‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल – (लेख)
‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल नितीन उपाध्ये “आत्मनिर्भर” मेरे विचार में आज किसी भी व्यक्ति/परिवार/शहर/राज्य/देश का पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर होना सरल नहीं है। अब मैं स्वयं का ही…
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‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल नितीन उपाध्ये “आत्मनिर्भर” मेरे विचार में आज किसी भी व्यक्ति/परिवार/शहर/राज्य/देश का पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर होना सरल नहीं है। अब मैं स्वयं का ही…
सोशल मीडिया : क्या खोया, क्या पाया नितीन उपाध्ये सोशल मीडिया से हमने जो पाया है वह है “दुनिया के किसी भी कोने में जब एक गौरेय्या अपने पंख फड़फड़ाती…
क्या हम केचुएं है ? नितीन उपाध्ये आज परसाईयत में श्रद्धेय श्री हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य लेख “केचुवां” पढ़ा। मन में कई ख्याल आये सब एक दूसरे के ऊपर…
1. चूड़ियाँ “रुक्मि आज तो चलेगी न” गंगी ने खोली का पर्दा हटाकर पूछा। रात भर की जागी आँखों को उठाकर उसने गंगी की तरफ देखा और धीरे से सर…
मोटी सुई नितीन उपाध्ये आज शाम से ही गोलू की बेचैनी देखने लायक थी। आज उसने अम्मा से कुछ खाने के लिए भी गुहार नहीं लगाई। वह तो अम्मा ने…
गंगासागर नितीन उपाध्ये आज जब से डाकिया जान्हवी दीदी की चिट्ठी दे कर गया है, सारे घर का वातावरण ही बदल गया है। अम्मा तो रसोईघर में जाकर सुबह से…
दाई मां नितीन उपाध्ये भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब आजादी के गुमनाम नायकों को उचित सम्मान देकर उनकी वीर गाथा आज की पीढ़ी को बताने की…
डॉ. नितीन उपाध्ये जन्म: 30 जुलाई, 1963 को इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा: UPTU, लखनऊ से PhD, BITS, पिलानी से MS (मैन्युफैक्चरिंग मैनेजमेंट), विक्रम विश्वविद्यालय से बी.ई. (मेकेनिकल इंजीनीरिंग) सृजन: कविता,…
करे है क्यों गोरी श्रृंगार (श्रृंगार छन्द) करे है क्यों गोरी श्रृंगार।तुझे क्या गहनों की दरकार।रूप तेरा है रस की धार।ओस में ज्यों भीगा कचनार। लुभाते हैं कजरारे नैन।लगाऊँ अंक…
कृष्ण पूरे नहीं राधिका के बिना (गंगोदक सवैया) बात ऐसी भला आज क्या हो गयी,रूठ से क्यों गए हो बताओ पिया।भूल क्या हो गयी? चूक कैसी हुई?मौन क्यों बोल दो,…
तिलक करें दशरथ नंदन का (चौपाई छन्द) सब भक्तों के पालनहारे, गूँज रहे उनके जयकारे।परमशक्ति सबके रखवाले, जय हो नीली छतरी वाले।आदि-अनंत शक्ति के दाता, धर्म-कर्म-वेदों के ज्ञाता। मितभाषी तुम…
उदित स्वर्णिम भोर (रूपमाला छन्द) चैन की वंशी बजाती, नित्य स्वर्णिम भोर।वो सुहाना युग पुराना, खो गया किस छोर? खत्म आँखों से शरम ह स्वार्थ ठेकेदार।चढ़ गया मुख पर मुखौटा,…
अविचल रहना साधे मन को (वामा छन्द) मन व्यग्र बड़ा रातों जगता।सब उथल-पुथल जीवन लगता।प्रतिकूल परिस्थिति क्षुब्ध करे।चिंता विपदा के रंग भरे। तब हार नहीं मन मार नहीं।मन हार करे…
बेशर्म –अनु बाफना दुबई शहर का नामी-गिरामी रेस्टोरेंट। शनिवार की शाम व समुद्र किनारे होने से लोगों से खचाखच भरा था। काशवी अपने पति और १५ वर्षीय बेटे के संग…
सुनहरी किरण अनु बाफना रात के सन्नाटे में जीप धांय-धांय उड़ी जा रही थी…किरण ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठी थी। कांस्टेबल ओम प्रकाश गाडी चला रहा थे। पीछे…
झूठ अच्छे होते हैं …. -अनु बाफना दीदी आपने झूठ क्यों बोला? उमा ने मुँह बनाते हुए शिकायती लहज़े में कहा। क्या हो गया उमा रानी ?- स्वाति ने शरारती…
रद्दी के टुकड़े -अनु बाफना ‘पर ये अचानक ..क्या हुआ है तुमको केशवी ..?” ‘व्हाई आर यू बीइंग सो मैलोड्रामैटिक ?”- ओफ्फो…जस्ट कांट बेयर योर मूड स्विंग्स यार !-‘ इट्स…
अनु बाफना एम्.एस. एन.एन.आई. (मुंबई) एम्.बी.ए, एम्.ए. हिंदी बी.एड, सर्टिफाइड ट्रेनर, आठ वर्षों तक नैरोबी (केन्या) में निवास कर गत ढाई वर्षों से दुबई में आ बसी हैं। ई.एस.एल नामक…
विराम को विश्राम कहाँ! -आरती लोकेश गए दिनों कुछ संपादकीय कार्य करते हुए मुझे लगभग एक ही जैसी चीज़ें बार-बार खटकीं। कुछ रचनाएँ, शब्द संयोजन, वाक्य विन्यास और विराम चिह्न…
श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…