मेरी शादी – (कहानी)
मेरी शादी इस कथा को ध्यान लगा के सुनो,मैं प्रेम की गाथा सुनाता हूँ ।कैसे शादी हो गई मेरीकविता में पढ़ के सुनाता हूँ ।। बेटा जब बने अभियन्ता,पिताश्री ने…
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मेरी शादी इस कथा को ध्यान लगा के सुनो,मैं प्रेम की गाथा सुनाता हूँ ।कैसे शादी हो गई मेरीकविता में पढ़ के सुनाता हूँ ।। बेटा जब बने अभियन्ता,पिताश्री ने…
अपने अपने करम गंगा तट पर एक स्वामी जी,थे ध्यान मगन, प्रभु पूजा में ।बेला थी, ब्रह्म महूरत की,सुधबुध की न सूझ थी पूजा में ।१। था शांत वहाँ का…
खोज ईश्वर की ईश्वर को खोजते फिरते हैंईश्वर कहाँ है? ईश्वर कैसा है?जिस मूर्ति की पूजा करते हैंक्या ईश्वर बिल्कुल वैसा है? देश, धर्म, जाति के आधार परईश्वर का विभाजन…
कृतज्ञता जो अपने आहारया अस्तित्व के लिएदूसरों पर निर्भर रहते हैंपरजीवी कहलाते हैंप्रायः इस वर्गीकरण के अंदरजीव-जंतु या वनस्पति हीक्यों आते हैं? कितना आश्रित है मानवफिर भी दंभ लिए इठलाता…
दो तटों की सीमा में बद्धबहती पूर्ण स्वतंत्र तरंगिणीनहीं बाँधती स्वयं को किसी तट सेनिरंतर गतिमान कल्लोलिनी आ जाता है यदि कोई अवरोध तोबदल लेती है मार्ग सहजता सेसतत प्रवाह…
कैसे कहूँ पराया तुमको एक समान चलती हैं श्वासेंवही प्राण ऊर्जा है तुम में मुझ मेंहै एक समान हृदय में स्पन्दनवही लाल रुधिर है तुम में मुझ में पृथ्वी, जल,…
परिवर्तन हे बुद्धिमान मानव!थोड़ा ठहर…अपने चारों ओर देख,प्रकृति के साथ एकरूप होदेख सब कुछ निरंतर बदल रहा हैकुछ भी स्थायी नहीं हैजो स्थाई है, वह है बस परिवर्तनदेख तो ….दिन…
बूंदों से वार्तालाप मेरे आँगन की खिड़की पर कलवर्षा की बूंदों ने दस्तक दीआहिस्ता से चटखनी खोलकर मैंनेउन्हें अंदर आने की दावत दी पहले कुछ शर्मायीं, सकुचायींफिर मुसकुराकर धीमे सेबैठ…
प्रेम और घृणा प्रेम और घृणा दोनों ही बंधन हैंजो बाँध देते हैं हमें एक दूसरे सेपरंतु……..प्रेम में स्वतंत्रता है, घृणा में है जकड़नप्रेम में विस्तार है, घृणा में है…
वशीकरण पल भर में बदल जाते हैं मौसम चेहरे परक्षण भर में ले आता है मुस्कान वह अधरों पर है आधिपत्य आजकल सर्वश्रेष्ठ सिंहासन परगर्व से विराजमान है सभी के…
चलिए वसंत बन जाएं ऋतुराज वसंत जब आता हैजीवन, जीवंत हो जाता हैप्रकृति के विराट आँचल परसौंदर्य विस्तार पा जाता है अमराई से आती मधुर ध्वनिगूँजता कोयल का कूजनपल्लवित सुगंधित…
विवाह विवाह की वरमालामात्र पुष्पों का हार नहींयह जयमाला हैएक दूसरे की जय कीएक दूसरे को चुन लेने कीएक दूसरे के सम्मान की विवाह का गठबंधनमात्र दो दुपट्टों की गांठ…
धीरे-धीरे हम दलदल में धीरे-धीरे हम दलदल मेंधँसते चले गए।अपने ख़ुद के बुने जाल मेंफँसते चले गए। हैरी-पॉटर तो गहरीतन्मयता से पढ़तेगीता-रामायण पढ़ने सेदूर-दूर रहतेसंस्कार हम सभी ताक पररखते चले…
गीत आशाओं भरे गाया करो २१२२ २१२२ २१२गीत आशाओं भरे गाया करोमुश्किलों से खौफ़ ना खाया करो । दर्द समझेगा तुम्हारा ना कोईज़ख़्म सबको ही न दिखलाया करो । चाहते…
अहंकार की माया (दार्शनिक सन्दर्भ) मैंने सुना हैनश्वर शरीर बना है पंचमहाभूतों सेसभी हैं शाश्वत और सात्त्विकजो हैं मानव सृष्टि के आधारभूत तत्त्व,आत्मा भी है ईश्वर का एक अंशअखंड, अनश्वर,…
प्रेम-दिवस का जश्न (श्रृंगार रस) प्रेम-दिवस की मधुशाला में तेरी आज प्रतीक्षा हैतेरे ओंठो की मदिरा से प्यास बुझाना बाकी है l तेरे नयनों के आकर्षण में मदहोशी का आलम…
बोल रहे हैं वृक्ष आज (जलवायु परिवर्तन) वृक्ष बोलते वृक्षों से कहते एक कहानीहरे-भरे उद्यानों में, विस्तृत वन्य प्रदेशों मेंउनकी वाणी फैल रही है दुनिया के आँचल मेंमानव जाति नहीं…
मेरा गाँव, मेरी परछाई (ग्रामीण जीवन) यह था वसन्त ऋतु का आगमनप्रकृति का स्वागतम, जीवन का स्पंदन l मुझे भी था इसका इंतज़ारताकि कर सकूँ रगों में नयी ऊर्जा का…
बाला की अभिलाषा (युग परिवर्तन की नारी) ग्रामीण कुटिया में बैठी बाला ध्यानमग्न है पुस्तक मेंसंवाद सुनती रेडियो पर ‘मोदी’ की चर्चा चालू हैकभी किताब, कभी रेडियो, दोनों के प्रति…
समय की आवाज (आतंकवाद का शाप) बंदूकों से निकले धर्म, ग्रंथ हुए बेकारमानवता घायल हुई, पीड़ा का संचार l धमाका हुआ विस्फोट का, हिल गया संसारअंधकार छाया गगन में, धरा…