Category: कविता

करम परब – (कविता)

*** डॉ शारदा प्रसाद करम परब (झारखंड का लोकप्रिय पर्व) भादो माह शुक्ल एकादशीकरम परब लेकर आया!हरियर करम डाल ले भाई आयाबहना का मन हरसाया!! भाई-बहन का पर्व है प्याराकरमा-धरमा…

रक्षा बंधन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** रक्षा बंधन सावन का पूनम का चंदाआया ले किरणों का उपहार!सकल विश्व मना रहाभाई-बहन का सुंदर त्यौहार!! कलाई सजेगी राखी सेशुभ तिलक लगेगा भाल विशाल!आरती उतारे…

झूलन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** झूलन झूला झूलैं कृष्ण-कन्हैयामाथे मोर मुकुट अति शोभितबलि-बलि जात हैं नंद-यशोदागोपियों का मन हर्षित- मोहित सावन माह है अति मनभावनझूलैं संग-संग राधा रानी!कृष्ण-कन्हैया के मन बसतीवृषभानु…

आजादी की सुनहरी भोर – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** आजादी की सुनहरी भोर सन् सत्तावन से सततचलती रही लड़ाई!तब जाकर आजादी कीपावन शुभ घड़ी आई!! आजादी की बलिवेदी परवीरों ने शीश चढ़ाई!अंग्रेजों के दमन सहेऔर…

आम आदमी – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी वो मिलता है वो दिन मुझकोअपना सामान समेटे हुएमैली कुचैली इक चादर मेंअपना ईमान समेटे हुए हाड़ मांस की इक जर्जर कायामिलती बोझा ढोते हुएमुख…

आम आदमी अमन चाहता है – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी अमन चाहता है न कलह चाहता हैन दमन चाहता हैन सत्ता चाहता हैन चमन चाहता हैपिस जाता है फिरभी सियासत के पाटों मेंएक आम आदमी…

अच्छी औरतें – (समाचार)

प्राची मिश्रा *** अच्छी औरतें ज़माने ने समझायाअच्छी औरतें घर में रहती हैंजो अपने मन की बात के अलावासब कुछ कहती हैंजो लड़ती हैं पति से गहने ज़ेवर के लियेपर…

तुम्हारा होना – (कविता)

प्राची मिश्रा *** तुम्हारा होना मेरे दुपट्टे का एक छोरहमेशा तुम्हारा रहेगाजिसमें बेफिक्र होकर तुमपोंछ सको अपने आँसूहां तुमने ठीक सुना!!मैं चाहती हूँ तुम दर्द कोइक्कठा करना छोड़ दोतुम्हारे रोने…

ये आँखें – (कविता)

प्राची मिश्रा *** ये आँखें ये आँखेंबस उतनी ही छलकनी चाहिएजितने में न डूबे ये संसारये धरती और ये मनचीर कर दुःख का सीनाजब पिघलती हैं ये आँखेंपत्थर कर देती…

हम लखनौवा हैं : दोस्ती नहीं यारी निभाते हैं – (कविता)

हम लखनौवा है : दोस्ती नहीं यारी निभाते है डॉ शिप्रा शिल्पी, कोलोन, जर्मनी क्या फर्क पड़ता कोई आपको क्या समझता है, दोस्त वही जो आपको समझने की समझ रखता…

आलोचक – (कविता)

नरेश शांडिल्य आलोचक उसने मेरे पसीने को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे आँसू को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे ख़ून को पानी कहामैं चुप रहा लेकिन जब उसनेअपनी…

अम्मा – (कविता)

नरेश शांडिल्य अम्मा मंदिर की देहरीभजन गाती मंडलीदाना चुगती चिड़ियातुलसी का बिरवापीपल का पेड़छड़ीवॉकरअस्पताल का स्ट्रेचर…जब-जब भी दिखते हैंयाद आने लगती है –अम्मा… सब छोड़ गई अम्मा –अपना हॉल सा…

घास काटती हुई औरत – (कविता)

– नरेश शांडिल्य घास काटती हुई औरत बाग़ मेंघास काट रही है एक औरत पर वैसे नहीं –जैसे गोवा के टापूकाट रहे हैं छुट्टियाँ पर वैसे नहीं –जैसे संसद के…

यक्ष प्रश्न – (कविता)

–डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन यक्ष प्रश्न चढ़ गया एक और प्यासाआत्महन्तासीढ़ियां रचकर शवों कीललकतापीने सुनहरास्वर्ग का मृगजल।अभी मुंह रक्त पी खारा हुआ थाहाथ हत्या से रंगेबदले हुए थे बोटियों मेंऔर…

नीराजना – (कविता)

– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन नीराजना दीप बुझता-सा लिएमैं खोजता हूंचिर मुंदा अनजान ओझल द्वारजिसके पारस्रोत आपन्न अपरंपारबस ज्योतिष्मती निर्द्वन्द्व धारा बह रही हैकाल-द्रुम के स्वर्णपल्लवएक बंदनवार में आविद्धमस्तक पर…

शोर के गढ़ – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन शोर के गढ़ शोर के गढ़ बन गए सब ओरजिनमें शब्द अर्थों से छुड़ाकरकैद कर रखे उन्होंनेपास जिनके आदमी अपनेबने नक्कारखाने।लेखनी का शील करके भंगवे फहरा…

अधर का पुल – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन अधर का पुल अधर में रखा है एक पुलन इधर कोई किनारा है उसकान उधर।दिशाओं से ऊपरआर या पार ले जाने की प्रतिबद्धता से मुक्तशून्य को…

खंडित मुकुर – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन खंडित मुकुर मैं पड़ा खंडित मुकुर-साआपकी नजरों से गिरकरधूल मेंअब रूप कितने देखताप्रतिबिम्ब कितने दे रहा हूं।आप चतुरानन दशानन या शताननरूप जितने भी बनातेमैं उन्हें शत-शतमुखीगंदले…

एक और आत्मसमर्पण – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन एक और आत्मसमर्पण खोलकर डोरी धनुष कीऔर निज तूणीरतीखी वेदनाओं से भरामैं डालता हूंआज फिर हथियार मन के स्वर्णलता के बिछाए जाल सेअब तीर अपने आप…

अब घर आ जा – (कविता)

– सुयोग गर्ग, तोक्यो, जापान अब घर आ जा आधी रात, सून सन्नाटा और पापा का कॉलजागे हुए हैं तेरी फ़िक्र में, अब घर आ जा मन मौज़कड़कती धूप, झुलसती…

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