बमलजीत ‘मान’ – (परिचय)
बमलजीत ‘मान’ जन्म स्थान: मोगा (पंजाब) वर्तमान निवास: बोमनविल, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.,बी.एड. संप्रति : सेवानिवृत्त शिक्षक प्रकाशित रचनाएँ: काव्य पुस्तक : ‘सो क्यों विसरै’ लोकप्रिय पंजाबी भाषा की साहित्यिक पत्रिकाएँ…
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बमलजीत ‘मान’ जन्म स्थान: मोगा (पंजाब) वर्तमान निवास: बोमनविल, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.,बी.एड. संप्रति : सेवानिवृत्त शिक्षक प्रकाशित रचनाएँ: काव्य पुस्तक : ‘सो क्यों विसरै’ लोकप्रिय पंजाबी भाषा की साहित्यिक पत्रिकाएँ…
प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ की हाइकु 1. झीनी चूनरशालीनता दर्शा तेबदरा लौटे। 2. छम छपाक!औंधी सीधी टपकेंबूँदें बेबाक। 3. धूप का पारासातवें आसमाँ पेबूँदें उतारें। 4. प्रीत न बंधे!मुठ्ठी भिंची रेत…
आईना कई दिनों बादअपने आप को आजआईने में देखा,कुछ अधिक देर तककुछ अधिक ग़ौर से! रूबरू हुई–एक सच्ची सी सूरतऔर उसपर मुस्कुरातीकुछ हल्की सी सिलवट,बालों में झाँकतींकुछ चाँदी की लड़ियाँ,आँखों…
कटघरा जाने क्यों और कैसेरोज़ ही अपने कोकटघरे में खड़ा पाती,वही वकीलवही जजऔर वहीबेतुके सवाल होते,मेरे पासन कोई सबूतऔर न गवाह होते,कुछ देर छटपटा करचुप हो जाती,मेरी चुप्पीमुझे गुनहगार ठहराती,वकील…
फिर वही वही खिड़कीवही कुर्सीवही इलायची वाली चायवही पसन्दीदा कपवही थकनवही सवालऔर वही जवाब!उफ्फ!ये बेहिसाब ज़िम्मेदारियाँ!लाइन लगाकरहमेशा तैनात,जाने कब ख़त्म होंगी . . .जाने कब सब बड़े होंगे..जाने कब मुझे…
मुलाक़ात नहीं है, तो न सहीफ़ुर्सत किसी को,चलो आज ख़ुद से,मुलाक़ात कर लें! वो मासूम बचपन,लड़कपन की शोख़ी,चलो आज ताज़ा,वो दिन रात कर लें। वो बिन डोर उड़ती,पतंगों सी ख़्वाहिशें,बेझिझक,…
एक क्षितिज ऐसा लगता है कि समयहौले-हौले चुपचापसरकता जा रहा हैचुपके-चुपके। ऐसा लगता है किजैसे बालू के ढेर पर रक्खे हों पैरऔर रिसते जा रहे हों रजकण,तलवों के नीचे से,धरा…
धर्म क्या है? धर्म वह है, जो शाश्वत है,अपने पराये के भेद से परे है। धर्म वह है, जो सजग है,सहज है, सुलभ है। धर्म वह है, जो क्षमाशील है,उदार…
वर्ष नव, हर्ष नव वर्ष नव, हर्ष नवजीवन उत्कर्ष नव उत्साह नव, अभिलाष नवपरियोजना संकल्प नवस्वप्न नव, योजना भविष्य नवउल्लास नव, संघर्ष नवउद्घोषणायें जोश नवविश्वास नव, परिहास नवगति शील उद्यमोन्मुख…
हम कामयाब हैं सफलता के क़दम छोटे,सभी अतिशय अहम होते,हम कामयाब हैं। छोड़ कर निज देश अति प्रिय,आये हैं विदेश दूर,बनाया है स्वदेश इसे,हम कामयाब हैं। संतति से, संस्कृति से,सजाया…
व्यर्थ उम्मीदें अपने हिस्से के ग़म,ख़ुद ही सँभालने होंगेकोई आएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर मंज़िलें अपने ही पैरों केतले मिलती हैंकोई बैसाखियाँ लाएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर कल…
आसमान का घर मिटाना होगा एक दिननक़्शों से लकीरों कोऔर धरती कोउसका घर लौटना होगा परिंदों को वृक्ष,वृक्षों को ज़मीनज़मीन को नदियाँनदियों को पानीपर्वतों को ख़ामोशीजंगल वासियों कोउनका घर लौटना…
लहरें लहरों का ये सागर है या सागर लहर में हैमैं हूँ सफ़र में या मेरी मंज़िल सफ़र में है सजदे में सर झुकाऊँ या सजदा ये सर करूँमैं बेख़बर…
मुसाफ़िर हर शख़्स मुसाफ़िर है,मुसाफ़िर से गिला कैसाकुछ दूर चला संग वो,फिर उससे गिला कैसा हर शख़्स का किरदार अलग,ख़्वाब अलग, मंज़िल अलगवो राह चला अपनी,राही से गिला कैसा रेशम…
डॉ. नरेन्द्र ग्रोवर (आनंद ’मुसाफ़िर’) जन्म स्थान: मोदी नगर, उत्तर प्रदेश शिक्षा: विज्ञान स्नातक- मेरठ विश्वविद्यालय, तदोपरान्त स्नातक पशु चिकित्सा- गोविंद बल्लभ पन्त विश्वविद्यालय सम्प्रति : निजी व्यवसाय (किचनर, ओंटेरियो…
मैं वो नहीं मैं वो नहींजिसे तुम सुनते होघंटि यों में अज़ानों में। मैं वो नहींजिसे तुम देखते होया पत्थरों मेंया चंद इंसानों में। मैं वो नहींजिसे तुम ढूँढ़ते होअपने…
मेरा क्षितिज कितनेबेतरतीब से टुकड़ेज़हन की गलियों मेंबिखरे हैंज़िंदगी केहालात केख़यालात केसवालात के ज़र्रा ज़र्राजोड़ता हूँतरतीब सेलफ़्ज़ दर लफ़्ज़क़ाफ़िया दर क़ाफ़ियाक़तरा दर क़तराहर शब्द लेकिनअलग हैआकार मेंप्रकार मेंमायने में मैंनेहर…
कौन कब कहाँ है कौन कब कहाँ है मिट्टी जानती हैकिसका निशाँ कहाँ है मिट्टी जानती है काशी काबा क्या है है दैरो हरम में क्याकिसमें कहाँ ख़ुदा है मिट्टी…
निशब्द तुमनेबड़ी ख़ामोशी से कहामेरे भीतरचिल्लाते, शोर मचातेमन कोऔर चिल्लाओऔर शोर मचाओथोड़ा और ज़ोर सेऔर तब तक यूँ ही चिल्लाते रहोजब तकतुम्हारे अंतर्मन के पर्दे तुम्हारे मन कीझुँझलाहट सेये नहीं…
पंकज शर्मा जन्म-स्थान: मरवाडी, ज़िला उना, हिमाचल प्रदेश वर्तमान निवास: ऑरेंजविल, ओंटेरियो शिक्षा: बैरिस्टर ऐट लॉ प्रकाशित रचनाएँ: आवाज़- The Inner Voice, ग़ज़ल, सफ़र, सफ़ेद सफ़े लेखन-विधाएँ: कविता, ग़ज़ल फ़ेसबुक:…