Category: भौगोलिक इकाई

हम-आप से परे – (कविता)

हम-आप से परे सत्य तो बस है, उसका बोध ही संभव;प्रकृति उसकी, गंध, गुण-माप से परे। कुदरत में सतत गति सनातन है;ये ऋतु आवागमन, शीत-ताप से परे। जीवन में चलना…

प्रेम की एक तरल नदी लूंगा – (कविता)

प्रेम की एक तरल नदी लूंगा शिव नहीं हूँ मैं,कि सब के बदले जहर पी लूंगा।बुद्ध नहीं हूँ मैं,कि भिक्षाटन कर जी लूंगा। सांसारिक हूँ,कुछ जरूरतें, कुछ चाहतें हैं।कुछ दायित्व…

समग्र सोच – (कविता)

समग्र सोच अक्षरों में शब्दों को,वाक्यों में पदों को;ऊंचाइयों में कदों को,पाबंदियों में हदों को,देखने के लिए समग्र सोच चाहिए। पेड़ों में वन को,अंगों में तन को;विचारों में मन को,चाँद-तारों…

अवधेश प्रसाद – (परिचय)

अवधेश प्रसाद नाम: डॉ अवधेश प्रसाद स्थान: कैनबेरा (ऑस्ट्रेलिया) पता: 97 लेक्सेन एवेन्यू, निकोल्स, एसीटी, ऑस्ट्रेलिया 2913 संपर्क: दूरभाष +61 411 773 296 ईमेल: Awadhesh.Prasad@outlook.com

लाला रूख़ – (कविता)

लाला रूख़ लाला रूख़ में बैठ भारत सेजब विदा हो गये तुमन समझना कभी किएक दूसरे से जुदा हो गये हम एक ही माँ की दो संतानें हैं हमएक ही…

खोया शहर – (कविता)

खोया शहर सालो बाद अपने शहर आई हूँ,बहुत से सपने और उम्मीदेंसमेट मन में भर कर लाई हूँढूँढ रही हूँ वो आँगनजहाँ खेलते बीता मेरा बचपन खोज रही हूँ माँ…

गुड़िया तुम्हारी – (कविता)

गुड़िया तुम्हारी बाबा मैं पली भले ही माँ की कोख मेंपर बढ़ी हर पल आपकी सोच मेंआप ही मेरा पहला प्यारआप ही मेरा छोटा-सा संसारआपकी ही अंगुली पकड़ करपहला कदम…

बस्ता – (कविता)

बस्ता हर एक स्त्री की पीठपर एक बस्ता हैजिसमें छिपे हैंउसके दुख-दर्दऔर चिंताएँकभी कभीन चाहते हुए भीदर्द को न दिखाते हुए भी,सब छिपाते हुए भीहर एक स्त्री कोये ढोना पड़ता…

तुम हंसती बहुत हो – (कविता)

तुम हंसती बहुत हो तुम हंसती बहुत हो,क्या अपनी उदासी कोइसके पीछे छिपाती हो?ये जो गहरा काजलतुमने आँखों में है लगायाकितने ही आंसुओं कोइनमें है छिपाया? खुद को मशरूफ रखनेका…

बचपन – (कविता)

बचपन ज़माना मुझे कुछ इस तरहइस तरह जीना सीखा रहा हैबाज़ार में बचपन को बेचभविष्य के सपने बुनना सीखा रहा है गणित ज़िंदगी कापाठशाला में नहींखुद दुनिया के बाज़ारसे सीख…

सवाल – (कविता)

सवाल एक सवाल हमेशामेरे मन में घर कर रहा हैहैरान हूँ, परेशान हूँलोग कहते हैं, हम इंसान हैंअगर हम इंसान हैसुनाई क्यों नहीं देतीचीखें हमें घायलों कीमहसूस होता दर्द क्यों…

परदेस – (कविता)

परदेस न तीज है, न त्यौहार हैपरदेस में लगता सूनासब संसार हैन सावन के झूलेन फूलों की बहार हैन आम की डाली परबैठ कोयल गाती मल्हार हैन लगते यहाँ तीजमेले…

ऋतु शर्मा ननंन पाँडे – (परिचय)

डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे जन्म : 9 फरवरी 1970 जन्म स्थान : नई दिल्ली शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, दिल्ली विश्वविद्यालय एम.ए. अनुवाद, भारतीय अनुवाद परिषद् बंगाली मार्केट दिल्ली एम.ए.,…

देश हमारी जान – (कविता)

देश हमारी जान चलो उठाकर गर्व से मस्तक अपना हिन्दुस्तान है,इस पर आंच न आने देंगे, देश हमारी जान है। है नेतृत्व सबल हाथों में, हर मुश्किल आसान है,शत शत…

हिन्दुस्तान हमारा – (कविता)

हिन्दुस्तान हमारा भारत माता के चरणों पर तन मन धन सब वारा है,हिन्दुस्तान हमारा, हमको प्राणों से भी प्यारा है। लहराता जब अमर तिरंगा अनुपम लगे नज़ारा है,विश्व प्रेम के…

दर्शन करें श्री राम का – (कविता)

दर्शन करें श्री राम का आओ चलें हम अवध को, दर्शन करें श्री राम कापूजन, भजन, अर्चन करें, स्वागत करें श्री राम का कण कण में व्यापक है वही, शिव…

कादंबरी आदेश

कादंबरी आदेश सेंट्रल फ्लोरिडा में एक गायिका, कवि और कलाकार हैं। उनके पास सीडी और कई रिकॉर्डिंग हैं। वह सेंट्रल फ्लोरिडा, टोरंटो, त्रिनिदाद और नई दिल्ली भारत में काफी लोकप्रिय…

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती – (कविता)

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती बड़ी अनमोल होती है दोस्ती,दिलों से दिलों का जुड़ाव होती है दोस्ती,हर मुश्किल में साथ निभाने का एहसास है दोस्ती,हर अच्छे बुरे वक्त में…

पापा की यादें – (कविता)

पापा की यादें पापा याद तुम्हारी आती है,आंखों में नमी भर जाती है,बचपन की वो मीठी यादें,वो खेल खिलौने और फरियादें !वो भाइयों से लड़ना झगड़ना मेरा ,वो रो रो…

पापा – (कविता)

पापा पापा, तुम हो मेरे जीवन की सबसे अद्भुत रेखा,तुम्हारे आशीष ने लिखा मेरी किस्मत का लेखा।तुम्हारे मार्गदर्शन और साथ से ही मैंने सीखा,अपने सपनों को पंख देकर, उड़ने का…

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