इश्तेहार – (कविता)
इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…
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इश्तेहार भारत हो या ऑस्ट्रेलिया यूरोप हो या अमेरिका अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बार – बार आता है स्त्री अधिकारों के चर्चे स्वतंत्रता के नारे और नारी – मुक्ति का युद्ध…
बाबा की धूल प्रभु मुझे नव जन्म में करना, बाबा की बगिया का फूल । और नहीं तो मुझको करना, बगिया की मिट्टी की धूल । क्यारी में पानी देते…
कल फिर सुबह नई होगी दिन को ही हो गई रात-सी, लगता कालजयी होगी कविता बोली- “मत उदास हो, कल फिर सुबह नई होगी।” गली-गली कूड़ा बटोरता, देखो बचपन बेचारा…
मेरी कविता कहती खामोशी की कहानी तू है मौन की अभिव्यक्ति तू सुख-दुख की मेरी सहेली है साथ तेरे हर पल नव जीवन बिन तेरे सब कुछ लगे निरर्थक निराशा…
मॉरीशस वर्षों पहले भारत के कुछ लाल एग्रीमेंट पर लाये गए गिरमिटिया कुली कहलाये वे उपनिवेशी था वह काल नंबर थी एकमात्र पहचान खून-पसीना भरपूर बहाया हड्डियां भी तुड़वायीं अपनी…
1. चिड़िया का होना ज़रूरी है! पेड़ पर फुदकती है चिड़िया पत्ते हिलते, मुस्कुराते हैं, चिड़िया पत्तों में भरती है चमक, डाली कुछ लचक कर समा लेती है चिड़िया की…
1. मैंने बिकना अभी नहीं सीखा जैसा बाज़ार का माहौल है, वैसा रंग बदलना अभी नहीं सीखा, दुःख में शामिल होकर, अपना उल्लू सीधा करना अभी नहीं सीखा, यारों का…
1. सुविधापरस्त ए.सी. वाली कार के भीतर बैठ मुरझाया-सा मन लिए जब चिलचिलाती धूप में मुस्कुराते फूल को देखा तो हैरत से भर गई मैं कि कैसे इतनी सड़ी गरमी,…
गुजराती से अनुवादित अनुवादक : आलोक गुप्त —————————————————————– (1) वह पेड़ कहाँ गया बहुत वर्षों बाद गया था पाठशाला में नई खपरैल, छोटा- सा नया बाग है वहाँ दो रंगीन…
गुजराती से अनुवादित अनुवादक : आलोक गुप्त —————————————————– (1)नहीं रोकूँगी नहीं रोकूँगी वेदना का वरदान देकर भले चला जाए पिया! साज सजी खड़ी ऊँटनी को अपनी दुखी वाणी से नहीं…
(1) असहिष्णु चुप थी गंगा सदियों से तो बड़ी भली थी लगी बोलने जब से दुनिया है अचरज में। कितना बड़ा अनर्थ हो रहा है भूतल पर! दासी देती है…
1. बरगद पुराने बरगद में भी, इक नई चाह पैदा हुई, तब नई पौध, जड़ सहित नई जगह रोपी गई। शाखाओं का रूप बदला, चाल बदली, रंग बदला, और फिर,…
1. प्राण रिसाव हम धीरे धीरे खत्म हो रहे थे, जैसे एक बादल बूँद-बूँद बरस रहा हो- देर तक हवा में झूलने की इच्छा लिए हुए। हम कम-कम ख़्वाब देख…
1. एक टिमटिमाता तारा तारों की छाँव में चलते-चलतेएक टिमटिमाता तारासाथ देता रहामुस्कराता हुआआँख मिचौली खेलता रहाकभी आगे की ओर दौड़ जाताकभी पीछे वह रह जाताउसका साथ मुझे अच्छा लगतावह…
फ़रिश्ता… मेरी रक्षा के लिए भेजे फ़रिश्ते, तुम हो भी क्या?.. और हो तो बस छुप जाओ तुम मेरी पीठ के पीछे – सुरक्षित रहोगे… यह जो विजेता का सेहरा…
आजादी का अमृत महोत्सव, अपरमित खुशियों का उपहार, असहिष्णुता के विरुद्ध, सहिष्णुता का शंखनाद II अविराम यात्रा का पचहत्तर वर्ष , अमर्त्य वीरों का महान पर्व, प्रगति के पथ पर…
भूधरा पर आर्ष सभ्यता सबसे न्यारी, सर्वाधिक प्राचीन सनातन संस्कृति हमारी, हमी से सुशिक्षित हुआ था जग सारा , हमी थे वसुंधरा के नायक -उन्नायक II सम्पूर्ण विश्व है परिवार…
इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…
समय की मार ने उधेड़ दी है घर के दीवारों की चमड़ी बुज़ुर्ग छत पर पड़ गयी हैं सिलवटें झुर्रीदार दरवाज़ों की भिंची हुई मुट्ठियाँ पड़ती जा रही हैं नरम…
सुहाना सुहाना लगे यह मौसम, यह रिमझिम यह सरगम यह गुंजन यादों के बीच चले जब बचपन मदहोश लहरों से सतरंगी सपने आँखों में ठहरे साँझ सबेरे धरती को चूमें…