Category: न्यूजीलैंड

सुनीता शर्मा

सुनीता शर्मा नाम : डॉ. सुनीता शर्मा शिक्षा : डिप्लोमा इन अर्ली चाइल्ड एजुकेशन, न्यूजीलैंड पीएचडी : डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा, विषय : कृष्णा सोबती युगबोध एवं मूल्य संक्रमण…

प्रवासी भारतीय  तू…! – (कविता)

प्रवासी भारतीय तू…! प्रवासी भारतीय तूअपनी पैतृक जड़ों से यूं जुड़ तूभेड़ बकरी की तरहमत कर अंधानुकरण यूँ..अदम्य साहस, समर्पण, धैर्य सेलिख अपनी नई दास्तां तू..प्रवासी भारतीय तू… किसी भौगोलिक…

नदी – (कविता)

नदी हँस समुद्र ने पूछा यूँमुझसे प्रश्न कई बार-ज्यूँवाह से आह तक ..तूआह से वाह तक.. क्यूँ नदी-धारा-मीठी-सी-तूअपने गीले-मीठे-होठों को यूँक्यूँ नमकीन करने चली आती तू ..? अपने प्रेमी-पर्वत को…

अधूरी  कविता – (कविता)

अधूरी कविता बस एक अधूरी कवितासुनानी है तुम्हें..शब्द -निशब्द सेबोलती खामोशी कोशायद पढ़ सके हम जहां..बस वही एक अधूरी कविता.. ख्वाहिशें पिघलती हुईबढ़ती आंखों की नमीशब्दों की रूह कहींदिल में…

आहिस्ता-आहिस्ता – (कविता)

आहिस्ता-आहिस्ता दर्द के बिस्तर परखामोशी की चादर तानमोहब्बतें चांद का उगनादेखते रहे हम आहिस्ता-आहिस्ता पिघलती हुई ख्वाहिशों कीचांदनी में..तारों ने सूनी सीशहनाई यूँ कहीं बजाई..!सुनते रहे जिसे हम आहिस्ता-आहिस्ता ख्याल…

वह क्यूँ..? – (कविता)

वह क्यूँ..? अजीब कशमकशज़िंदगी की..थी, मंजिल की तलाशमें, मैं कहीं..! तुम क्या मिलेखुद में कहीं खुदतुमको ढूंढते ढूंढते..खुद मे जैसे खुदा ढूंढना हो ऐसेइबादत बन गया…! यूं तो तलाश मेरी…

लम्हा.. लम्हा..! – (कविता)

लम्हा.. लम्हा..! लम्हा-लम्हा यूं कटता रहावक्त हाथों से ज्यूँ फिसलता गया ..! न जाने क्यूँ हमने वक्तको, वक़्त से देकर वक़्तवक़्त से ही यूँ खरीद लिया ..! ऐसी बेची जाने…

मिट्टी – (कविता)

मिट्टी खेलते-खेलते तुम से हीखाते-खाते मिट्टीतुम कब बन गईंसबसे अच्छी दोस्त मेरी..! लिबास पर बिखरीकेशविन्यास पर चिपकीहथेलियों में रमीतो मेरी रूह में कहीं जमी…! जाना कहीं मैंने यूँ हीतुझमें डूबने…

वज्रपात – (कविता)

वज्रपात कल्पनातीत कालातीतसभा में खड़ी सोचरही हूं मैं…हे माँ कुंती !तुमने मुझे क्या से क्याबना डालाकहां से कहां ला डाला..!! ‘बांट लो’ -कहते ही तुमनेमेरा वर्तमान – भविष्यपतनागर्त कर डालातुमने…

बनजारन – (कविता)

बनजारन जीवन-रेगिस्तान मेंमरीचिका-प्रेम ढूढ़नेबनजारन-मैं…रोज़ करती हूं तयरेत-भरा-मीलों सफर …!! टांग-सूरज-बालों मेंटाँक चांद-दुपट्टे मेंनव-यौवन को ढकती, चुनरी सेपसीने से उजागर होते, अधरश्वेत-चांदनी पहन-ओढ़भटकती हूं रात-दिन-कहीं- मैंइस बंजर जमीन पर…!! कभी-कहीं-कब-क्या मैंप्यास-जल-खुद…

बापू के नाम एक खुला पत्र – (कविता)

बापू के नाम एक खुला पत्र विश्व को हिंसा सेमुक्त कराने का बीड़ा उठाया था तुमने।विश्व तो क्या, यहां तो घर में भीशांति-निवास के लाले पड़ गए हैं।अब तो घरेलू…

क्या खोया क्या पाया – (कविता)

क्या खोया क्या पाया माँ के गर्भ की सुरक्षा खोईतो इस दुनिया में जीने काअवसर पाया। बचपन का अल्हड़पनऔर बेफिक्री खोईतो जवानी में कदम रखनेका अहसास पाया। देश खोया,अपनी धरती…

हमारी तुम्हारी बातें – (कविता)

हमारी तुम्हारी बातें कुछ तुम अपनी कहोकुछ हम अपनी कहेंइसी कहने के सिलसिले मेंकुछ मन का भार हल्का हो। कुछ आंसू तुम्हारे बहेंकुछ आंसू हमारे भी निकलेंइसी तरह मन का…

मैं एक नारी हूँ – (कविता)

मैं एक नारी हूँ नहीं चाहिए मुझे तुम्हारादिया हुआ झूठा ‘स्त्रीधन’ना ही चाहिए मुझे तुम्हाराझूठा दिखावा ‘देवी’ पूजा का।और ना ही लगाव है मुझेतुम्हारे जीवनभर साथ निभानेके झूठे वादों से।…

ख्वाहिश – (कविता)

ख्वाहिश दुनिया की चार दिवारी में बंद हो जाएँयह कभी हमारी ख़्वाहिश नहीं।कुछ कदम साथ चल करतुम्हें मँझधार में छोड़ देंयह हमारी फ़ितरत ही नहीं। दो कदम तुम चलोऔर दो…

तरक्की – (कविता)

तरक्की अब हमारा अपना कुछ नहीं रह गया हैहमने बहुत तरक्की कर ली है।सोशल मीडिया ने हमारा सब कुछसबके सामने फैलाकर रख दिया है। हमारे दिल के किसी गहरे कोने…

जिंदगी तुझसे यूं.. – (कविता)

जिंदगी तुझसे यूं.. जिंदगी तुझसे यूं गुफ्तगू करते रहेक्रेडिट कार्ड के जमाने में जैसेकहीं रिश्तों के भरे बटुए सेरुपया-अठन्नी से निकले-तजुर्बेपाकर, भी क्यूँ नादान सेजख्मों पर खुद ही अपनेकहीं नमक…

मुस्कान – (कविता)

मुस्कान उन्होंने कहा–तुम्हारी मुस्कान मेंएक जादू है।बहुत ही प्यारी और निश्छल है। हमने कहा नहीं–तुम क्या जानोइसके पीछे का दर्द! वे बोले–तुम्हारी आँखों की गहराईमन को मोह लेने वाली है।…

मैं नहीं जानती सृष्टि – (कविता)

मैं नहीं जानती सृष्टि मैं नहीं जानती सृष्टिकितेरे किस रूप को नमन करूं। नवरात्रि में पूज्यतेरे नौ शक्ति रूपोंका नमन करूंया फिरमाँ के रूप में स्त्री की आराधना करूं। पत्नी…

आईना – (कविता)

आईना आज आईने में खुद सेमुलाकात हो गईकुछ देर के लिएजैसे सन्नाटा छा गया। फिर हिम्मत करकेमैंने सवाल पूछ ही लियाक्या बात हैइतने चुप क्यों होक्या जो देखा उस परविश्वास…

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