Author: वैश्विक हिंदी परिवार

शोमैन राजकपूर के 100 साल : बातें-मुलाक़ातें – (सूचना)

शोमैन राजकपूर के 100 साल : बातें-मुलाक़ातें पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आमंत्रण पर राजकपूर परिवार की चार पीढ़ियों ने नरेंद्र मोदी जी से मुलाक़ात…

जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय, दिल्ली में ‘प्रवासी समुदाय में भारतीय संस्कृति व हिंदी’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन – (रिपोर्ट)

जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय दिल्ली में ‘प्रवासी समुदाय में भारतीय संस्कृति व हिंदी’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय दिल्ली में एक संगोष्ठी का…

‘मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर’ पर कार्यक्रम का आयोजन – (रिपोर्ट)

मोहन राकेश की पुण्यतिथि पर ‘मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर’ पर कार्यक्रम का आयोजन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड ने अपनी मासिक हिन्दी साहित्य के कार्यक्रम की क्षृंखला में…

अनीता वर्मा : द क्रिटिक टाइम्स – (चैनल)

अनीता वर्मा : द क्रिटिक टाइम्स साहित्यकार, समीक्षक एवं पत्रकार अनीता वर्मा का ये यूट्यूब चैनल साहित्य की दृष्टि से समृद्ध है। इस चैनल पर देश-विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की…

‘विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस’ का कार्यक्रम ‘हिन्दी साहित्य के प्रति अभिरुचि’- (रिपोर्ट)

‘विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस’ का कार्यक्रम ‘हिन्दी साहित्य के प्रति अभिरुचि’ “विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस” का कार्यक्रम “हिन्दी साहित्य के प्रति अभिरुचि” भाग -20 का 08 दिसंबर 2024 (रविवार) को…

भारत और बुल्गारिया के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अद्भुत आयोजन – (रिपोर्ट)

भारत और बुल्गारिया : संवाद और संस्कृति की ओर एक कदम सोफिया विश्वविद्यालय के भारत विद्या विभाग, सेंट क्लिमेंट ओहरीडस्की, सोफिया विश्वविद्यालय और अमृतसर के हिंदू कॉलेज के मध्य एक…

एर्नाकुलम के सेंट पीटर्स महाविद्यालय-कोलेंचेरी में हिंदी की त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी – गिरमिटिया और आदिवासी साहित्य : लोकतांत्रिक संवाद और सांस्कृतिक पहचान – (रिपोर्ट)

एर्नाकुलम के सेंट पीटर्स महाविद्यालय-कोलेंचेरी में हिंदी की त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी – ‘गिरमिटिया और आदिवासी साहित्य : लोकतांत्रिक संवाद और सांस्कृतिक पहचान‘ एर्नाकुलम के सेंट पीटर्स महाविद्यालय-कोलेंचेरी में संयोजिका डॉ…

तरुण कुमार द्वारा ‘रिश्ते : जय वर्मा की काव्य-कृति’ की समीक्षा – (पुस्तक-समीक्षा)

तरुण कुमार द्वारा ‘रिश्ते : जय वर्मा की काव्य-कृति’ की समीक्षा मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहते हुए अपने रिश्ते और कर्तव्यों का निर्वहन करता है। उसके…

भारतीय भाषा दिवस 11 दिसम्बर के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम – भारतीय भाषाएँ : बदलता परिदृश्य – (रिपोर्ट)

भारतीय भाषाएँ : बदलता परिदृश्य भाषा सृष्टि का वरदान है, प्रकृति का अभयदान है। हम जन्मजात एक समान स्वर लेकर आते हैं अतएव हमें दुनिया की सभी भाषाओं का सम्मान…

मैं यमराज नहीं हूँ!! – (संस्मरण)

मैं यमराज नहीं हूँ!! – हर्ष वर्धन गोयल (सिंगापुर) मुझे सिंगापुर में आए अभी कुछ ही वर्ष व्यतीत हुए थे, यहाँ मित्रों और संबंधियों की रिक्तता का आभाव वास्तविक रूप…

काले देवता – (संस्मरण)

काले देवता – हर्ष वर्धन गोयल (सिंगापुर) यह उन दिनों की बात है जब मैं मलेशिया में कार्यरत था, मुझे अपने कार्यालय के द्वारा सायबर जाया में एक परियोजना पर…

आशुतोष कुमार की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

ग़ज़ल – 1 चल रहा आज भी वो खेल पुराने वाला,हर मुलाज़िम ही निकलता है खज़ाने वाला। हैसियत देख के ही दोस्त बनाने वाला,चढ़ गया उस पे भी अब रंग…

ना हो उदास, ना हो निराश – (कविता)

ना हो उदास, ना हो निराश प्रश्न रह गए, गायब उत्तरभाग चला लंपट, छूमंतरबिखर गई थोथी भावुकताभीतर थी केवल कामुकताऐसा कर कुछ, समेट अपनेदर्द के धागे, चले तलाशना हो उदास,…

भूत जो अब घट गया है – (कविता)

भूत जो अब घट गया है* ज्ञान उपनिषद का देते, ऋषि-मुनि गूढ़ और गंभीरविज्ञान का प्रयोग चलता स्क्रीन पर फोटोन की लकीर कान्ह को माखन खिलाया , बेबी फूड के…

धनुष-बाण तेरे घुस आते – (कविता)

धनुष-बाण तेरे घुस आते बौछारें नयनो से निकलीधनुष-बाण तेरे घुस आते। मैं ग्वाला अज्ञानी ठहराकिशन समझ तुम आई राधासपनीली आँखों में तेरीखुद को पाता आधा आधाहाथ बढ़ाने के क्षण मुझसे,फिसले…

आनन्द ही आनन्द – (कविता)

आनन्द ही आनन्द ले ले कर चटखारेस्वाद ग्रंथि तृप्त हो, मौन रसना अनमनीआनन्द ही आनन्द कुंभकर्णी नींद हो,खर्राटे भर लेते तोड़ते खाट अपनाउपदेश बाँटो, माल लो,सुन्दरी का साथ हो भंग…

चलते भीतर अंतरद्वंद्व – (कविता)

चलते भीतर अंतरद्वंद्व भार लिए मन में क्यों मानवशोक, दुख अनुलग्नचलते भीतर अंतरद्वंद्वक्यों न हो उद्विग्न।अंधड़ आई रेत उड़ चली.सावन-भादो मेंचंचल बहता पानी ठहरागंदे गड्ढों मेंकाम नहीं कुछ, उबकाई में,सुस्त…

रूह में लपेट कर – (कविता)

रूह में लपेट कर धुंआ-धुआं हो रहा श्मशान की ओरपर पालकी में बैठी दुल्हनअपने आंचल में सपने संजोएमृगनयनों से अपने पुरूष को निहारतीएक बर्फ़ीली आँधी से अनजानरसवन्ती उमंगों से भरीपपीहे…

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