Author: वैश्विक हिंदी परिवार

अध्यात्म की अनुभूति – (कविता)

अध्यात्म की अनुभूति आत्मा और परमात्मा सेसंबंधित शाश्वत ज्ञानईश्वरीय आनंद की अनुभूतिस्वयं के अस्तित्व के साथ जोड़नामार्ग है अध्यात्म काऔर अनुगमन है अध्यात्म विद्याभौतिकता से परे जीवन का अनुभवसूक्ष्म विवेचन…

तुम – (कविता)

तुम मैं शब्द बुनती रहीतुम अर्थ उघेड़ते रहेपूरा न हो पाया रिश्तों का स्वेटरतुम ऐसे क्यो हो?मैं रेत पर घर बनाती रहीतुम लहरें बुलाते रहेबन न पाया प्यार का घरतुम…

फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लें – (कविता)

फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लें फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लेंफिर किसी भी सूरत में ये मुरझाएंगे नहींजितना पुराने होंगे …और ज्यादा महकेंगेफूलों से कह…

ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है … – (कविता)

ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है … ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है …जिसमे किसी के चेहरे की कुछ परतें …दिखाईं देती…

बारिश का ख़त – (कविता)

बारिश का ख़त बारिश को बाँध कर रोशनाई की जगहभर लिया था दवात मेंबस वही ख़ततुम्हारी खिड़की परकोहरे से लिखा है मैंनेउसे धीरे सेआफताब के सामने खोल करबूँद बूँद पढ़…

सब कृष्ण संग खेले फाग – (कविता)

सब कृष्ण संग खेले फाग नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग रागभाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेले फागसूर्य किरण ‘सलोने’ से छन करभूमि पर करे सुन्दर अल्पनाबृज धरा…

साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर – (कविता)

साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधरतो श्याम बन जाते हैंबांसुरी अधरों का स्पर्श पाने को व्याकुल हैवो खुद…

वो दिया – (कविता)

वो दिया वो दियाजो जल कर रौशन करता हैतेल भी जलता है इसका बाती भीऔर इसकी ऊपरी और भीतरी सतह भीदिवाली की रात जब सितारेइसकी लौ से अपनी चमक आँकते…

कैकयी तुम कुमाता नहीं हो – (कविता)

कैकयी तुम कुमाता नहीं हो अध्यात्म की ओर बढ़ो राजन, मोह का त्याग करोइन वचनों के साथ मुनिराज विश्वामित्र काअयोध्या से प्रस्थान हुआराजा दशरथ को आज समय बीतने का ज्ञान…

उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्ण – (कविता)

उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्ण उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्णजहाँ दिन और रात ढलते नहींविलय होते होंआकाश में उस सूर्य की तरह उदित होजिसकी ऊष्मा धरा…

नहीं भूली हूँ – (कविता)

नहीं भूली हूँ नहीं भूली हूँ मैं आज तकअपने बचपन का वो पहला मकानपिताजी का बनाया वो छोटा मकानकुछ ऋण ऑफिस सेबाकी गहने माँ के काम आएमेरे लिए वो ताजमहल…

शब्द और स्वर की बातचीत – (कविता)

शब्द और स्वर की बातचीत शब्द ने स्वर सेअवतरित होने का रहस्य पूछातो स्वर ने कहासृष्टिशब्दों की गुफाएँमैं तपस्वीमैं बारिश की बंद से आयाशब्दों से लिपटबादलों से टपकाबिजली में कड़काहृदय…

अनिता कपूर

अनिता कपूर डॉ. अनिता कपूर जन्म : भारत (रिवाड़ी) शिक्षा : एम .ए.(हिंदी एवं अँग्रेजी), पी-एच.डी (अँग्रेजी), सितार, कथ्थक नृत्य, जर्मन भाषा और पत्रकारिता में डिप्लोमा। व्यवसाय: “बे-एरिया इमिग्रेशन एवं…

नीदरलैंड में श्री विष्णु विद्यालय देन हॉग की रिपोर्ट – (रिपोर्ट)

नीदरलैंड में श्री विष्णु विद्यालय देन हॉग की रिपोर्ट नीदरलैंड में श्री विष्णु विद्यालय देन हॉग के विद्यार्थियों ने भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक केंद्र में हिन्दी के 95 वर्षीय वरिष्ठ…

शिक्षक दिवस के उपलक्ष में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मलेन

शिक्षक दिवस के उपलक्ष में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मलेन दिनांक 05.09.2024 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती अर्थात् “शिक्षक दिवस” के उपलक्ष्य में हिन्दी अकादमी, दिल्ली एवं…

माँ हिंदी तुम वो हो – (कविता)

माँ हिंदी तुम वो हो तुम मात्र मेरी अभिवक्ति की आवाज़ नहीं होतुम वो हो जिसे सुनने के बाददुनिया मुझे पहचान जाती हैमैं कौन हूँ कहाँ से हूँ ये जान…

सुनहरा धागा – (कविता)

सुनहरा धागा मेरे विचारों की बस्ती मेंआज कुछ उधेड़ बुन है,एक फंदा गिरता है,एक फन्दा फिर उठता है,बनने के बाद ‘पेटर्न ‘कैसा बनेगा,कह नहीं सकतीपर यह देख करअच्छा लगता हैकि…

भला क्यों ? – (कविता)

भला क्यों ? कुछ लिखना है मुझे,भला क्यों ?क्या तुम बांटना चाहती होअपने भाव,जाने अनजानेलोगों के साथ,या अपने भावोँ कोलेखनि के द्वाराकागज़ पर उतार करअपने अंतर कीपरछाई देखना चाहती हो,वह…

अश्रु – (कविता)

अश्रु अश्रु तुम अंतर की गाथाचुपके चुपके कहतेअंतरतम को खोलजगत के आगे मेरा रखते,तुम बिन गरिमा प्यार व्यथाकी गाथा कौन भला कहतेअनुभावों की कथा आजबोलो यूँ कौन कहा फिरते,आज छिपा…

मनुहार – (कविता)

मनुहार प्रणय मांगने आया था मैंद्वार तुम्हारे अरि अजानतुम सरका मधु चषकों सेकरती थी मेरा सत्कार,खाली मधु चषकों सेकरती जाओगी सत्कारया हर पाओगी तुम मेरेअंतर का थोड़ा व्यथा भार,मेरी इन…

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