ईश्वर सिंह यादव, द्वितीय सचिव (हिंदी एवं संस्कृति), भारतीय उच्चायोग, फीजी
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हिंदी का वैश्विक मंच
हिन्दी की त्रैमासिक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘हिन्दी की गूंज’, टोक्यो जापान के तत्वावधान में पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह दिनांक 30.11.2024 को नई दिल्ली के आईटीओ स्थित गांधी स्मृति प्रतिष्ठान के…
पीयूष गोयल के अजूबे कारनामें पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक, पीयूष गोयल 17 पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं, सबसे पहली पुस्तक (ग्रन्थ) ‘श्री भगवद्गीता’ के सभी 18…
कोरोना काल विश्व के लिए एक अत्यंत कठिन समय था। उस समय हिंदी राइटर्स गिल्ड ने एक अद्भुत कार्यक्रम आभासी मंच पर प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम का शीर्षक था ‘हम…
हिंदी राइटर्स गिल्ड के द्वारा पर आभासी मंच पर भारत के शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को साहित्य गौरव सम्मान कनाडा 2021 प्रदान किया गया। इस अवसर पर भारतवर्ष…
मूल कविता : अनीता वर्मा अनुवादक : डॉ चरनजीत सिंह होने ना होने के बीच ज़िन्दा होना ही तो काफ़ी नहींअपने तमाम वजूद को करना पड़ता है साबितकहना पड़ता है…
यक्षिणी का मेघदूत मूल कहानी की भाषा – मराठीलेखिका – डॉ. निर्मोही फडके.अनुवाद- डॉ. वसुधा सहस्रबुध्दे अपने घर के अटारी की सफाई करते समय उसे एक फटी पुरानी बैग मिल…
वसुधा सहस्रबुध्दे डॉ. वसुधा सहस्रबुध्दे पीएच.डी. (विषय : डॉ. शंकर शेष का नाट्यसाहित्य) सिध्दार्थ महाविद्यालय, फोर्ट, हिंदी विभाग में 2009 तक कार्यरत। शोध प्रकल्प- 1] स्वातंत्र्योत्तर काल का मुंबई का…
संतोष चौबे जी के निबंध संग्रह ‘कहानी का रास्ता’ का लोकार्पण दिनांक : 7 दिसंबर (शनिवार) 2024 समय : सायं 4:00 बजे स्थान: वनमाली सभागार, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, होशंगाबाद…
प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस भारत सरकार प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस के साथ भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के लिए शाही कालीन बिछा रही है, जो विशेष रूप से क्यूरेट की गई 17-दिवसीय…
जब कभी जाऊँगा पृथ्वी से सोचता हूँजब कभी जाऊँगा पृथ्वी सेक्या ले जाऊँगा अपने साथ सफलताएं छूट जाएंगी यहींदेह के मैल की तरह यदि उन्हें मान लें इत्रतो भी वे…
धीरे-धीरे रीतती है करूणा धीरे -धीरे रीतती है करूणाधीरे-धीरे संवेदनाएं बदलने लगती हैं प्रस्तर मेंधीरे-धीरे सूख जाती है भावुकता की नदीधीरे-धीरे मनुष्य परिवर्तित हो जाता है किसी यंत्र में धीरे-धीरे…
नियम की तरह वे लोग जिनसे मिले बिना शाम ढलती ही नहीं थीउदास बैठ जाती थी गुलमोहर की किसी नर्म शाख परलगता था जैसे ये न होंगे तो कैसे कटेगा…
बनारस एक जीवित संस्कृति है सबसे अलहदा मेरा बनारस वह नहीं है जो बहुत सी कविताओं में हैवह भी नहीं जिसका ज़िक्र किया करते थे मित्र बातचीत मेंकभी हँसते हुए…
मृणाल कांति घोष के जादुई जूते जब भी पहनता हूँ जूतामुझे मृणाल कांति घोष के वे जूते याद आते हैंजिन्हें सन् 1997 के अक्टूबर में पहनकर गया था मैंनौकरी का…
तुम सुखी रहना आज फिर तुम्हारी याद आई! चली पुरवाई उभरा घावपर सोचता हूँक्या तुममें बचा होगा कोई भावअब भी होगा मिलने का चावया भूल चुकी होगी तुम अतीत का…
अछूते राग सर्दियाँ आ गईंतुम कहाँ हो? लोग घूम रहे हैं रंगरेज बनेखुद भी रंगे दूजे को रंगेसड़कें अटी पड़ी हैं लोगों सेचेहरे पर चेहरे चिपके हैं कभी लगे है…
आज मिलेंगे तुम मिलोगे तो कहाँ से शुरू होगी हमारी बातचीत?सूरजकुण्ड सिटी हॉल्ट की हलचल भरी शामों सेया किसी उदास दोपहरी सेजब 32/3 बहस कार्यालय में हम बिना दूध की…
प्राथमिकता का व्याकरण बहुत जटिल होता है प्राथमिकता का व्याकरणवैसे यह निर्भर करता है व्यक्ति-व्यक्ति पर कुछ लोग अपना अर्जित सब कुछ गँवा देते हैंपर नहीं बदलते प्राथमिकताकुछ बदल लेते…
नए सुख के पास जादुई धूल होती है विस्मृति की नए सुख में होती है मादकताअफीम से ज़्यादा नया सुख आता हैऔर मनुष्य बहुत कुछ भूल जाता हैकई बार तो…