Category: भौगोलिक इकाई

तुम कहो तो मैं लिख दूँ – (कविता)

तुम कहो तो मैं लिख दूँ चूल्हे की रोटी का वो स्वाद,जो माँ के प्यार से रचा था,मोहल्ले की दादी का आशीर्वाद,जहाँ हर गम छुप जाता था।तुम कहो तो मैं…

विदेश में देश – (संस्मरण आलेख)

विदेश में देश – विनीता तिवारी देश से बाहर निकले करीब पच्चीस साल हो गए लेकिन इन पच्चीस वर्षों में से शुरू के लगभग तेरह वर्ष ऐसे थे, जिनमें हर…

कवि और कविता – (कविता)

कवि और कविता——————— हिन्दी के कवि और कविता कीदेखो कितनी लाचारी है।बिना मानदेय छप-छप कर भीसंपादक का आभारी है। कोविड ने जब से दिखलाईराह नई अंतर्जालों कीज़ूम बराबर ज़ूम हो…

नया साल : नया गीत – (कविता)

नया साल : नया गीत———————— नये साल में गीत लिखेंकुछ नये भाव के ऐसेहर शाखा पर पत्र-पुष्प नवऋतु बसंत में जैसे ख़ुशियाँ हों हर घर आँगन मेंप्रेम प्यार हो मन…

पहुँच गए अमरीका – (कविता)

पहुँच गए अमरीका———————— बाँध गठरिया घर से निकलेपहुँच गए अमरीकानए देश के नए शहर मेंलगता था सब फीका धीरे-धीरे समय गुजरतादिखती थी चहुँओर विषमतासात समुंदर पार करे नहींकोई रोली टीका…

विनीता तिवारी की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

ग़ज़ल- 1. न तुम अच्छे, न मैं अच्छी, ग़लतफ़हमी में मत रहना,हुई ये बात अब नक्की, ग़लतफ़हमी में मत रहना। सितारों पर घुमाने का मुझे सपना दिखाते हो,बहुत भोले हो…

विनीता तिवारी – (परिचय)

विनीता तिवारी आप लेखन के अतिरिक्त हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं चित्रकला में अभिरुचि रखती हैं। आप इंडिया इंटरनेशनल स्कूल, शैंटिली, वर्जीनिया में हिन्दी का अध्यापन कार्य कर रही हैं।…

काश मैं अंग्रेजी होती – (कविता)

काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…

मेरे राम लला – (कविता)

मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…

मेरा भारत देश महान – (कविता)

मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…

बदलती ऋतु – (कविता)

बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…

सोचा ना था कभी – (कविता)

सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…

चाँद को ताकूँ मैं – (कविता)

चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…

अभिलाषा – (कविता)

अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…

अंतरा राकेश तल्लम – (रिपोर्ट)

अंतरा राकेश तल्लम बनारस की पैदाइश हूं और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक और मनोचिकित्सा व प्रबंधन अध्ययन संस्थान मुंबई से परास्नातक मनोचिकित्सा और परामर्श में किया, उसी…

एक नाटक के पीछे का नाटक – (व्यंग्य)

एक नाटक के पीछे का नाटक -आस्था देव दिन के इस समय जब न सुबह है, न शाम , न दोपहर! घड़ी ने 10:30 बजाये हैं। बावजूद इसके कि मैं…

कल  करै सो आज कर – (व्यंग्य)

कल करै सो आज कर -आस्था देव अक्सर कुछ दमदार लिखने के लिए, प्रेरणा तलाशनी पड़ती है पर आजकल जिंदगी की रेलमपेल में प्रेरणा का ऐसा अकाल पड़ा रहता है,…

आस्था देव – (परिचय)

आस्था देव बिहार के बेतिया में जन्मी आस्था देव, पिछले 5 सालों से लंदन में हिंदी लेखन में सक्रिय हैं। वातायन संस्था में मुख्य सचिव के तौर पर कई साहित्यिक…

देवी नागरानी – (परिचय)

देवी नागरानी जन्मः 11 मई, 1941, कराची (तब भारत) शिक्षाः बी.ए. अलीं चाइल्ड, व गणित में विशेष डिग्री, न्यूजर्सी से मातृभाषाः सिन्धी, भाषाज्ञान : हिन्दी, सिन्धी, गुरमुखी, उर्दू, तेलुगू, मराठी,…

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