Month: October 2024

बकरी – (कविता)

बकरी देखिए–मेरे देश की व्यवस्थाकितनी लाचार हो गई,मेजिस्ट्रेट का बग़ीचा चरने के जुर्म में–एक बकरी गिरफ़्तार हो गई।ऐसे में सख़्त एवं लिखि त एफ़ आई आर हो गई,मालिक पर धारा…

आसमान तो मेरा है – (कविता)

आसमान तो मेरा है डोली में बिठाते हुएमाँ ने बेटी कोएक लम्बी सूची हाथ में थमाईऔर बोली– यह तेरी अमानत है।सोचा, दहेज़ के सामान की सूची होगी।बेटी ससुराल पहुँची,काग़ज़ का…

मैं नारीवादी हूँ – (कविता)

मैं नारीवादी हूँ तुम कहते हो– मैं नारीवादी हूँक्योंकि मैं प्रगतिवादी हूँ।तुम अधिकार की बात करते हो,मैं अस्तित्व की दुहाई देती हूँ। मेरी लड़ाई समानता की है –जहाँ मेरी सोच…

कुल दीप – (परिचय)

कुल दीप जन्म स्थान : पंजाब, हिंदुस्तान वर्तमान निवास : टोरोंटो, कैनेडा शिक्षा : एम.ए. (इकोनॉमिक्स), बी.एड., पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, ह्यूमन बि हेवियर फ़ैसिलिटेटर, मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्रकाशन…

मैं एक बार फिर डरी – (कविता)

मैं एक बार फिर डरी जब उसने अपने पोषण से सींच करमुझे नया जन्म दियाहर नए प्रेम-क्षण से मेरे अंदर एक कविता जन्मीमेरी आँख के आँसू पोंछते हुए जब उसने…

घर – (कविता)

घर लोग कहते हैं किघर इंसानों से होता है दीवारों से नहींआशियाना रिश्तों से बनता हैईंट-पत्थरों से नहीं घर ढूँढ़ते-ढूँढ़ते हर रोज़दिन से रात हो जाती हैसड़कों पर भटकते हुएकई…

हाँ, मैं अमृता हूँ – (कविता)

हाँ, मैं अमृता हूँ हाँ, मैं अमृता हूँहाँ, मैंने मोहब्बत की इबादत में बग़ावत की हैहाँ, मैंने ख़ुद की खोज में अपनी ही पहचान छोड़ी हैहाँ, मैं वी आख़दी आँ…

जापान में भारतीय दूतावास में मनाया ‘भारत माह’ – (रिपोर्ट)

जापान में भारतीय दूतावास में मनाया ‘भारत माह’ जापान में भारतीय दूतावास द्वारा ‘भारत माह’ के रूप में आकर्षक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारत के लोक और…

कलूटी रात – (कविता)

कलूटी रात लोग कहने लगे,“तुम्हारे चेहरे का नूरकहाँ जा रहा है?”अपने टोकने लगे“ये आँखों के नीचे काला बादलकहाँ से आ रहा है?” कैसे समझाऊँ लोगों कोकि नूर अपने लूट के…

कनिका वर्मा – (परिचय)

कनिका वर्मा जन्म स्थान : दिल्ली, भारत वर्तमान निवास : टोरोंटो, कनाडा शिक्षा : पीएच.डी.(टैक्सस स्टेट यूनिवर्सिटी) संप्रति : प्रोफ़ेसर, रिसर्च स्कॉलर, रेडियो जॉकी/रेडियो होस्ट प्रकाशित रचनाएँ : प्रथम अँग्रेज़ी…

वह पेड़! – (कविता)

वह पेड़! बड़ा अजीब सा लगा जब चलते-चलते,एक बड़ा सा पेड़ सामने आ गया,ठोकर लगते लगते बची,“देख कर नहीं चलते क्या भाई?” पेड़ बोला। “जल्दी में था, सोचाकिनारा कर निकल…

छायावादी कवि कुंवर चंद्रप्रकाश सिंह के स्मृति में संगोष्ठी का आयोजन – (रिपोर्ट)

हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति भारत द्वारा दिनांक 14 अक्तूबर 2024 को छायावाद के प्रतिष्ठित राष्ट्रवादी साहित्यकार कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह ‘स्मृति दिवस’ में राष्ट्रीय संगोष्ठी का…

आशीर्वाद – (कविता)

आशीर्वाद वह जल्दी से मेरे पैर छूकर चला गया,आशीर्वाद के शब्द बोलती मैं उसकेपीछे-पीछे आई तो पर वह चलता गयामैं सोचती रही उसने सुनें तो होंगे,मेरे वे शब्द जो मन…

तुम! – (कविता)

तुम! तुम मेरी हर कहानी में हो,हर ज़बानी में हो,हर हार, हर जीत,हर दुख, हर सितम में तुम ही तो हो! तुम्हारे इर्द गिर्द,पता नहीं कितनी कहानियाँ बुनी हैं मैंने,सीधी…

वह कोने वाला मकान – (कविता)

वह कोने वाला मकान अब मैं उस कोने वालेमकान में नहीं रहती हूँ,अब उस मकान में कोई और ही रहता है। उस मकान में आकर उसे घर बनाया,सजाया सँवारा,धीरे धीरे…

अजनबी रास्ते

जिन गलियों मेंखेल-कूद करबचपन बिताया जिन खाली जगहों परगिल्ली डंडा और क्रिकेटखेलकरछुट्टियों के दिन काटे जिन रास्तों परचल करस्कूल आया गया जिन चौराहों सेनिकलकरसायकल चलाना सीखा पहचान नहीं पायावो गलीऔर…

सिमट रहे हैं

रोज मर्रा केकाम काजनिपटाते-निपटातेजिन्दगी केहंसी लम्हेनिपट रहे हैं सुविधाओं सेलिपटने की होड़ मेंअकेलापन औरअवसादलिपट रहे हैं जिन्दगी तोभाग रही हैबेतहाशालेकिनदिल के अरमानघिसट रहे हैं छूने की चाहत मेंचाँद सितारेपीछे छोड़…

“माँ”  कौन होगी?

वो माँ!जिसने जनम दिया-मुझेऔर आपको, वो माँ!जो देवों से भी-बढ़कर है, वो माँ!जिसे हमस्वर्ग से भीमहान कहते हैं, वो माँ!जिसकाप्रेम और त्याग-अतुलनीय है, वो माँभी तो हमारीमाँ होने से पहले,किसी…

जीवन की साँझ – (कविता)

जीवन की साँझ जीवन की साँझ का प्रहर,ढल चली है दोपहर।बयार मंद-मंद है,धूप भी नहीं प्रखर॥ यह समय भला-भला,नये से रंग में ढला।जीवन का नया मोड़ है,न कोई भाग दौड़…

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