दूर देश – (स्पेनिश कविता अनुवाद)
मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते दूर देश (दूर देश की यात्रा से लौटे इरेने और खावियर के लिए) मैं स्वप्न में कल्पना करता…
हिंदी का वैश्विक मंच
मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते दूर देश (दूर देश की यात्रा से लौटे इरेने और खावियर के लिए) मैं स्वप्न में कल्पना करता…
मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते मूल कविता – खोसे लुईस मोरांते कुछ शिकारी कुछ शिकारीतन के घर्षण सेउपजे निशान तलाश रहे हैं साथ ही चबा रहे हैंकुछ मीठे बेरऔर…
डॉ. महादेव एस कोलूर वैश्विक हिंदी परिवार की उड़ान (जून 2020 से जून 2025 के पाँच स्वर्णिम वर्षों पर आधारित) हिंदी के स्वर ने जब सुर छेड़ा,दूर देशों का मन…
नूपुर अशोक, ऑस्ट्रेलिया सवाल उठाना मना है यहाँ सवाल मत उठाना,सवाल उठाते ही यहाँ लोगचौखटे में जड़ करकिसी कील पर टाँग दिए जाते हैं।क्योंकि धर्म को सवालों से नफ़रत हैऔर…
– नूपुर अशोक, ऑस्ट्रेलिया विदेश में पतझड़ हरीतिमा में लिपटे वृक्षमहसूसते हैं बदलती हुई हवाओं कोसमझने लगते हैं किउनका समय गुज़र चुका है मन का उच्छ्वासधूमिल कर देता है उन्हेंभूरे…
नूपुर अशोक, ऑस्ट्रेलिया प्रतीक्षा सिंड्रेला की वह ख़ूबसूरत जूतीमैंने बड़े जतन से संभाल कर रखी हुई थीइस आस मेंकि शायद किसी दिन वो मुझे मिल जाएशायद किसी दिन वो खुद…
नूपुर अशोक, ऑस्ट्रेलिया ====== बूँद और मैं पानी की एक बूँदमेरी खुली हथेली पर आ पहुँचीशायद आसमान से आयीज़िंदगी से भरी एक बूँद चाहूँ तो पी लूँ,चाहूँ तो गीला कर…
– शशिकला त्रिपाठी, भारत बाजार में त्योहार अब त्योहार झूमने लगे हैंरसिकों में, जाति विशेष के समूहों मेंक्लबों में, बेड़ों पर, बड़े-बडे होटलों मेंजनता की पहुँच से दूरगाई जाती है…
दूर्वा तिवारी, ऑस्ट्रेलिया राम इस युग में अब राम कहाँ हैं? निजता में बस मनु रह गयानहीं रहा अब कोई मनस्वीभीड़ पड़ी है महाकुंभ मेंलेकिन दुर्लभ कोई तपस्वीकोलाहल और शोर…
दूर्वा तिवारी, ऑस्ट्रेलिया गुत्थियां अनगिनत अनसुलझी गुत्थियां…शरीर से भारीकर मन का वज़नबढ़ने नहीं देतीएक भी कदमये हजारों बेतरतीब गुत्थियां सैंकड़ों तंतुओं केमहीन बुने जाल मेंबदहवास फैलते हुएग्रसित कर मस्तिष्क कोरेंगती…
दूर्वा तिवारी, ऑस्ट्रेलिया परब्रह्म निहित भाव बस यही है अबस्वयं के सत्य को पाऊँ मैंआकार-साकार से मुक्त कहींनिराकार हो जाऊँ मैं युग-काल, यूँ ही सब बीत रहेजन्म-जन्मांतर व्यर्थ सहेजीवन-मृत्यु अब…
– दूर्वा तिवारी, ऑस्ट्रेलिया कविता एक नई कविता की ख़ातिर मैं स्याही हो जाऊँगीरिक्त हृदय में ढूँढूंगीनिःशब्द मेरे सारे अनुभवफिर धीमे-धीमे दूँगी मैंरूप उन्हें यथा सम्भवकुछ होंगीं बिसरी सी स्मृतियाँऔर…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका तुलसी का पौधा वो खुला सा आंगनउस में कई तरह के पौधेफल के कुछ फूल केमगर मेरा सबसे मनपसन्दथा तुलसी का पौधारखती थी दादीउसे सदा एक…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका भारतम्बा भारत की मातृ देवीहो सब की तुम माताजन जन कहे तुम्हे जननीअपनी सर्वश्रेष्ठ भारत मातामाँ सुन लो सब की पुकारगिरे हुओं को फिर से उठाओ…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका वसंत देखो फिर वसंत है आयाअपने संग मधुरता लाया लद गइ हर तरु की डालीफूलों संग हवा मतवालीकुदरत का है रूप सलोनाकिसने किया हसीन टोना कोयल…
–सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका प्रज्ज्वलित शिकारा स्याही सी काली रात छा रही हैधरा से ज्वालाएं ऊपर आ रही हैंहर ओर है मातम का समांधू-धू करता धुआँ उठ रहा हैउसके बीच कोई…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस आज है अंतरराष्ट्रीय दिवसमज़ेदार अपनी चाय का,बेहतर जीवन जीने के लिएस्वाद लो हमारी चाय का। ठण्ड पड़ती हो या गर्मीआंख नहीं खुलती है…
– मृणाल शर्मा, ऑसट्रेलिया दोपहर की अकेली पगडंडी वह दोपहर की एक अकेली पगडंडी,जो मेरे घर के ठीक पीछे निकलती है,न जाने कहाँ जाती है ?बेखौफ उन झाड़ियों में खो…
– मृणाल शर्मा, ऑस्ट्रेलिया पेड़ लगाना यज्ञ है जब यौवन सो चुका युद्ध की बेला,और मांग रहा रण अपनी आहुतिउस समय बिन विचारे घर-घर वीर जगाना यज्ञ है जब धरा…
– मृणाल शर्मा चिड़ियों को दाना मै चिड़ियों को दाना,पीने को पानी क्यों दूँ ?यह जबरन झरोखों से,भीतर घुस आती हैअलमारियों के पीछेपंखे के ऊपर घोंसले बनाती हैटूटते परिवारों के…