Category: प्रवासी कविता

कवि और कविता – (कविता)

कवि और कविता——————— हिन्दी के कवि और कविता कीदेखो कितनी लाचारी है।बिना मानदेय छप-छप कर भीसंपादक का आभारी है। कोविड ने जब से दिखलाईराह नई अंतर्जालों कीज़ूम बराबर ज़ूम हो…

नया साल : नया गीत – (कविता)

नया साल : नया गीत———————— नये साल में गीत लिखेंकुछ नये भाव के ऐसेहर शाखा पर पत्र-पुष्प नवऋतु बसंत में जैसे ख़ुशियाँ हों हर घर आँगन मेंप्रेम प्यार हो मन…

पहुँच गए अमरीका – (कविता)

पहुँच गए अमरीका———————— बाँध गठरिया घर से निकलेपहुँच गए अमरीकानए देश के नए शहर मेंलगता था सब फीका धीरे-धीरे समय गुजरतादिखती थी चहुँओर विषमतासात समुंदर पार करे नहींकोई रोली टीका…

काश मैं अंग्रेजी होती – (कविता)

काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…

मेरे राम लला – (कविता)

मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…

मेरा भारत देश महान – (कविता)

मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…

बदलती ऋतु – (कविता)

बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…

सोचा ना था कभी – (कविता)

सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…

चाँद को ताकूँ मैं – (कविता)

चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…

अभिलाषा – (कविता)

अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…

गुल्लक (कविता)

गुल्लक मन में कहीं छिपे विहंगचहक उठे फिर आज। बचपन की उन यादों मेंछिपे हैं अनगिन राजउस गुल्लक के सिक्केखनक उठे फिर आज। मिट्टी की गुल्लक थीअधिक नहीं था दामएक…

कचनार – (कविता)

कचनार खेत बीच या खेत किनारेवृक्ष लगे कचनार केकोमल फूल लगे हर डालीरूप रखा संवार के। हरा वसन पहन झूमतेपात सभी और हर डालीप्रति दिन इनको पानी देताबगिया का बूढ़ा…

कनेर का वन – (कविता)

कनेर का वन कुछ दूर यहाँ से हटकरएक कनेर का वन हैजिसके सुरभित कानन मेंअलि करते कुछ गुंजन हैं l उस वन के झुरमुट मेंकुछ नन्ही परियाँ रहती हैंदिन भर…

मेरे बचपन की मस्ती – (कविता)

मेरे बचपन की मस्ती बात करें अपने बचपन की तोवह अलग तरह की मस्ती थी। घर से स्कूल को आना-जानाघर आकर होमवर्क करनाअगले दिन टीचर को दिखानावरना डांट खूब खानी…

बिन मोबाइल के दिन – (कविता)

बिन मोबाइल के दिन हमने भी करी बचपन में मस्तीकलम दवात भी थीं बड़ी सस्ती। रात में लालटेन या लैंप जलाकरहाथ से मच्छर मार-मार करतैयारी इम्तहान की करते थेवह दिन…

जी लो, जी लो – (कविता)

जी लो, जी लो यह समय धोखेबाज है। जी लो, जी लो, जी भरकेजो पास तुम्हारे आज हैकल क्या होने वाला हैउसका कुछ भी पता नहीं यह समय धोखेबाज है।…

चमेली – (कविता)

चमेली क्यारी में अम्मा ने जबपौधा एक लगायाखिलीं चमेली की कलियाँऔर फूल लगे मुसकाने। सूरज की किरनें बिखरींतो झूम उठी हर डालीघूँघट से झाँक-झाँकहर कली लगी इतराने। चाँदी जैसा गात…

मैं भारत हूँ – (कविता)

मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ, सिर्फ़ नाम से मत पहचानो मुझे।कभी मुग़लों ने तो कभी अंग्रेजों ने लूटा था बहुत,अडिग हूँ आज भी, तो शान से जानो मुझे। मैं…

प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं – (कविता)

प्रिये, तुम्हारी आँखें बोलती हैं अपनी सहधर्मिणी के साथ, दशकों से रहते हुए, अत्यंत निकट से मैंने अनुभव किया कि उसकी आँखें बोलती हैं। जो मनोदशा, भावना शब्दों से निरूपित…

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