Category: प्रवासी कविता

कौतूहल – (कविता)

कौतूहल पर्वत के इस पार मैं सोचूँ पर्वत के उस पार क्या होगा ? शायद उधर झील हो सुंदर कमल-पुष्प खिलते हों भीतर, सूर्य की किरणें चमकें जल पर जैसे…

अर्थ – (कविता)

अर्थ जिस प्रकार अति तीव्र गति सेपरिभ्रमण करते चक्र की गतिदृष्टव्य नहीं होतीएवं यह मिथ्याभास हो जाता हैकि वह स्थिर है, जड़ है,ऐसा ही तुम्हारे जीवन का कर्मरथ है, मित्र।वीणा…

एक फोटो भर नहीं – (कविता)

एक फोटो भर नहीं मैं कोई फोटो भर नहीं मैं मात्र चेहरा भी नहीं जिसे देखो रॉयल डॉल्टन क्रिस्टल के फ्रेम में जड़ो, सराहो रंगीन सपने सजाओ प्रेम गीत गाओ…

स्त्री मरेगी नहीं – (कविता)

स्त्री मरेगी नहीं स्त्री मरेगी नहीं अलस्सुबह खिलेगी गुलाबों की तरह महकती रहेगी मोगरे जैसी बिखरती रहेगी ज़िन्दगी के मरुथल में तुहिन कणों सी कंधे के थैले में भर कर…

बलात्कार – (कविता)

बलात्कार माँ ने कहा था तुम लड़की हो अकेले कहीं मत जाना रात बिरात देर से मत आना बात बेबात मत खिलखिलाना ज़माना खराब है किसी को कुछ मत बताना…

बिल्लौची – (कविता)

बिल्लौची लड़की अब माँ है माँ रोती हुई बच्ची को चुपाती लोरी सुनाती न सोये तो डराती ‘सो जा, नहीं सोई तो बिल्लौची आ जाएगा’ बच्ची सो जाती सुबह उठती…

मुखौटे -(कविता)

मुखौटे पढ़ी लिखी लड़की काम पर जाती है हवाई जहाज़ उड़ाती है स्पेस शिप चलाती है बिल्डिंग्स बनाती है और टीचर बनकर जीवन कैसे जियें पाठ पढ़ाती है वो इंजीनियर…

इश्तेहार – (कविता)

इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…

बाबा की धूल – (कविता)

बाबा की धूल प्रभु मुझे नव जन्म में करना, बाबा की बगिया का फूल । और नहीं तो मुझको करना, बगिया की मिट्टी की धूल । क्यारी में पानी देते…

मेरी कविता – (कविता)

मेरी कविता कहती खामोशी की कहानी तू है मौन की अभिव्यक्ति तू सुख-दुख की मेरी सहेली है साथ तेरे हर पल नव जीवन बिन तेरे सब कुछ लगे निरर्थक निराशा…

मॉरीशस – (कविता)

मॉरीशस वर्षों पहले भारत के कुछ लाल एग्रीमेंट पर लाये गए गिरमिटिया कुली कहलाये वे उपनिवेशी था वह काल नंबर थी एकमात्र पहचान खून-पसीना भरपूर बहाया हड्डियां भी तुड़वायीं अपनी…

शैलजा सक्सेना की कविताएँ

1. चिड़िया का होना ज़रूरी है! पेड़ पर फुदकती है चिड़िया पत्ते हिलते, मुस्कुराते हैं, चिड़िया पत्तों में भरती है चमक, डाली कुछ लचक कर समा लेती है चिड़िया की…

गौतम सागर की कविताएँ

1. मैंने बिकना अभी नहीं सीखा जैसा बाज़ार का माहौल है, वैसा रंग बदलना अभी नहीं सीखा, दुःख में शामिल होकर, अपना उल्लू सीधा करना अभी नहीं सीखा, यारों का…

आस्था नवल की कविताएँ

1. सुविधापरस्त ए.सी. वाली कार के भीतर बैठ मुरझाया-सा मन लिए जब चिलचिलाती धूप में मुस्कुराते फूल को देखा तो हैरत से भर गई मैं कि कैसे इतनी सड़ी गरमी,…

वंदना मुकेश की कविताएँ

1. बरगद पुराने बरगद में भी, इक नई चाह पैदा हुई, तब नई पौध, जड़ सहित नई जगह रोपी गई। शाखाओं का रूप बदला, चाल बदली, रंग बदला, और फिर,…

पूजा अनिल की कविताएँ

1. प्राण रिसाव हम धीरे धीरे खत्म हो रहे थे, जैसे एक बादल बूँद-बूँद बरस रहा हो- देर तक हवा में झूलने की इच्छा लिए हुए। हम कम-कम ख़्वाब देख…

जय वर्मा की कविताएँ – (कविता)

1. एक टिमटिमाता तारा तारों की छाँव में चलते-चलतेएक टिमटिमाता तारासाथ देता रहामुस्कराता हुआआँख मिचौली खेलता रहाकभी आगे की ओर दौड़ जाताकभी पीछे वह रह जाताउसका साथ मुझे अच्छा लगतावह…

देहरी

आज नेहा के ऑफ़िस का वार्षिक उत्सव था। उसने अपने आप को आख़िरी बार आईने में निहारा- गुलाबी बनारसी साड़ी और उसपर सोने, मोती का हार व झुमके– वह बेहद…

अतुल्य भारत

आजादी का अमृत महोत्सव, अपरमित खुशियों का उपहार, असहिष्णुता के विरुद्ध, सहिष्णुता का शंखनाद II अविराम यात्रा का पचहत्तर वर्ष , अमर्त्य वीरों का महान पर्व, प्रगति के पथ पर…

विजयिनी भारतीयता

भूधरा पर आर्ष सभ्यता सबसे न्यारी, सर्वाधिक प्राचीन सनातन संस्कृति हमारी, हमी से सुशिक्षित हुआ था जग सारा , हमी थे वसुंधरा के नायक -उन्नायक II सम्पूर्ण विश्व है परिवार…

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