Category: यूरोप

यूरोप

व्लादिमीर व्लादिमीरोविच नाबोकोव

व्लादिमीर व्लादिमीरोविच नाबोकोव (रूसी: Владимир Владимирович Набоков ; अप्रैल 1899 – 2 जुलाई 1977), जिसे व्लादिमीर सिरिन (Владимир Сирин) के उपनाम से भी जाना जाता है। रूसी-अमेरिकी उपन्यासकार, कवि, अनुवादक…

कुछ परीकथाएँ जो बच्चों के लिए नहीं हैं

(मूल भाषा रूसी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) अख़रोट- लियोनिद निकोलायेविच आंद्रेयेव एक समय की बात है। हरे-भरे एक जंगल में एक बहुत सुंदर गिलहरी रहती थी जिसे हर कोई…

लालफूल – (कहानी)

(कहानीकार – वस्येवलद गार्शिन) (रूसी भाषा से हिंदी में अनुवाद – प्रगति टिपणीस) I. – महाराजाधिराज पीटर प्रथम के आदेश पर मैं इस पागलख़ाने के मुआयने का ऐलान करता हूँ!…

वस्येवलद गार्शिन

वस्येवलद गार्शिन (1855-1888) रूसी साहित्यकार। वस्येवलद गार्शिन रूसी साहित्य में थोड़ा लिखकर भी अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। “गार्शिन से अधिक प्रतिभाशाली, अधिक विख्यात और अधिक महत्त्वपूर्ण लेखक भी…

यह हवाओं का चलना  – (रिपोतार्ज)

सुना था कि हवाएँ मौसम का रुख़ बदलती हैं, हमारी सोच के मौसम का भी, समाज के मौसम का भी। आजकल सुबह होते ही फ़ोन पर दिन का मौसम देखने…

पूश्किन हमारा सब कुछ हैं… (शोध आलेख)

6 जून 1799 को पूश्किन का जन्म हुआ, उन्हें उम्र 37 साल की मिली। यह उम्र अंकों में छोटी लगती है लेकिन किए गए काम कहते हैं कि वह सार्थक…

अपनी जगह, अपना शहर  – (निबंध)

आजकल दुनिया निरंतर सिमटती जा रही है और लोग बेहतर काम और जीवन की तलाश में न सिर्फ़, अपना गाँव और शहर बदलते रहते हैं हैं बल्कि देश और महाद्वीप…

मात्र सड़क का एक नुक्कड़ या विरोधाभासों का बवंडर – (यात्रा संस्मरण)

परिवर्तन ही सृष्टि के चालक हैं। कई सदियाँ बोल रही थीं, परिवर्तन की कहानी कह रही थीं और हमारे जैसे सैलानियों का समूह जो अपने शहर यानी मॉस्को को बेहतर…

रूस का पास्ख़ा और कैथोलिक जगत का ईस्टर – (यात्रा संस्मरण)

मौसम कैसे भी करवट क्यों न ले, वसंत गर्माहट लाने में देर करे या घोड़े पर सवार हो कर आए; विलो (Willow) प्रजाति का एक पेड़ है जो रूसी भाषा…

रूसी लेखकों और अन्य कलाकर्मियों का अड्डा- जागीर अब्राम्त्सेवा – (यात्रा संस्मरण)

ताल को जाती ढलान पर दूब की मख़मली क़ालीन बिछ गई है। सारा वातावरण वसंत की तस्वीर बना हुआ था, मैं उसका रसपान करते-करते अपने ख़यालों में लीन चली जा…

इंतज़ार – (कहानी)

ख़ाकी पोशाकें और भारी फ़ौजी बूट पहने धूल से पूरी तरह लथपथ वे अपने ख़ेमों की ओर लौट रहे थे। उनके चेहरे बता रहे थे कि मन में बहुत उथल-पुथल…

नाम – (कहानी)

प्रणव बाबू अकेले रहते थे। उनकी पत्नी का देहांत हुए दो साल हो गए थे। उनके बच्चे दुनिया के दो कोनों में रहते थे – अमरीका और ऑस्ट्रेलिया। हालाँकि भारत…

आइपेरी – (कहानी)

घंटी बजने पर दरवाज़ा खोला तो वहाँ पर सोनिया एक सहमी से उन्नीस-बीस साल की लड़की के साथ खड़ी थी। सोनिया को मैं जानती थी, वह मेरी एक सहेली के…

प्रगति टिपणीस

प्रगति टिपणीस 28 सितम्बर 1962 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में जन्मी प्रगति टिपणीस तीन से अधिक दशकों से मॉस्को, रूस में रह रही हैं। शिक्षा इन्होंने अभियांत्रिकी और प्रबंधन में…

वंदना मुकेश की कविताएँ

1. बरगद पुराने बरगद में भी, इक नई चाह पैदा हुई, तब नई पौध, जड़ सहित नई जगह रोपी गई। शाखाओं का रूप बदला, चाल बदली, रंग बदला, और फिर,…

‘पुनरपि जन्मम्, पुनरपि मरणम्, पुनरपि जननी जठरे शयनम्’ – (ललित निबंध)

इस रास्ते पर सप्ताह में चार दिन जाते हुए लगभग आठ साल। रास्ता मानो रट-सा गया है। घर से निकलने पर आधे मील के बाद बाँयी तरफ मुड़ने पर एक…

बोलिए सुरीली बोलियाँ…      (ललित निबंध)        

संगीत की अनौपचारिक महफ़िल में बैठी हूँ। महफ़िल अनौपचारिक अवश्य है लेकिन महफ़िल संगीत के बड़े जानकारों की है। बड़े उस्ताद हैं तो छोटे उस्ताद भी, और निष्ठावान शागिर्द भी,…

आधी रात का चिंतन – (ललित निबंध)

‘सर’ के यहाँ घुसते ही लगा कि शायद घर पर कुछ भूल आई हूँ। लेकिन समझ में नहीं आया। अरे, आप सोच रहे होंगे, ये ‘सर’ कौन हैं? तो बताऊँ…

साजिदा नसरीन – (कहानी)                      

“हैलो, साजिदा…, हैलो, माफ़ कीजिएगा, आय एम साजिदाज़ टीचर…हाउ इज़ शी कीपिंग?” अगले छोर से कुछ अजीब सी फुसफुसाहट सी आई। फ़ोन पर किसी का नाम पुकारा गया, कुछ देर…

सरोज रानियाँ – (कहानी)

क्लास में घुस ही रही थी कि मिसेज़ चैडवेल की आवाज़ से मेरे चाबी ढूँढते हाथ अनजाने ही सहम गए। “दैट्स हाऊ वी टीच! इफ़ यू डोंट लाईक, यू मे…

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