Category: कविता

आत्म-सम्मान – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल आत्म-सम्मान आत्म-सम्मान आपका जीवन का मूल्यवान निधि हैहमेशा इसकी रक्षा करना आपकी ज़िम्मेदारी हैआत्म-सम्मान न बाज़ार में बेचा जाता हैऔर न मंडी में प्राप्त होता हैआप स्वयं आत्म-सम्मान…

मातृभूमि – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल मातृभूमि मातृभूमि! मातृभूमि!मेरी प्यारी मातृभूमि! मानव प्रेमी बनोकर्म प्रेमी बनोस्वाभिमानी बनोबुद्धिमानी बनो! अशक्त नहीं सशक्त बनोपरतंत्र नहीं स्वतंत्र बनोप्यार बाँटोप्रेम करो! मातृभूमि का सम्मान करोकानून का रक्षक बनोकानून…

इश्क – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** इश्क इश्क को प्यार, मुहब्बत भी कहते हैंइश्क एक एहसास हैएक भावना हैहमारा जीवन का आधार हैइश्क ही हमारा जीवन का केन्द्र-बिन्दु है। इश्क आप कलम से…

रिमझिम बरसात भरी – (कविता)

डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ *** रिमझिम बरसात भरी (उड़ियाना छंद) रिमझिम बरसात भरी, सावन सुहावनी।शिव जी का ध्यान धरें, ऋतु है सुपावनी॥नद नाले तृप्त हुए, हरियाली छायी।कोयल की कुहू-कुहू, मन…

छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! – (कविता)

डॉ. अशोक बत्रा, गुरुग्राम छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! माँ छूती है बादल जैसेबारिश जैसे, अमृत जैसे!स्पर्श पिता काधूप हो जैसे, सूरज जैसे।दादा दादी नाना नानीकिशमिश जैसे और छुआरे।सखी…

अपनी नागरी लिपि – (कविता)

डॉ. शारदा प्रसाद *** अपनी नागरी लिपि हिंदी हो जन-जन की भाषाहिंदी हो हर-मन की आशा!बने सकल विश्व में सिरमौरऐसी है सबकी अभिलाषा!! सब मिलकर करें प्रयासहर बोली का हो…

करम परब – (कविता)

*** डॉ शारदा प्रसाद करम परब (झारखंड का लोकप्रिय पर्व) भादो माह शुक्ल एकादशीकरम परब लेकर आया!हरियर करम डाल ले भाई आयाबहना का मन हरसाया!! भाई-बहन का पर्व है प्याराकरमा-धरमा…

रक्षा बंधन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** रक्षा बंधन सावन का पूनम का चंदाआया ले किरणों का उपहार!सकल विश्व मना रहाभाई-बहन का सुंदर त्यौहार!! कलाई सजेगी राखी सेशुभ तिलक लगेगा भाल विशाल!आरती उतारे…

झूलन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** झूलन झूला झूलैं कृष्ण-कन्हैयामाथे मोर मुकुट अति शोभितबलि-बलि जात हैं नंद-यशोदागोपियों का मन हर्षित- मोहित सावन माह है अति मनभावनझूलैं संग-संग राधा रानी!कृष्ण-कन्हैया के मन बसतीवृषभानु…

आजादी की सुनहरी भोर – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** आजादी की सुनहरी भोर सन् सत्तावन से सततचलती रही लड़ाई!तब जाकर आजादी कीपावन शुभ घड़ी आई!! आजादी की बलिवेदी परवीरों ने शीश चढ़ाई!अंग्रेजों के दमन सहेऔर…

आम आदमी – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी वो मिलता है वो दिन मुझकोअपना सामान समेटे हुएमैली कुचैली इक चादर मेंअपना ईमान समेटे हुए हाड़ मांस की इक जर्जर कायामिलती बोझा ढोते हुएमुख…

आम आदमी अमन चाहता है – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी अमन चाहता है न कलह चाहता हैन दमन चाहता हैन सत्ता चाहता हैन चमन चाहता हैपिस जाता है फिरभी सियासत के पाटों मेंएक आम आदमी…

अच्छी औरतें – (समाचार)

प्राची मिश्रा *** अच्छी औरतें ज़माने ने समझायाअच्छी औरतें घर में रहती हैंजो अपने मन की बात के अलावासब कुछ कहती हैंजो लड़ती हैं पति से गहने ज़ेवर के लियेपर…

तुम्हारा होना – (कविता)

प्राची मिश्रा *** तुम्हारा होना मेरे दुपट्टे का एक छोरहमेशा तुम्हारा रहेगाजिसमें बेफिक्र होकर तुमपोंछ सको अपने आँसूहां तुमने ठीक सुना!!मैं चाहती हूँ तुम दर्द कोइक्कठा करना छोड़ दोतुम्हारे रोने…

ये आँखें – (कविता)

प्राची मिश्रा *** ये आँखें ये आँखेंबस उतनी ही छलकनी चाहिएजितने में न डूबे ये संसारये धरती और ये मनचीर कर दुःख का सीनाजब पिघलती हैं ये आँखेंपत्थर कर देती…

हम लखनौवा हैं : दोस्ती नहीं यारी निभाते हैं – (कविता)

हम लखनौवा है : दोस्ती नहीं यारी निभाते है डॉ शिप्रा शिल्पी, कोलोन, जर्मनी क्या फर्क पड़ता कोई आपको क्या समझता है, दोस्त वही जो आपको समझने की समझ रखता…

आलोचक – (कविता)

नरेश शांडिल्य आलोचक उसने मेरे पसीने को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे आँसू को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे ख़ून को पानी कहामैं चुप रहा लेकिन जब उसनेअपनी…

अम्मा – (कविता)

नरेश शांडिल्य अम्मा मंदिर की देहरीभजन गाती मंडलीदाना चुगती चिड़ियातुलसी का बिरवापीपल का पेड़छड़ीवॉकरअस्पताल का स्ट्रेचर…जब-जब भी दिखते हैंयाद आने लगती है –अम्मा… सब छोड़ गई अम्मा –अपना हॉल सा…

घास काटती हुई औरत – (कविता)

– नरेश शांडिल्य घास काटती हुई औरत बाग़ मेंघास काट रही है एक औरत पर वैसे नहीं –जैसे गोवा के टापूकाट रहे हैं छुट्टियाँ पर वैसे नहीं –जैसे संसद के…

यक्ष प्रश्न – (कविता)

–डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन यक्ष प्रश्न चढ़ गया एक और प्यासाआत्महन्तासीढ़ियां रचकर शवों कीललकतापीने सुनहरास्वर्ग का मृगजल।अभी मुंह रक्त पी खारा हुआ थाहाथ हत्या से रंगेबदले हुए थे बोटियों मेंऔर…

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