डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – (कहानी)
डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – उषा राजे सक्सेना मेरी अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य जो इस ब्रिटिश समाज के दबदबे में खो गए थे। आज इस इनसेट (इन-सर्विस…
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डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – उषा राजे सक्सेना मेरी अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य जो इस ब्रिटिश समाज के दबदबे में खो गए थे। आज इस इनसेट (इन-सर्विस…
मेरा अपराध – उषा राजे सक्सेना उन दिनों मेरे पिता पोर्टस्मथ में एक जहाजी बेड़े पर काम करते थे। उनकी अनुपस्थिति और अकेलेपन को न झेल पाने के कारण मेरी…
दर्द का रिश्ता… – उषा राजे सक्सेना मिहिर-मंजरी का गठबंधन न तो कोई इत्तफाक था और ना ही किसी दबाव का परिणाम। उनका विवाह माँ दयामयी, मिहिर के माता-पिता और…
विच शैल अग्रवाल उसका यूं इस तरह से प्रकट हो जाना पूरी तरह से आलोड़ित कर चुका था उसे। ‘तू यहां पर कैसे?… मार्स और वीनस से कब लौटी?’ जैसे…
अड़तालीस घंटे – शैल अग्रवाल अँधेरा अब भी चारों तरफ पसरा पड़ा था और इक्की-दुक्की कारों के अलावा ट्रैफिक शांत ही था, वरना लंदन कब सोता है! घड़ी देखी तो…
कोख का किराया तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. आज मनप्रीत, हारी हुई सी, घर के एक अंधेरे कोने में अकेली बैठी है। वह तो आसानी से हार मानने वालों में से नहीं…
पासपोर्ट का रंग तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “मैं भगवान को हाजिर नाजिर जान कर कसम खाता हूं कि ब्रिटेन की महारानी के प्रति निष्ठा रखूंगा।” अंग्रेजी में बोले गए ये शब्द…
कब्र का मुनाफा तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “यार कुछ न कुछ तो नया करना ही पड़ेगा। सारी जिन्दगी नौकरी में गंवा चुके हैं। अब और नहीं की जाएगी ये चाकरी”, खलील…
हाथ से फिसलती जमीन… तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “ग्रैंड पा, आपके हाथ इतने काले क्यों हैं? आपका रंग मेरे जैसा सफेद क्यों नहीं हैं?…आप मुझ से इतने अलग क्यों दिखते हैं?”…
राधा-राधा – दिव्या माथुर एक इंजीनियर से विवाह करने के बाद अचानक माधवी को दिल्ली से एक सौ सत्तर मील दूर रुड़की में आकर बसना पड़ा, शायद उसके बेटे भी…
करारनामा – दिव्या माथुर नील का पीछा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था, न ही कोई औचित्य। हमारे विवाह के करारनामे में स्पष्ट लिखा है कि किसी गैर से…
मेड इन इंडिया – दिव्या माथुर बड़ा अजीब माहौल था; एक ओर अपने सहकर्मियों के साथ पब में बैठी जसबीर लांबा लाल शराब कुछ यूँ गटके चली जा रही थी…
ज़हरमोहरा – दिव्या माथुर ‘आर यू प्रैगनैंट, माही?’ ग़ुसलखाने से बाहर निकलते ही जेसन ने महिका से सीधे-सीधे पूछ लिया। महिका सिर झुकाए कुर्सी पर आ बैठी; हां या ना…
पुरु और प्राची – दिव्या माथुर बद्रीनारायण ओसवाल का इकलौता वारिस था उनका बेटा, हरिनारायण जो एक अमेरिकन लड़की से शादी करके कैलिफ़ोर्निया में जा बसा था। हालांकि हरिनारायण की…
2050 – दिव्या माथुर ऋचा की आँखों में उच्च वर्ग का सा इस्पात उतर आया, एकबारगी उसे लगा कि वह भी इस्पात में ढल सकती है। गँवार लोग ही रोते…
पंगा – दिव्या माथुर एक नई नवेली दुल्हन सी एक बी-एम-डब्ल्यु पन्ना के पीछे लहराती हुई सी चली आ रही थी, जैसे दुनिया से बेख़बर एक शराबी अपनी ही धुन…
कबाड़ – दिव्या माथुर ‘गद्दे क्या सस्ते आते हैं, रक्षित? मैं मर जाऊंगी तो तुम्हें नया गद्दा फेंकना बड़ा बुरा लगेगा।’ कैंसर से ग्रसित इन्दिरा की यह बात बहु रीटा…
गूगल – दिव्या माथुर ‘ओह शिट्ट’ कहकर एक लड़की डर के मारे मुझसे दूर जा खड़ी हुई जैसे कि उसने कोई शेर देख लिया हो। मैं मुश्किल से अपनी हंसी…
ब्लडी कोठी – दिव्या माथुर ‘चोर भी दो घर छोड़कर डाका डालता है, मम्मी।’ बड़े बेटे सुमित की बात सुनकर मानसी का दिल दहल गया; अपने ही छोटे भाई के…
बचाव – दिव्या माथुर निंदिया के बाबा कहा करते थे कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं; एक तो वे जो पक्षियों की तरह सूरज के उगते ही…