Category: संस्मरण

अनुपम मिश्र की उपस्थिति – (संस्मरण)

वरिष्ठ लेखक जयशंकर ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद, लेखक अनुपम मिश्र जी को, उनके कामों को याद करते हुए यह आत्मीय गद्य लिखा है।

बहुत याद आएंगें, विभूति जी! – (संस्मरण)

बहुत याद आएंगें, विभूति जी! दिनेश कुमार माली, ओड़िशा हर दिन की तरह आज सुबह भी मैंने लिंगराज एमटी हॉस्टल के चारों परिक्रमा करते हुए मैंने फोन किया, “कैसी तबीयत…

तुम्हारे बगैर मृत्यु ईश्वर! – (संस्मरण)

तुम्हारे बगैर मृत्यु ईश्वर! – डॉ0 वरुण कुमार माँ नहीं रहीं। दो महीनों तक मृत्‍यु से संघर्ष करने के बाद वे विदा हो गईं। दिमाग की नस फटने से वे…

स्थाई पता – (संस्मरण)

स्थाई पता – सच्चिदानंद जोशी अपना भोपाल का घर समेटते हुए एक पुराना कागज हाथ लग गया, मेरे हायर सेकेंडरी बोर्ड के नामांकन पत्र का। नवीं क्लास में थे हम।…

मेरे दादा – (संस्मरण)

मेरे दादा – नर्मदा प्रसाद उपाध्याय धरोहर रेवा की ओंकार ध्वनि, पलाश की सिंदुरी आभा और काल के मुख से जन्मी वह निमाड़ी रामायण है जिसे हम रामनारायण के नाम…

क्यों भूल गए अपना वादा शरदिंदु भाई? – (श्रद्धांजलि)

क्यों भूल गए अपना वादा शरदिंदु भाई? – विभा रानी खामोशी से काम करनेवाले मैथिली के समर्थक, प्रचारक, प्रसारक शरदिन्दु शेखर चौधरी 12 जून, 2025 को हमसे विदा हो लिए।…

दूरदर्शन – (संस्मरण)

दूरदर्शन – अमरनाथ ‘अमर’ तब दूरदर्शन केंद्र मंडी हाउस में न होकर संसद मार्ग स्थित आकाशवाणी भवन में था। आकाशवाणी भवन में आकाशवाणी का महानिदेशालय था (अभी भी है) उसकी…

भारतीय संस्कृति की पैरोकार, जिंदादिल, सुलझी हुई बड़ी बहन जय वर्मा –  (संस्मरण)

भारतीय संस्कृति की पैरोकार, जिंदादिल, सुलझी हुई बड़ी बहन जय वर्मा डॉ. संदीप अवस्थी, राजस्थान, भारत “डॉक्टर साहब ने ही मेरी रचनाधर्मिता को नए आयाम दिए। वह (डॉक्टर महिपाल जी,…

राजभाषा संस्मरण – (संस्मरण)

राजभाषा संस्मरण ~ विजय नगरकर, महाराष्ट्र हमारे ज़िले के उस शांत और नैसर्गिक ग्रामीण क्षेत्र में स्थित महाविद्यालय का वातावरण आज भी मेरी स्मृति में ताज़ा है। मुझे वहाँ हिंदी…

अपनी राह की अन्वेषक – (संस्मरण)

अपनी राह की अन्वेषक -प्रेम जन्मेजय 1969 में दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्टस फैक्लटी में मेरे साहित्यिक व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले शिक्षाकाल का आंरभ हुआ तो लगा कि कुएं से…

निर्मला जैन मैम – (संस्मरण)

निर्मला जैन मैम प्रो.रेखा सेठी हिंदी की स्त्री रचनाकारों की कतार में आलोचक बहुत कम हैं। जेंडर और साहित्य के रिश्तों की पड़ताल में एक अदृश्य-सा समझौता दिखाई पड़ता है।…

प्रोफेसर निर्मला जैन : हमारी गुरु, हमारी संरक्षक – (संस्मरण)

प्रोफेसर निर्मला जैन : हमारी गुरु, हमारी संरक्षक मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. और एम.ए.(हिंदी), आर्थिक परिस्थितियोंवश सांध्यकालीन संस्थानों से ही कर पाया था। दिन के समय नौकरी करनी पड़ी…

नीदरलैंड में भारत प्रेम – (संस्मरण)

नीदरलैंड में भारत प्रेम – प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी मुझे मार्च 2005 में नीदरलैंड (हॉलैण्‍ड) जाने का अवसर मिला। मेरी नीदरलैंड यात्रा के विचार का शुभारंभ जून 2004 में फ्री…

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