जल रही हूँ – (कविता)
जल रही हूँ तप रही हूँ, जल रही हूँरूह तक पिघल रही हूँ सागर की अनगिनत नदियाँनदी का बस इक समंदर,यही है मेरा मुक़द्दरइसी जल में जल रही हूँ ।…
हिंदी का वैश्विक मंच
जल रही हूँ तप रही हूँ, जल रही हूँरूह तक पिघल रही हूँ सागर की अनगिनत नदियाँनदी का बस इक समंदर,यही है मेरा मुक़द्दरइसी जल में जल रही हूँ ।…
घर घर तो पहले हुआ करते थेअब तो बस पत्थरों के मकान रह गए हैं एक अकेले कमरे में जहाँना तेरा था ना मेरा थासब कुछ जिसमें अपना थावो प्यारा…
मीनाक्षी गोयल नायर शिक्षा से रसायन शास्त्र में डॉक्टरेट, पेशे से वैज्ञानिक, और दिल से हिंदी की उपासक, मीनाक्षी गोयल नायर, पिछले ३० वर्षों से जापान में रहती हैं। वे…
त्रिदिवसीय हिंदी हिम साहित्योत्सव हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल द्वारा हिन्दी पखवाड़ा के अवसर पर त्रिदिवसीय हिंदी हिम साहित्योत्सव का श्री बद्रीनाथ धाम में हुआ उद्घाटन। देश के…
सिंगापुर में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन की गतिविधि भारतीय उच्चायोग सिंगापुर और सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर द्वारा 13 से 15 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी…
माँ अगर मैं जयचंद होता नितीन उपाध्ये मोनू की दादी के गाँव से शहर आने की ख़ुशी जितनी मोनू को नहीं होती थी उससे ज्यादा उसके आसपास रहने वाले विक्की,…
डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार डॉ. नितीन उपाध्ये, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉडर्न साइंसेज, दुबई साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज…
‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल नितीन उपाध्ये “आत्मनिर्भर” मेरे विचार में आज किसी भी व्यक्ति/परिवार/शहर/राज्य/देश का पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर होना सरल नहीं है। अब मैं स्वयं का ही…
सोशल मीडिया : क्या खोया, क्या पाया नितीन उपाध्ये सोशल मीडिया से हमने जो पाया है वह है “दुनिया के किसी भी कोने में जब एक गौरेय्या अपने पंख फड़फड़ाती…
क्या हम केचुएं है ? नितीन उपाध्ये आज परसाईयत में श्रद्धेय श्री हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य लेख “केचुवां” पढ़ा। मन में कई ख्याल आये सब एक दूसरे के ऊपर…
1. चूड़ियाँ “रुक्मि आज तो चलेगी न” गंगी ने खोली का पर्दा हटाकर पूछा। रात भर की जागी आँखों को उठाकर उसने गंगी की तरफ देखा और धीरे से सर…
मोटी सुई नितीन उपाध्ये आज शाम से ही गोलू की बेचैनी देखने लायक थी। आज उसने अम्मा से कुछ खाने के लिए भी गुहार नहीं लगाई। वह तो अम्मा ने…
गंगासागर नितीन उपाध्ये आज जब से डाकिया जान्हवी दीदी की चिट्ठी दे कर गया है, सारे घर का वातावरण ही बदल गया है। अम्मा तो रसोईघर में जाकर सुबह से…
दाई मां नितीन उपाध्ये भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब आजादी के गुमनाम नायकों को उचित सम्मान देकर उनकी वीर गाथा आज की पीढ़ी को बताने की…
डॉ. नितीन उपाध्ये जन्म: 30 जुलाई, 1963 को इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा: UPTU, लखनऊ से PhD, BITS, पिलानी से MS (मैन्युफैक्चरिंग मैनेजमेंट), विक्रम विश्वविद्यालय से बी.ई. (मेकेनिकल इंजीनीरिंग) सृजन: कविता,…
‘पूर्व से पश्चिम तक हिंदी’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन रूसी-अर्मेनियाई विश्वविद्यालय – RAU के प्राच्य अध्ययन संस्थान और कर्मा देवी विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश, भारत) के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस…
राकेश मल्होत्रा राकेश मल्होत्रा एक प्रेरणादायक विचारक, उद्यमी, लेखक और कवि हैं। हिंदी समन्वय समिति, शिकागो के मुख्य संचालक और फाइव ग्लोबल वैल्यूज, शिकागो के संस्थापक के रूप में वे…
ज़िंदगी की दौड़ झुरमुट की ओट में खड़े होकरआँखें बंद करने सेरात नहीं होतीऔर न हीबिजली के बल्ब के सामने खड़े होकरदिन की अनुभूति होती हैदोनों ही नकारात्मक सत्य है।…
ललक ज़िंदगी एक दौड़ है-बैसाखी पर चलने की लाचारी नहींन हीं घुटनों के बलचलने का नाम है-जिसे वक़्त अपने डंडों से हाँकता रहेऔर प्रतिस्पर्धादौड़ की चाहत लिएपिछड़ जाए। तेज़ चलना…
एहसान ज़िंदगीतुमसे कोई शिक़ायत नहीं !एहसानमंद हूँक्योंकि,कम से कममरने तो नहीं दिया तुमने !जिलाए ही रखा-साँसों में शराब की तरह,आँखों में ख़्वाब की तरह,ज़ख़्मों में नासूर की तरह,दुनिया में दस्तूर…