Author: वैश्विक हिंदी परिवार

पैग़म्बर – (कविता)

पैग़म्बर पर्वत चोटी पे खड़ा था वहबाँहें ऊपर की ओर फैलाएशान्त स्थिरगगन की ओर झाँकता . . . काले पहरनों में वहउक़ाब की तरह सज रहा . . . उसके…

सुरजीत – (परिचय)

सुरजीत जन्म स्थान: नई दिल्ली वर्तमान निवास: ब्रैम्पटन, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.; एम.फिल. संप्रति : अध्यापन एवं इंश्योरेंस ब्रोकर (कैनेडा) प्रकाशित रचनाएँ: शिकस्त रंग, हे सखी, विस्माद, पारले पुल, परवासी पंजाबी…

अधूरा आदमी – (कविता)

अधूरा आदमी वहअपनी हर बात अधूरी छोड़आगे बढ़ जाता हैसंतुष्ट . . .पूर्णता के आभास से विश्वस्तछोड़ जाता हैतो एक प्रश्नचिह्नहवा में लटका हुआअपना सर पटकता हुआ! प्रश्नचिह्न . .…

यात्रा – (कविता)

यात्रा मैं अपने घोड़े पर सवार,हिमतुंगों का सर झुकाना चाहता हूँ, भूल गया हूँ किइन चोटियों पर विजय पाने के लिएपैदल चलना पड़ता हैक़दम-ब-क़दमभूल गया हूँ किपथरीले रास्तों पर –पदचिह्न…

हिमपात और मैं – (कविता)

हिमपात और मैं हिमपात . . .क्यों करता हूँतुम्हारी प्रतीक्षा . . .जानता हूँ कि तुम आओगेअपनी ठंडी हवाओं के साथसुन्न हो कर – झड़ जाएँगेअंग-प्रत्यंग . . .पतझड़ के…

लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय-दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘मातृभाषा: हिंदी और सिन्धी’ दिवस मनाया गया – (रिपोर्ट)

लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय-दिल्ली विश्वविद्यालय के खूबसूरत प्रांगण में ‘मातृभाषा: हिंदी और सिन्धी’ दिवस बड़े ज़ोर शोर से मनाया गया, जिसकी संयोजना प्रधानाचार्य, प्रो प्रत्यूष वत्सला, जी ने एक बड़े फ़लक…

सर्दी की सुबह और वसन्त – (कवि)

सर्दी की सुबह और वसन्त घर की फ़ेंस पर बैठीमुटियाई काली गिलहरीजमा हुआ –आँगन, घर का पिछवाड़ाऔर नुक्कड़ के पीछे छिपीधैर्य खोती तेज़ हवा!उड़ायेगी बवंडरझर जाएँगीपेड़ों से बर्फ़ की पत्तियाँछा…

सविता अग्रवाल ‘सवि’ के हाइकु – (हाइकु)

सविता अग्रवाल ‘सवि’ के हाइकु 1. बोझिल मनझील भरे नयनदूर आनंद। 2. कलियाँ चुनींझोली भर ली मैंनेमालाएँ बुनीं। 3. मैं सूक्ष्म सहीभव्यता के समक्षफिर भी जीती। 4. प्रेम का नातासिन्धु…

दर्पण – (कविता)

दर्पण टूटे दर्पण के टुकड़ों को मैंमिला मिला कर जोड़ रहीजोड़ कर दर्पण को मैं अपनेबिम्ब अनेकों देख रही एक टुकड़ा कहता है मुझ सेतू सुर-सुंदरी बाला हैबोला तपाक से…

आभास – (कविता)

आभास नील गगन में निशितारों ने,घूँघट अपना खोल दिया है।प्यार से तुमने देखा मुझको,ऐसा कुछ आभास मिला है॥ छवि तुम्हारी अंतर मन में,मुझे फुहारें सी देती है।लगता है इस बंजर…

स्वीकार – (कविता)

स्वीकार नैया पर मैं बैठ अकेलीनिकली हूँ लाने उपहारभव-सागर में भँवर बड़े हैंदूभर उठना इनका भारना कोई माँझी ना पतवारखड़ी मैं सागर में मँझधार फिर भी जीवन है स्वीकार।राहों में…

सविता अग्रवाल ‘सवि’ – (परिचय)

सविता अग्रवाल ‘सवि’ जन्म स्थान: मेरठ (उ. प्र.) वर्तमान निवास: मिसिसागा, ओंटारियो शिक्षा: एम.ए. (कला), मेरठ विश्विद्यालय प्रकाशित रचनाएँ: काव्य संग्रह ‘भावनाओं के भंवर से’ प्रकाशित। कैनेडा, भारत और नेदरलैंड्स…

‘स्नानी’ बनाम ‘अस्नानी’ – (व्यंग्य)

‘स्नानी’ बनाम ‘अस्नानी’ – अज्ञात फरवरी के अंत तक देश में दो ही तरह के लोग बचेंगे— एक वे, जिन्होंने कुंभ में स्नान किया … और दूसरा वे, जिन्होंने कुंभ…

‘गिरमिटिया प्रवासी हिंदी साहित्यः दशा और दिशा’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित – (रिपोर्ट)

‘गिरमिटिया प्रवासी हिंदी साहित्यः दशा और दिशा’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आगरा में दिनांक 20- 21 फरवरी को ‘गिरमिटिया…

आराधना झा श्रीवास्तव के काव्य-संग्रह ‘भारत मुझमें बसता है’ का सिंगापुर में लोकार्पण – (कार्यक्रम लिंक)

प्रभात प्रकाशन के बैनर तले ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित आराधना झा श्रीवास्तव की प्रथम एकल काव्य-संग्रह ‘भारत मुझमें बसता है’ का सिंगापुर में लोकार्पण और ‘आराधना की अभिव्यक्ति’ के पहले…

केरल के हिंदी साहित्यकार भोपाल के वन माली कथा समारोह में – (रिपोर्ट)

केरल के हिंदी साहित्यकार भोपाल के वन माली कथा समारोह में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के अन्तरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र के आमंत्रण पर केरल के हिंदी साहित्यकारों का18 सदस्यीय केरल के…

थोड़ा बहुत – (कविता)

थोड़ा बहुत चले साँस जल्दी या चले हौले-हौलेथोड़ा-बहुत मैं जी लेती हूँ।जब तक है साँस तब तक है आस,थोड़ा-बहुत हौसला रखती हूँ। दुनिया के रस गर हो खट्टे या मीठेथोड़ा…

ख़ामोशी – (कविता)

ख़ामोशी छाया चारों तरफ़ है ख़ामोशी का अँधेरालगता है कभी न होगा चहकता सवेरा।पेड़, पत्ते भी ख़ामोशी से ढके हुए है।आकाश में परिन्दे भी ख़ामोश हैं॥ पर्वत से समुन्दर तक…

प्यासी सरिता (अनाथ बेटी) – (कविता)

प्यासी सरिता (अनाथ बेटी) प्यासी सरिता इक बूँद को तरसेमेघ बिना कब सावन बरसे।कैसी विडम्बना है जीवन कीराज़ है गहरा बात ज़रा सी।प्यासी सरिता दुर्गम पथ जोहती रहती हैऔर निरंतर…

Translate This Website »