठे थे, फिर जो वरदानों की बौछार शुरू हुई…

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – (व्यंग्य)

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – दिव्या माथुर शादीशुदा हो या कुँवारे, वैलेन्टाइंस-डे पुरुषों के लिए खासतौर पर एक अच्छी खासी मुसीबत है। बीवियों और गर्ल-फ़्रेंड्स की फ़रमाइशें हफ़्तों पहले शुरू हो…

अनुवाद की अंतरगाथा – (लेख)

अनुवाद की अंतरगाथा – दिव्या माथुर दक्षिण एशिया का जीवंत बहुभाषावाद हमारी साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय और प्रवासी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। हमें…

ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी हम – (कविता)

ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी हम हम ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी की तरह हैंसमझ में नहीं आता जिसका अर्थ!नीले आकाश की मेहराब के नीचे हम छल्ले छोड़ते हैं,जो हमसे…

पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हम – (कविता)

पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हम पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हमएक निस्संकोच नृत्य में हिमकण-फीता हैं जैसे..हम हैं मानों पिघले बादल जो माँ के गर्भ…

खुद का सहारा – (कविता)

खुद का सहारा खुद से सहारा बनने का वादा करो.अपना जीव तिरस्कार से नहीं पर समर्थन से भर लो,अपने लिए मित्र, पिता और सलाहकार बनो,बाहर से किसी की तलाश करने…

पेड़ों को – (कविता)

पेड़ों को कुछ अकेले ही उगते हैं,और कुछ, अपनी शाखाएँ जोड़कर,एक परिवार बनाते हैंएक पतली बेल बच्ची पैदा करके. जोड़ा बनाके एक दूसरे के तने बांहों में लेते हैंऔर आपस…

और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है… – (कहानी)

और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है… और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है…सिर झुककर, तुम देर रात को मेट्रो से बाहर…

जीवन मेरा पैचवर्क कम्बल – (कविता)

जीवन मेरा पैचवर्क कम्बल मैं एक पैचवर्क कम्बल सिल दूँमेरे जीवन के प्रसंगों से।यहाँ गहरा नीला है, यहाँ चमकीला बैंगनी है, और भूरा, लाल और सभी हरा है!हर टुकड़ा मुझे…

नई नवेली विधवा – (लघु कथा)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर हैनरी विलियम्स का शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था; ताबूत पर चम्पा के फूलों से लिखा था ‘माई-डार्लिंग-हब्बी’ और लिलीज़ से गुंधी हुई अन्य…

स्वामी जी – (लघु कथा)

दिव्या माथुर जैट-एयरवेज़ के हवाई जहाज़ में बैठी थी। उड़ान लन्दन से मुम्बई के लिए रवाना हुई ही थी कि मैंने अपने पीछे से एक विदेशिनी की भारी आवाज़ सुनी।…

मनहूस – (लघु कथा)

मनहूस – दिव्या माथुर पार्क-रौयल अंडरग़्राउंड-स्टेशन के बाहर मुस्कुराता हुआ वह युवक हर रोज़ की तरह आज भी वहाँ खड़ा था। हर सुबह की तरह आज भी उसने अपने हैट…

जंक – (लघु कथा)

जंक – दिव्या माथुर कार-बूट-सेल्स में घूम-घूम कर छोटी बड़ी चीज़ें इकट्ठी करने का एक ही तो शौक़ था इन्दिरा का – तस्वीरें, मूर्तियाँ, सिक्के, स्टैम्प्स,, केतलियाँ, मुखौटे, महंगी धातुओं…

3050 – (लघु कथा)

3050 – दिव्या माथुर शाम के धुन्धलके में कुछ अधमरे से लोग एक धूसर और ठिगनी मुंडेर के इस ओर खड़े थे। मुंडेर के दूसरी ओर कुछ शिशुओं की लाशें…

राधा-राधा – (कहानी)

राधा-राधा – दिव्या माथुर एक इंजीनियर से विवाह करने के बाद अचानक माधवी को दिल्ली से एक सौ सत्तर मील दूर रुड़की में आकर बसना पड़ा, शायद उसके बेटे भी…

करारनामा – (कहानी)

करारनामा – दिव्या माथुर नील का पीछा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था, न ही कोई औचित्य। हमारे विवाह के करारनामे में स्पष्ट लिखा है कि किसी गैर से…

Translate This Website »