समय का प्रबल चक्र – (कविता)
समय का प्रबल चक्र यह प्रबल समय का चक्र चलाजो चुप करके सह जाना होगा। नियति के क़दम किस तरफ़ चलेख़ुद न समझे तो समझाना होगासचमुच जीवन है एक पहेलीजिसे…
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समय का प्रबल चक्र यह प्रबल समय का चक्र चलाजो चुप करके सह जाना होगा। नियति के क़दम किस तरफ़ चलेख़ुद न समझे तो समझाना होगासचमुच जीवन है एक पहेलीजिसे…
पावन प्रेम तुम्हारा पाकर पावन प्रेम तुम्हारा पाकरपूजनीय हो जाऊँगा।शरच्चंद्र के जैसा इक दिनमैं भी पूजा जाऊँगा॥ मेरे कृष्णपक्ष पर कोईध्यान कभी भी नहीं दिया।तुमने मान मयंक मुझे निजआजीवन सकलंक…
जीवन का सारांश निराशा जीवन का सारांश निराशा।झूठमूठ है हर इक आशा॥भीतर ही भगवान छुपा हैबाहर तो बस खेल तमाशा॥ सपने में सोना जगना क्या।दूर स्वयं से ही भगना क्या॥नींद…
आप की ख़ासियत आप की ख़ासियत आप ही आप हो।ख़ुद ही फ़ीता हो ख़ुद का औ ख़ुद माप हो॥ हो भला कोई कैसे बड़ा आपसेआप तो हो बड़े ख़ुद के…
ज़िंदगी से प्यार करके देख तो ज़िंदगी से प्यार करके देख तो।मौत से तक़रार करके देख तो॥बुज़दिली काफ़ूर सब हो जायेगी।हौसला इकबार करके देख तो॥ जीत जायेगा तू हर इक…
अबकी दीवाली अबकी दीवाली कुछ ऐसे मनाएँस्याह मनों के, धुल सब जाएँ! नेह जले सतत प्रेम भावों कीबाती बन रहे संवेदना मन कीदीये बन रहे तन की मिट्टी केजीवन प्रकाश…
दंगों वाली रात छलनी करती कुछ यादें सीने कोपर याद न वो दिल से मिटने पायेंकुछ ज़ख़्म दिल के सदा रिसते हैंरिसने दो, घाव ना वो भर जायें भूल नहीं…
चंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? जीवन के दीर्घ विस्तार समानफैले इस अनंत आसमानकी इस मधुमय सावन-संध्या मेंशायद मुझ सी बिन साथी होचंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? पावस का…
मेरी बिटिया, मेरी मुनिया पूजा के थाल का चंदन हो तुमफूलों की ख़ुशबू, रंगत हो तुम जैसे भजनों की भावना हो तुमजैसे ईश की उपासना हो तुम! हो सर्दी की…
भय बच रहा था आप सबसे कल तलक सहमा हुआअब बड़ा महफूज़ हूँ मैं कब्र में जाने के बाद। मौत का अब डर भी यारो हो गया काफूर हैज़िंदगी की…
परछाइयाँ शाम से ही नाराज़ हैं अब हमसफ़र परछाइयाँ।कर रहीं कब से शिकायत मुँह लगी तन्हाइयाँ॥ जाने कब से तप रहा है विवशता का आसमाँ।और अब पंखा झले हैं भाग्य…
मंज़िलें हैं रास्ते हैं औ आप हैं तय नहीं कर पा रहे जायें किधरमंज़िलें हैं, रास्ते हैं, आप हैं। सफ़र की तैयारियाँ कब से शुरू,याद हमको कुछ नहीं आता अभी।हमवतन…
रिमझिम बरसे बदरा रिमझिम बरस बदरा भीगा है तनतेरी प्रिय यादों में भीगे मेरा मन।सर्पीली रातेंमायावी दिनशबनमी शिकवेछेड़े हर छिनसावन बुझा ना पाया मेरी ये तपन। वीरानी चाहतसपने अनगिनसूना जग…
शब्दों के सिपाही शब्दों के सिपाही बसएक युद्ध और अभी। शांति और मानवता कोराजनीति ने ग्रसाधर्म का पुरोधा भीअर्थ-स्वार्थ में धँसाप्रेम के बढ़ावे काएक चरण और अभी। संकट, विपदाओं कोकन्धों…
गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता आँचल की गाँठ मेंहल्दी-सुहाग मेंसाथ-साथ बाँध लायी अम्माँ की कविता!चावल-अनाज मेंखील की बरसात सेथोड़ी सी चुरा लायी जीवन की सविता!मढ़िया की भीत पेसगुन…
आज की कविता ऐसी चली हवा कि …मेरी कविता की कल्पना बेल सूख गई अचानकछन्दों की नगरी में मची ऐसी भगदड़कि कोई दोहा और चौपाई तक पीछे नहीं छूटाऔर सारा…
कैनेडा में सुबह सुबह हो गईपग-पगबढ़ते-चढ़ते पथ परभीड़ हो गई!बोला कहीं क्या काला कव्वा?शीत पवन में पंख जम गयेबानी-बोली सभी खो गईसुबह हो गई॥ आँखों के आगेबस टिक-टिक घड़ी नाचतीऊपर…
भाषा की खोज पूरा दो साल का होने को आया बच्चाअभी भी चुप हैसबको फिकर है . . .बोलना शुरू किया क्या?? बच्चा, चुप देखता है,समझता है सब,समझा भी देता…
माटी की सुगंध जब अपनी माटी की गंध मुझे नहीं मिलती,तो मैं बेचैन हो जाती हूँ,ठीक उसी तरह,जैसे छोटे बच्चे को अँगूठाचूसने से रोक दिया जाए। यह भी नहीं कि…
अहं की दीवार यूँ लगा तुम को पुकारूँ, कई कई बार,और मैं तुमको बता दूँ, तुमसे कितना प्यार,पर न जाने क्यों, जिह्वा से कुछ नहीं कहती,बीच में आ जाती है,…