प्रख्यात कवि अनिल शर्मा ‘जोशी’ की ‘नींद कहाँ है’ की समीक्षा – (पुस्तक समीक्षा)
कवि अनिल शर्मा ‘जोशी’ की ‘नींद कहाँ है’ की समीक्षा – मनीष पाण्डेय अनिल शर्मा ‘जोशी’ वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य जगत के जाने माने नाम हैं। भारत…
हिंदी का वैश्विक मंच
कवि अनिल शर्मा ‘जोशी’ की ‘नींद कहाँ है’ की समीक्षा – मनीष पाण्डेय अनिल शर्मा ‘जोशी’ वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य जगत के जाने माने नाम हैं। भारत…
साहित्य की प्रभाव क्षमता और हिन्दी समाज डॉ० वरुण कुमार कवि कुछ ऐसी तान सुनाओजिससे उथल पुथल मच जाएएक हिलोर इधर से आए,एक हिलोर उधर से आएहाहाकार महा छा जाए।…
आधुनिक कविता में छंद और लय का अतिक्रमण -डॉ० वरुण कुमार एक पाठक की कविता की पहचान सामान्यतः जिस चीज से शुरू होती है वह है छंद। छंद में बंधी…
मॉरीशस और फीजी : विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से –डॉ. सुभाषिनी लता कुमार लेखक कृपाशंकर चौबे की हिंदी भाषा एवं साहित्य लेखन, पत्रकारिता और संपादक के रूप में अंतरर्राष्ट्रीय…
‘फीजी माँ’ – फीजी हिंदी का महाकाव्यात्मक उपन्यास -सुभाषिनी लता कुमार अंग्रेजी के प्रतिष्ठित और चर्चित साहित्यकार होते हुए भी प्रो. सुब्रमनी ने अंग्रेजी भाषा के मोह को त्यागकर फीजी…
जोगिन्द्र सिंह कंवल के उपन्यास ‘करवट’ की समीक्षा -सुभाषिनी लता कुमार सामाजिक-राजनैतिक जागृति और 20 वीं सदी के नागरिक होने के नाते अपने अधिकारों को लेकर भारतीयों के संघर्ष को…
फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य भारत से 1893 में एक करारबद्ध मजदूर के रूप में फीजी लाए गए थे। आपका जन्म 1876 में…
डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार डॉ. नितीन उपाध्ये, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉडर्न साइंसेज, दुबई साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज…