सुनो मुझे चाहिए – (कविता)
सुनो मुझे चाहिए सुनो, नहीं चाहिए तुम्हारी जायदाद,तुम्हारी कोठी, तुम्हारा रुतबा,तुम्हें मुबारक तुम्हारी शान। हमें तो बस, एक छोटी सी क्यारी थी चाहिए,जिसमें सुबह ही खिल उठती, थोड़ी हँसी,ज़रा सा…
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सुनो मुझे चाहिए सुनो, नहीं चाहिए तुम्हारी जायदाद,तुम्हारी कोठी, तुम्हारा रुतबा,तुम्हें मुबारक तुम्हारी शान। हमें तो बस, एक छोटी सी क्यारी थी चाहिए,जिसमें सुबह ही खिल उठती, थोड़ी हँसी,ज़रा सा…
कृषक है कौन कृषक जोकपास की खेती अंबर में करता है?नाना प्रकार के खिलौनेप्रति दिन रूई के रचाता है,जाने कैसे बिन डोरी केमेघ नभ में लटकाता है?अरु घुमा घुमा कर…
वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे जो मुझको तुम समझते हो नित,वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे,नौ द्वार के प्राकृतिक भवन मेंहम मनुज निवास करते सारे,राजा और उसका अमूल्य महलनहीं…
तरु संवाद शंकुल जाति के देवदारु ’सीडर’ने यहपर्णपाती ’मेपल’ से प्रश्न किया,क्यों हो रहा तव रंग इस तरह से पीलातब भीमकाय मेपल ने उत्तर दिया। (शरद)ग्रीष्म का गमन है होता…
कविता अनुभूति करने की कवि में क्षमता,व्यक्त करे वह बनती है कवितापानी में ही यदि हो दरिद्रताकैसे बहेगी सुरसरिसी सरिता? वारि बहन ही आपगा नहीं है,शब्द चयन ही कविता नहीं…
मन की मंदाकिनी मन की मंदाकिनी में,जब भी लहरें उठती है भावों की,आती जाती इन श्वासों को,वे याद दिलाती है आहों की,सब दिवस गये पल क्षण बनकर,देखो तो अति चतुराई…
स्वयंभू मन में तुम्हारी प्रीत का हर शब्द गीत है,तन में रमा है त्याग का वो पल पुनीत है,जो आदि से ही उपजा स्वयंभू सुनीत है,उस आदि प्रेम की ही…
आओ चलें वहाँ आओ चलें वहाँ, जहाँ न कोई द्वेष राग हो,हों प्रेम के आदर्श और भावना सुभाष हो,हो ज़िन्दगी का मूल्य, जहाँ कोई न हताश हो,मेरी कल्पनाओं में कदाचित…
प्रकृति जब प्रकृति लय छेड़ती,स्वर ताल देता है पवन। मुक्त स्वर से विहग गाते,मुदित मन होते सुमन,झूमके आते हैं वारिद,तड़ित चमकाती गगन।वृक्ष हो आनंदमयझूमते होकर मगन। मेघ गाते हैं मल्हारें,निरख…
मुझे क्या मिला कभी कभी सोचा करता हूँ मुझे क्या मिलातीस वर्ष तक तीन देश में अध्यापन करशोधकार्य में शिक्षण में भी नाम कमायासतत परिश्रम करने पर भी मुझे क्या…
सेंक ककरीली रातों मेंपड़ता सेंकना अलावकाम कोयलों का जलनाबनना अंगारेहो जाता चिखा का सेंक,लेकिन सेंका न जाये जो ***** – बमलजीत ‘मान’ * ककरीली= कोहरे वाली; चिखा= चिता
आईना कई दिनों बादअपने आप को आजआईने में देखा,कुछ अधिक देर तककुछ अधिक ग़ौर से! रूबरू हुई–एक सच्ची सी सूरतऔर उसपर मुस्कुरातीकुछ हल्की सी सिलवट,बालों में झाँकतींकुछ चाँदी की लड़ियाँ,आँखों…
कटघरा जाने क्यों और कैसेरोज़ ही अपने कोकटघरे में खड़ा पाती,वही वकीलवही जजऔर वहीबेतुके सवाल होते,मेरे पासन कोई सबूतऔर न गवाह होते,कुछ देर छटपटा करचुप हो जाती,मेरी चुप्पीमुझे गुनहगार ठहराती,वकील…
फिर वही वही खिड़कीवही कुर्सीवही इलायची वाली चायवही पसन्दीदा कपवही थकनवही सवालऔर वही जवाब!उफ्फ!ये बेहिसाब ज़िम्मेदारियाँ!लाइन लगाकरहमेशा तैनात,जाने कब ख़त्म होंगी . . .जाने कब सब बड़े होंगे..जाने कब मुझे…
मुलाक़ात नहीं है, तो न सहीफ़ुर्सत किसी को,चलो आज ख़ुद से,मुलाक़ात कर लें! वो मासूम बचपन,लड़कपन की शोख़ी,चलो आज ताज़ा,वो दिन रात कर लें। वो बिन डोर उड़ती,पतंगों सी ख़्वाहिशें,बेझिझक,…
एक क्षितिज ऐसा लगता है कि समयहौले-हौले चुपचापसरकता जा रहा हैचुपके-चुपके। ऐसा लगता है किजैसे बालू के ढेर पर रक्खे हों पैरऔर रिसते जा रहे हों रजकण,तलवों के नीचे से,धरा…
धर्म क्या है? धर्म वह है, जो शाश्वत है,अपने पराये के भेद से परे है। धर्म वह है, जो सजग है,सहज है, सुलभ है। धर्म वह है, जो क्षमाशील है,उदार…
वर्ष नव, हर्ष नव वर्ष नव, हर्ष नवजीवन उत्कर्ष नव उत्साह नव, अभिलाष नवपरियोजना संकल्प नवस्वप्न नव, योजना भविष्य नवउल्लास नव, संघर्ष नवउद्घोषणायें जोश नवविश्वास नव, परिहास नवगति शील उद्यमोन्मुख…
हम कामयाब हैं सफलता के क़दम छोटे,सभी अतिशय अहम होते,हम कामयाब हैं। छोड़ कर निज देश अति प्रिय,आये हैं विदेश दूर,बनाया है स्वदेश इसे,हम कामयाब हैं। संतति से, संस्कृति से,सजाया…
व्यर्थ उम्मीदें अपने हिस्से के ग़म,ख़ुद ही सँभालने होंगेकोई आएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर मंज़िलें अपने ही पैरों केतले मिलती हैंकोई बैसाखियाँ लाएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर कल…