कल आज और कल – (कविता)
कल आज और कल समय की मान्यता कोइतना ऊँचा उठाओ मत,कल जो गुज़र गया है,उसे बिल्कुल भुलाओ मत। कल जो बीत गया,रीत गया मत सोचो,कल के गर्भ में जो था,वही…
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कल आज और कल समय की मान्यता कोइतना ऊँचा उठाओ मत,कल जो गुज़र गया है,उसे बिल्कुल भुलाओ मत। कल जो बीत गया,रीत गया मत सोचो,कल के गर्भ में जो था,वही…
शैल शर्मा जन्म-स्थान: नरसिंहगढ़ (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास: टोरोंटो (ओंटारियो) शिक्षा: एम.ए. (इतिहास) प्रकाशित रचनाएँ: कैनेडा की पत्रिका ’हिन्दी संवाद’, ’हिन्दी चेतना’, संगम, प्रयाग भारती (प्रयाग) आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं…
यदि सुख लंबा बना रहे तो यदि सुख लंबा बना रहे तोमन में द्वंद्व उठाता!मानव – मन से एक दशा मेंलंबा रहा न जाता! यदि सुख बना रहे दिन –…
तुम किसी भी विवशता – वश तुम किसी भी विवशता – वशमीत मत मुझको बनाओ!मैं तुम्हारी ‘भावना का अंग –कैसे बन सकूँ गा?’ यह बताओ! ‘मीत होना’ प्राण कापारस्परिक अनुबंध…
जो आलोचना और की करतेजो आलोचना और की करतेवह ही यदि हम निज की कर लें!तो संभवत: इस जगती केअनगिन ‘तापों का भव’ तर लें! अन्य जनों में दोष देखनाबहुत…
आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियोमृत्यु का भय न हर्ष को डसे,मृत्यु जब होगी, तब होगीमृत्यु का भय न आज को कसे!…
१९ जनवरी १९९०, विस्थापन दिवस उस भयानक रात को,मैं शामिल था उन हज़ारों विचलित आत्माओं मेंजिन्हें घर से बेघर करने काषड़यंत्र रचा गया था सरहद पारधधकती आग से, उस धौंस…
प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है? आज दिन की धूप में –प्रियतम तुम्हारा पत्र कितना छोटा है?इस विरह पथ पर बस एक ही सहारा था,तुम्हारे मन की व्यथा सुनने का।पर…
चुप रही वितस्ता चुप्पी उत्तर नहीं है हर प्रश्न का,क्यों तुम बहती रही चुपचाप?हुई एक प्रलय,मेरी पावन ऋषि भूमि लहूलुहान हुईनिर्दोषों की, माताओं की, बहनों कीचीख़ो-पुकार से घाटी गुंजायमान हुईपर…
दीपमाला मेरे दीपों की माला मेंएक दीप तुम्हारा भी है साँसों की जीवनमाला मेंएक साँस तुम्हारा भी हैआँखों से बहती धारा मेंएक बूँद तुम्हारी भी है मेरे दीपों की माला…
अहसास क्योंकि सपने अभी भी आते हैंमन में आस जगमगाती है,तुम नहीं हो आसपास कहीं, परतुम्हारे होने का अहसास हो आया है। यादों का कारवां अभी भी आता हैपलकों ने…
सिर्फ़ एक बूँद मुझे तो आस थीएक बूँद कीउस बूँद की जोमेरी आँसुओं केखारेपन में मिठास भर दे! आस तो स्वाति नक्षत्र केउस बूँद की थी जोसीप को मोतियों के…
सारे अपने तारे आकाश में तारे गिननासबसे पहले सात तारे गिननाहम बहनों और सखियों का एकखेल ही नहीं अपितु एक होड़ होती थी उजास भरी साँझ से हीसर ऊपर उठाएहम…
वंदिता बन्दिनी नाम: वंदिता सिन्हा जन्म-स्थान: सिवान (बिहार) वर्तमान निवास: ब्रैम्पटन, ओंटारियो शिक्षा: एम .ए (इतिहास), बी.एड., पीएच.डी. लेखन-विधाएँ: कविता, संस्मरण एवं वर्तमान परिस्थिति पर लिखना उल्लेखनीय गतिविधियाँ: लखनऊ रेडियो…
इन्द्रधनुषी लहर सुदूर देश की पुरवाई सेआख़िर आ ही जाती है,मन की धानी परतों की इन्द्रधनुषी लहर . . .होली, दिवाली के रंगों औरदीयों में बिखरती –झिलमिलातीसुनहरी खनक सबको सुनाने।…
पिता का दिल मज़बूत शरीर है यह जो दिखताअंदर मेरे भी है –कोमल सा दिल, मेरा अपना। है धुँधली सी, पर हैं गहरी यादें,देखा है छुप-छुपचुपके से आँसू पोंछते। भारी…
बसंत आया था बसंत आया था . . .बसंत-ऋतु का जादू भरमाती,प्रकृति इतराती, निखारती रूपजगत में करती उमंग-बहार का पसेरा।चकित हो देखा, अजान मानुस है बेख़बर,बन मशीनी पुतला,जी रहा है…
ये पत्ते अभी कल ही तो ये पत्ते शाख से जुड़े,एक प्राण, एक मन,एक जीव हो फले–फूले,अपने चरम उत्कर्ष की –ललक लिए जीए, अपनी पूर्णता से।आज पीली चादर में परिणित,शाख…
रेणुका शर्मा जन्म-स्थान: अजमेर, राजस्थान, भारत वर्तमान निवास: सास्काटून (सास्केच्वान) कैनेडा शिक्षा: स्नातकोत्तर, (हिंदी), एम. फि ल., पीएच.डी,.पी.जी. डिप्लोमा मासकम्युनिकेशन (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर), सीनियर रिसर्च एसोशिएट मुंबई विश्वविद्यालय। कस्टमर एंड…
मेरी आशाओं का देश मेरा स्वदेश वो धरती हो,जहाँ सत्यमेव जयते सच हो हर वृक्ष जहाँ की थाती हो,जिसमें हर पशु की गिनती होजिसमें हर मानव,मानव हो, साकारसत्य शिव सुन्दर…