इक भारत मुझ में बसता है
इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…
हिंदी का वैश्विक मंच
इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…
समय की मार ने उधेड़ दी है घर के दीवारों की चमड़ी बुज़ुर्ग छत पर पड़ गयी हैं सिलवटें झुर्रीदार दरवाज़ों की भिंची हुई मुट्ठियाँ पड़ती जा रही हैं नरम…
सुहाना सुहाना लगे यह मौसम, यह रिमझिम यह सरगम यह गुंजन यादों के बीच चले जब बचपन मदहोश लहरों से सतरंगी सपने आँखों में ठहरे साँझ सबेरे धरती को चूमें…
मैं चाहे अभी मज़बूर हूँ रुग्ण हूँ पर टूटी नहीं हूँ आंचल में खुशियाँ समेटे, मैं सदा यूँ मुस्कराती रहूँगी। रावण से कैंसर को भस्म करे, वह राह चाहे है…
चाहती हूँ आज देना प्यार का उपहार जग को। मुग्ध सपनों की बगिया से, तोड़ मैं कुछ फूल लाई भावनाओं के भवन से, रस भरे वह मधु गान लाई। कंठ…
१ ।। ज़िंदगी और मौत में एक क्षण का अंतराल होता है जैसे कि एक पानी का बुलबुला जिसके ऊपर सूर्य की किरण पड़ने से सतरंगी इन्द्रधनुष दिखाई दे रहा…
सावधान मेरे मित्रों मेरे भारतवासियों अभी भी समय है संभल जाओ समय रहते नहीं तो अगले पचास-सौ सालों में हिन्दी वैसे ही डूब जायेगी भारत में, जैसे डूबी ट्रिनिडाड में।…
वक़्त इंसान को बहुत कुछ सिखा देता है वक़्त इंसान से बहुत कुछ करा देता है! कभी उसे देवता तो कभी हैवान बना देता है कभी उसे यश तो कभी…
प्रवासी भारतीय, हिंदुस्तान से बाहर क्यों हैं? बार बार मन से यह सवाल करती हूँ, जवाब का इंतजार करती हूँ, पर अनुत्तरित रह जाती हूँ। क्या वे पैसे की खातिर…
सूरज कहता धन्य दीप तुम, धन्य तुम्हारा त्याग से नाता जब मैं चलकर थक हूं जाता, दीप तब अपना तन पिघलाता बना तेल बाती की सेना, चल पड़ते हो तान…
पृष्ठभूमि यह है, की बिग बैंग सिद्धांत से ब्रह्मांड का निर्माण प्रारंभ हुआ और किस प्रकार पृथ्वी पर जीवन का प्रादुर्भाव हुआ। कहा ये भी गया है कि ब्रह्मा को…
एक बच्चे की भावनाओं और इच्छाओं का उस समय से संकलन जब वह इस दुनिया में आने वाला है, उसकी माँ की गोद से लेकर उस समय तक जब वह…
इस बदलते परिवेश के कारण मैं बदल गई हूँ लोगों का पता नहीं पर ‘मैं’ मैं न रहकर कुछ और हो गई हूँ । पहले मुस्कराने की कोई वजह नहीं…
अपने ही घर में माया चूहे सी चुपचाप घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जाकर बिस्तर पर बैठ गई; स्तब्ध। जीवन में आज पहली बार मानो सोच के घोड़ों की…
लोरी निंदिया बनके तेरी पलकों में छिप जाऊंतू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊंकाली रात की अलकें भारी भारीतेरी आँखें हैं कारी कजरारीभोर किरण बन आऊंतुझको चूमूं जगाऊँतू जागे…
आत्महत्या के बीज सुना हैभारत बड़ी तरक्की कर रहा है जिसे देखो ऊपर, ऊपर और ऊपर हीचढ़ रहा हैसुना है किसान अब अपने बीज नहीं बो सकते न ही बांट…
मैं चील हूँ मैं एक चील हूँजो एक पीड़ादायी मृत्यु से जीत आईघायल हुई, हाँ, बेहद घायल,किन्तु मैंने पुन: सीखे कौशलऔर देखो न, मैं कितनी तैयार हूँअब तो मृत्यु के…
कढ़ी आज सुबह मैंने कढ़ी बनाईछोटी छोटी गोल मटोल पकौड़ियांयूं खदक रही थीं पतीले में ज्यूं फुदकते थे बच्चे बरसात से भीगे आंगन मेंऐसा आल्हादित था मन कि सारे मुहल्ले…
दस्तक न सुने तो कोई क्या कीजेदस्तक देने में हर्ज़ है क्याहम खुशी खुशी भुगतेंगे इसेजो मिट जाए वो मर्ज़ है क्यादिल माँगा, जां हमने दीये छोटा मोटा क़र्ज़ है…
रचनात्मक अवरोध (writer’s block) बाहर हल्कीपर मन में भारी बारिश हो रही हैकागज़ की नाव पर सवार शब्दतेज़ी से बहे जा रहे हैंमैं उन्हें बचाने के लिएभाग रही हूँ छपाछपनाव…